बिहार में खेलः संसाधन के अभाव में भी इन खिलाड़ियों का नहीं टूटा हौसला, मैदान में लहराया परचम

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Published : Mar 27, 2021, 5:25 PM IST

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बिहार में सुदूर इलाकों से आने वाले कुछ खिलाड़ी कड़ी मेहनत के बल पर ना सिर्फ देश बल्कि दुनिया में अपना परचम लहराया है. जानिए पटना की रहने वाली कराटे खिलाड़ी आदित्य प्रकाश, जमुई निवासी और पारा एथलेटिक्स खिलाड़ी शैलेश कुमार और नवादा की रहने वाली हैंडबॉल खिलाड़ी खुशबू कुमारी के संघर्ष की कहानी.

पटना: बिहार में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. हर क्षेत्र में यहां के लोग काफी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. बात करें अगर खेल जगत की तो बिहार के कई ऐसे छोटे गांव के रहने वाले खिलाड़ी हैं, जिन्होंने बिहार की पहचान ना सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व में बनाई है. कहते हैं हुनर को कोई दवा नहीं सकता और आत्मविश्वास के बल पर लोग कई जंग जीत जाते हैं. बिहार के कुछ ऐसे भी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने बिना किसी सहायता के समाज का ताना सुनते हुए करी परिश्रम की और आज अपने खेल के बल पर बिहार का नाम पूरे विश्व में रोशन कर रहे हैं.

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पटना की रहने वाली आदित्य प्रकाश, जो कराटे खेलती हैं. आदित्य ने आत्मरक्षा के लिए कराटे खेलना शुरू किया. इसके लिए उनके घर परिवार ने उनका पूरा सपोर्ट किया और उन्होंने काफी बेहतर प्रदर्शन किया. आदित्य ने बताया कि रोज सुबह दो घंटे वह अभ्यास करती हैं. इसी का नतीजा है कि आज यह मुकाम हासिल हुआ है. आदित्य ने अब तक कुल 4 नेशनल और इंटरनेशनल मैच खेले हैं और अपने पहले ही इंटरनेशनल मैच में उन्होंने गोल्ड पदक जीता.

'घर परिवार का पूरा सपोर्ट मिला. यह मेरी सफलता का सबसे बड़ा कारण है. मैं रोजाना सुबह दो घंटे अभ्यास करती हूं. जिससे इंटरनेशनल मैच खेलना और जीतना आसान हो गया.' - आदित्य प्रकाश, कराटे खिलाड़ी

ईटीवी भारत से बात करती कराटे खिलाड़ी आदित्य प्रकाश
ईटीवी भारत से बात करती कराटे खिलाड़ी आदित्य प्रकाश

बचपन से था एथलेटिक्स का शौक
जमुई के रहने वाले पारा एथलेटिक्स खिलाड़ी शैलेश कुमार दिव्यांग जरूर हैं, लेकिन उनके हौसले काफी बुलंद हैं. शैलेश के पिता एक मामूली किसान है और खेती करके घर-परिवार चलाते हैं. बचपन से ही शैलेश को एथलेटिक्स का काफी शौक था. 12 साल की उम्र से उन्होंने खेलना शुरू किया था. घर परिवार का पूरा समर्थन मिला. हालांकि गांव और आस-पड़ोस के लोग कहते थे कि खेल कर क्या करोगे, लेकिन उनकी बातों को अनसुना कर शैलेश लगातार अभ्यास करते रहे.

उन्होंने छात्र जीवन से ही छोटे-छोटे टूर्नामेंट खेलना शुरू किया था. संसाधन के अभाव के बावजूद शैलेश ने 2015 से स्टेट लेवल का टूर्नामेंट खेलना शुरू किया. 2017-18 में नेशनल खेला और 2019 में पहला इंटरनेशनल खेला और गोल्ड मेडल भी जीता. शैलेश ने अब तक कुल 20 मुकाबले खेले हैं. जिसमें उन्होंने 15 गोल्ड मेडल जीते हैं.

'खेल में मेरी काफी रुचि है और परिवार का भी भरपूर साथ मिल रहा है. दुख बस इतना है कि बिहार सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है. हालांकि वर्ष 2019 में इंटरनेशनल स्तर पर गोल्ड मेडल जीतने के बाद केंद्र सरकार ने मेरी मदद की और मेरा दाखिला गुजरात के गांधीनगर स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया पैरा ओलंपिक में हो गया. जहां मैं अभ्यास कर रहा हूं और ओलंपिक की तैयारी में जुटा हूं.' - शैलेश कुमार, पैरा एथलेटिक्स खिलाड़ी

ईटीवी भारत से बात करते पारा एथलेटिक्स खिलाड़ी शैलेश कुमार
ईटीवी भारत से बात करते पारा एथलेटिक्स खिलाड़ी शैलेश कुमार

आस पड़ोस के लोग मारते थे ताना
नवादा की रहने वाली हैंडबॉल खिलाड़ी खुशबू कुमारी की कहानी भी कम रोचन नहीं है. उनके गांव में लड़कियों को बाहर निकलने की अधिक छूट नहीं थी, बावजूद इसके खुशबू बैडमिंटन खेलना चाहती थी. लेकिन गरीबी के कारण उन्होंने हैंडबॉल खेलना शुरू किया. इसके लिए घर से बहुत सहयोग नहीं मिला, लेकिन उनका मां हमेशा उनके साथ खड़ी रहीं. फिर धीरे-धीरे खुशबू के पिता भी उनका समर्थन करना शुरू कर दिया, लेकिन आस पड़ोस के लोग खुशबू को ताना मारा करते थे.

वर्ष 2009 में खुशबू ने हैंडबॉल खेलना शुरू किया. उस समय कोई भी लड़की हैंडबॉल नहीं खेलती थी. जिस कारण खुशबू को लड़कों के साथ प्रैक्टिस करनी पड़ती थी. पुणे स्टेडियम में वह इकलौती लड़की होती थी जो लड़कों के साथ खेला करती थी. 2011 में खुशबू लखनऊ शिफ्ट हो गई. फिर वहां रहकर उन्होंने खेलना शुरू किया और 2015 से उनका चयन भारतीय टीम में हो गया.

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भारतीय टीम में सिलेक्शन होने के बाद खुशबू ने वर्ष 2015 और 16 में एशियाई गेम्स में काफी बेहतर प्रदर्शन किया. इसके बाद कारवां चलता रहा. खुशबू ने कुल 30 नेशनल और 5 इंटरनेशनल मैच खेले हैं. जिसमें उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो गोल्ड और नेशनल स्तर पर 4 गोल्ड मेडल जीते हैं. आपको बता दें कि खुशबू बिहार की पहली हैंडबॉल खिलाड़ी हैं जो नेशनल महिला हैंडबॉल टीम में खेलती हैं.

बिहार सरकार ने किया सम्मानित
खुशबू 2018 में नेपाल में साउथ एशियन हैंडबॉल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीती और फिर 2019 में भी गोल्ड मेडल जीती. फिलहाल वह बीएमपी-5 की डीजी टीम मैं स्पोर्ट्स कोटे से बिहार पुलिस की नौकरी कर रही हैं. बिहार सरकार ने इन्हें बिहार खेल सम्मान से भी नवाज चुकी है.

ईटीवी भारत संवाददाता से बात करती हैंडबॉल खिलाड़ी खुशबू कुमारी
ईटीवी भारत संवाददाता से बात करती हैंडबॉल खिलाड़ी खुशबू कुमारी

'मैं आज भी बीएमपी पटना में लड़कों के साथ ही प्रैक्टिस करती हूं. मेरी इच्छा है कि महिलाओं को सभी खेलों में बराबर का हिस्सा मिले. ताकि वह भी पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सके. हैंडबॉल टीम में ज्यादातर लड़कियां हरियाणा और पंजाब की होती हैं, उसमें बिहार की लड़कियां होंगी तो काफी खुशी होगी.' - खुशबू कुमारी, हैंडबॉल खिलाड़ी

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