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जिसका 2 साल पहले किया था अंतिम संस्कार, छठ घाट से लौटे तो वह सामने बैठा था, लोग मान रहे चमत्कार

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Published : Nov 5, 2022, 8:47 PM IST

इसबार का छठ पूजा (Chhath Puja 2022) बिहार के पटना के नंदलाल के परिवार लिए कोई चमत्कार (Miracle Of Chhathi Maiya) से कम नहीं रहा. नंदलाल की चार साल की मन्नत पूरी हो गई. छठ घाट से सुबह का अर्घ्यदान कर लौटे तो परिवार के आंखों के सामने वो खुशी थी जिसे पाने के लिए चार साल से छठ मईया से आस लगाए थे. पढ़ें पूरी खबर...

माता पिता के साथ 4 साल पूर्व लापता पुत्र (बीच में)
माता पिता के साथ 4 साल पूर्व लापता पुत्र (बीच में)

पटनाः बिहार के पटना में इसबार छठी मईया ने नंदलाल की चार साल की मन्नत (Son Missing For Four Years Returned) पूरी कर दी. छठी मईया ने ऐसा चमत्कार किया कि पटना के दानापुर रामजी चक निवासी नंदलाल साह के घर (Good News In patna) में खुशियां ही खुशियां छाई रहीं. छठी माई ने बरसों का दुख दूर कर दिया. छठ महापर्व में सुबह का अर्घ्य देकर नंदलाल अपने परिजनों के साथ घर लौटे तो 4 साल पहले लापता हुआ उनका 44 वर्षीय बेटा संजय दरवाजे पर बैठा मिला. उसके बाद लोगों में खुशी का ठिकाना नहीं था. हैरानी इस बात पर हो रही थी कि उसी बेटे का दो साल पहले अंतिम संस्कार भी कर चुके थे. गांव वाले अब इसे छठी मईया का चमत्कार मानकर जय-जयकार कर रहे हैं.

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2 साल पूर्व अंतिम संस्कार कर दिया थाः नंदलाल साह ने बताया कि संजय मानसिक रूप से बीमार हो गया था. 4 साल पूर्व लापता (Man Went Missing Four Years Ago) हो गया था. काफी खोजबीन की पर कहीं कुछ पता नहीं चला. दो साल तक अपने पुत्र की खोज में दर दर भटकते रहे पर नहीं मिला. नंदलाल बताते हैं कि थक हार 2 साल पूर्व बेटे को मरा समझकर उसका सांकेतिक अंतिम संस्कार कर दिया था. पर छठी मईया की कृपा से उसे नजरों के सामने देखा तो विश्वास नहीं हो रहा था.

हर छठ आंखें नम हो जाती थीःं मां विमला देवी कहती है कि वे छठ करती हैं. हर साल अर्घ्य के समय बेटे को याद कर आंखें नम हो जाती थी. पुत्र की काफी खोजबीन की फिर भी कुछ पता नहीं चला. हम लोगों को लगा कि अब मेरा बेटा इस दुनिया में नहीं रहा तो हम लोगों ने 2 साल पूर्व बेटे का अंतिम संस्कार कर दिया. पर मन नहीं मान रहा था. हर साल छठ पूजा में बेटे की कमी महसूस होती थी. छठी माई की कृपा है से भगवान भास्कर ने आंचल को खुशियों से भर दिया.

मानसिक रूप से बीमार थाः संजय मानसिक रूप से बीमार हो गया था दो माह पूर्व केरल के कारण कोटा के एक गैर सरकारी संगठन ने देखभाल के लिए मुंबई के डॉ भरत भवानी ने श्रद्धा पुनर्वास केंद्र में भेज दिया. यहां डॉक्टर उदय सिंह के नेतृत्व में इलाज हुआ. डॉक्टर भरत ने बताया कि काउंसलिंग में संजय मगही में बातचीत करता था. अपना पता रामजीचक व पिता का नाम नंदलाला बताया तो टीम संजय को लेकर पटना पहुंची.

पापा को देख पुत्र-पुत्री लिपटकर खूब रोए: स्वयंसेवक अजय और विकास ने बताया कि 29 अक्टूबर को मुंबई से ट्रेन से चले थे 31 अक्टूबर की सुबह संजय को दानापुर के क्षेत्र में घुमाया लेकिन वह अपना घर नहीं पहचान सका. इसके बाद रामजी चक बाटा दुकान के सामने आटा चक्की के आसपास नंदलाल साव के घर की जानकारी मिली. सभी लोग छठ पूजा में गए हुए थे. घाट से जब लौटे तो खुशी का ठिकाना ही नहीं था. 9 वर्ष की बेटी व 10 वर्षीय बेटा आदित्य अपने पापा को देखकर लिपट गया. ये सब देखकर संजय की मां अंदर ही अंदर छठी माई की जय-जयकार कर रहीं थीं.

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