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South Asia Women Film Festival: पटना में दक्षिण एशिया महिला फिल्मोत्सव शुरू, 'सीता के बदलते रूप' का प्रदर्शन

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Published : Feb 2, 2023, 5:37 PM IST

Updated : Feb 2, 2023, 5:49 PM IST

पटना में सात दिवसीय दक्षिण एशिया महिला फिल्मोत्सव का आगाज (South Asia Women Film Festival begins in Patna ) हो गया. कला संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री जितेंद्र राय ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस अवसर पर कला संस्कृति विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनमें आत्मबल विकसित करना है. पढ़ें पूरी खबर..

पटना में दक्षिण एशिया महिला फिल्मोत्सव शुरू
पटना में दक्षिण एशिया महिला फिल्मोत्सव शुरू

पटना में दक्षिण एशिया महिला फिल्मोत्सव शुरू

पटना: बिहार की राजधानी पटना में पहली बार दक्षिण एशिया महिला फिल्मोत्सव का (South Asia Women Film Festival) गुरुवार को आगाज हुआ. इस फिल्मोत्सव का एक ही मकसद है कि बिहार की महिलाओं को महिला पर आधारित फिल्मों को दिखाकर उनकी आत्मशक्ति को बढ़ाया जाए. साथ ही महिलाएं किस तरह से आत्मनिर्भर बने, इस फिल्म के माध्यम से यही दिखाया जा रहा है. मगध महिला कॉलेज में कला संस्कृति युवा विभाग के मंत्री जितेंद्र राय ने इसका उद्घाटन किया. उद्घाटन के दौरान कला संस्कृति और युवा विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी, सीता के बदलते रूप की डायरेक्टर पुष्पा रावत और अभिनेत्री सुनीता रावत उपस्थित रहीं.

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9 फरवरी तक चलेगा फिल्मोत्सव: 2 फरवरी से 9 फरवरी तक फिल्म महोत्सव का आयोजन होगा. दक्षिण एशिया महिला फिल्मोत्सव कार्यक्रम के दौरान महिलाओं पर आधारित बेहतरीन फिल्मों की प्रस्तुति दी जा रही है. इस आयोजन को कराने में कला संस्कृति एवं युवा विभाग की अहम भूमिका है. वंदना प्रेयसी ने बताया कि दक्षिण एशिया महिला फिल्मोत्सव सात दिनों का है. इसमें महिलाओं पर केंद्रित बेहतरीन फिल्मों की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम कराने का उद्देश्य महिलाओं को फिल्म के जरिए आत्मनिर्भर बनाने के साथ उनके अंदर आत्मविश्वास और आत्मबल पैदा करना है.

महिलाओं के आत्मबल को बढ़ाने वाली फिल्मों का होगा प्रदर्शनः सात दिनों तक चलने वाले कार्यक्रम के दौरान महिलाओं की प्रति विमर्श प्रेरित करेगी. इस आयोजन के दौरान समाज में बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी सामजिका कुप्रथाओं के खिलाफ अपने स्वर को बुलंद करने वाली और महिलाएं किस तरह से अपने आत्मबल से आगे बढ़े, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ने के साथ-साथ दूसरी लड़कियों को भी प्रेरणा मिल सके, यही इस महिला फिल्मोत्सव में दिखाया जाएगा.

"दक्षिण एशिया महिला फिल्मोत्सव सात दिनों का है. इसमें महिलाओं पर केंद्रित बेहतरीन फिल्मों की प्रस्तुति दी जाएगी. कार्यक्रम कराने का उद्देश्य महिलाओं को फिल्म के जरिए आत्मनिर्भर बनाने के साथ उनके अंदर आत्मविश्वास पैदा करना है"- वंदना प्रेयसी, कला संस्कृति युवा विभाग की सचिव

पहले दिन 'सीता के बदलते रूप' का प्रदर्शन: महोत्सव के दौरान दिखाई जाने वाली लोकप्रिय फिल्मों में 'सीता के बदलते रूप' का आज मगध महिला कॉलेज की छात्रों के बीच प्रदर्शन किया गया. तीन और चार फरवरी को चाणक्य राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में 'फेस कवर' (तमिल, श्रीलंका) 'द सिटी दैट स्पोक टू मी' (हिंदी) प्रदर्शित की जाएगी. सात फरवरी को चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान में 'बिफोर यू वेयर माय मदर' (नेपाली, मणिपुरी, नेवारी), 'फ्लेम्स ऑफ ए कंटीन्यूअस फील्ड ऑफ टाइम' (नेपाली) दिखाई जाएगी. आठ और नौ फरवरी को राष्ट्रीय फैशन तकनीक संस्थान में 'डिकोडिंग जेंडर' (बांग्लादेश) दिखाया जाएगा.

बिहार की फिल्म नीति का होगा प्रचार-प्रसारः बिहार के कला और संस्कृति मंत्री जितेंद्र कुमार राय ने इस दौरान कहा कि इस आयोजन का मकसद है कि बिहार की फिल्म नीति का प्रचार प्रसार हो. दर्शक विभिन्न देशों की संस्कृति, परिवेश, विरासत, कला और कहानियों के बारे में जान सके. बिहार में फिल्म नीति को लेकर के जो चर्चाएं हो रही है. सिंगल विंडो क्लीयरेंस प्रणाली शुरू करेंगे, इस बारे में लोग जाने. जिन फिल्मों को लोग हॉल में नहीं देख पाते हैं, वैसी फिल्मों को महिआ व छात्राएं यहां आकर देख पाएंगे. इन शाॅर्ट फिल्मों में विदेशों में लोग किस तरह से रहते हैं, उनकी सोच क्या है, इन सब बातों को जान पाएंगे.

"इस आयोजन का मकसद है कि बिहार की फिल्म नीति का प्रचार प्रसार हो. दर्शक विभिन्न देशों की संस्कृति, परिवेश, विरासत, कला और कहानियों के बारे में जान सके. बिहार में फिल्म नीति को लेकर के जो चर्चाएं हो रही है. सिंगल विंडो क्लीयरेंस प्रणाली शुरू करेंगे, इस बारे में लोग जाने. जिन फिल्मों को लोग हॉल में नहीं देख पाते हैं, वैसी फिल्मों को महिआ व छात्राएं यहां आकर देख पाएंगे"- जितेंद्र राय, मंत्री, कला संस्कृति युवा विभाग

क्या सीता आज भी वैसी ही है?: 'सीता के बदलते रूप' की डायरेक्टर पुष्पा रावत ने बातचीत के दौरान बताया कि इस फिल्म का मकसद है कि सीता जिस तरह से पहले थी, उसी तरह आज के जमाने में भी है क्या. पहले सीता धरती में समा गई, तो बस इस फिल्म का मकसद यही है कि क्या हम वही सीता हैं या आगे निकल गए हैं. सीता को कितना स्ट्रगल करना पड़ा फिर भी आज के दौर में भी वही कहानी जारी है. चर्चाएं तो होती है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लेकिन वास्तव में धरातल पर यह कितना हो रहा है यह जगजाहिर है.

इन फिल्मों के देखकर अपना सपना साकार करना सीखेंगी छात्राएंः पुष्पा ने कहा कि मैं यूपी गाजियाबाद की रहने वाली हूं और गाजियाबाद में भी 25 साल बाद महिलाओं के उत्थान के लिए सीता के बदलते रूप को लाया गया, लेकिन इसमें 25 साल लग गए. ऐसे में इस फिल्म को बिहार में दिखाया जा रहा है. इसका एक ही मकसद है कि छात्राएं इस फिल्म को देखें, इससे सीखें कि किस तरह से अपने सपनों को साकार किया जा सकता है. उन्होंने बिहार सरकार को धन्यवाद भी दिया कि इस फिल्म महोत्सव में कई फिल्मों को शामिल किया गया है. यह काफी सराहनीय कदम है.

"इस फिल्म का मकसद है कि सीता जिस तरह से पहले थी, उसी तरह आज के जमाने में भी है क्या. पहले सीता धरती में समा गई, तो बस इस फिल्म का मकसद यही है कि क्या हम वही सीता हैं या आगे निकल गए हैं. सीता को कितना स्ट्रगल करना पड़ा फिर भी आज के दौर में भी वही कहानी जारी है" - पुष्पा रावत, 'सीता के बदलते रूप' की डायरेक्टर

Last Updated : Feb 2, 2023, 5:49 PM IST
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