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बिहार में इस बिल को लेकर एक हुए राजनीतिक दल, BJP-JDU के साथ RJD का भी समर्थन

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Published : Jul 17, 2021, 7:25 PM IST

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कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन तथा बचपन बचाओ आंदोलन द्वारा ट्रैफिकिंग बिल का समर्थन करने की मुहिम चलाई जा रही है. इसे लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने समर्थन का आश्वासन दिया है. तो वहीं सांसद रामकृपाल यादव और पूर्णिया सांसद संतोष कुशवाहा ने भी बिल का समर्थन करने की बात कही.

पटना: संसद के मानसून सत्र (Monsoon Session) में ट्रैफिकिंग बिल (Trafficking Bill) पारित हो जाये इसके लिए मुहिम चलाई जा रही है. बाल अधिकार कार्यकर्ता एवं नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) द्वारा स्थापित संस्था कैलाश सत्यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन (Kailash Satyarthi Children's Foundation) तथा बचपन बचाओ आंदोलन (Bachpan Bachao Andolan) द्वारा बिहार के सभी दलों के सांसदों से मिलकर दलगत मतभेद को दरकिनार कर ट्रैफिकिंग बिल का समर्थन करने की मांग की जा रही है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने बिल का समर्थन करने का आश्वासन दिया है.

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इस कड़ी में बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने समर्थन का आश्वासन दिया तो वहीं भाजपा से पाटलिपुत्र के सांसद रामकृपाल यादव (Ramkripal Yadav) और जनता दल यू के पूर्णिया सांसद संतोष कुशवाहा (Santosh Kushwaha) ने बिल का समर्थन करने की बात कही.

इसके साथ ही बांका से जेडीयू के सांसद गिरधारी यादव (Girdhari Yadav) द्वारा भी बिल का समर्थन किया गया. मधेपुरा से जेडीयू सांसद दिनेश चंद्र यादव (Dinesh Chandra Yadav) ने समर्थन जुटाने वाली इस मुहिम की सराहना की. और कहा कि इस बिल को समझकर, सदन में इसका समर्थन करेंगे.

19 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में तमाम महत्वपूर्ण बिलों के बीच एंटी ट्रैफिकिंग बिल (Anti Trafficking Bill) पर भी चर्चा होनी है. इस बिल का पारित होना सम्पूर्ण मानव जाति और खासकर बच्चों के भविष्य के लिए बेहद आवश्यक है. ऐसे में कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा जबरन बाल मजदूरी और ट्रैफिकिंग के तेजी से बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए राजनीतिक दलों और सांसदों से आगामी मानसून सत्र में फौरन एंटी ट्रैफिकिंग बिल को पारित करने की अपील की गयी है.

इस बिल का पारित होना उन 12 लाख भारतीयों की शानदार जीत कही जाएगी, जिन्‍होंने साल 2017 में सत्‍यार्थी के नेतृत्‍व में देशव्‍यापी ‘भारत यात्रा’ की थी और मजबूत एंटी ट्रैफिकिंग बिल बनाने की अपील की थी. गौरतलब है कि बच्चों के यौन शोषण और ट्रैफिकिंग के खिलाफ 35 दिनों तक चली यह ऐतिहासिक जन-जागरुकता यात्रा तब 22 राज्‍यों से गुजरते हुए 12,000 किलोमीटर की दूरी तय की थी.

कोरोना महामारी ने भारत में सबसे अधिक बच्चों को प्रभावित किया है और खासकर हाशिए के बच्चों की सुरक्षा के खतरों को बढ़ाया है. कोरोना काल में बाल श्रम और बाल दुर्व्‍यापार के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) के सहयोगी संगठन बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) ने कोरोना काल में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की मदद से 9000 से अधिक बच्‍चों को ट्रेनों, बसों और कारखानों से बाल दुर्व्‍यापार से मुक्‍त कराया है.

वहीं पूरे देश से 265 ट्रैफिकर्स को भी गिरफ्तार किया गया है. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि हर दिन आठ बच्चे ट्रैफिकिंग के शिकार होते हैं. राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में ट्रैफिकिंग के शिकार बच्चों की संख्‍या बढ़कर 2,914 हो गई, जो 2018 में 2837 थी. इस तरह एक साल के दौरान पीड़ित बच्चों की संख्‍या में 2.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.

बाल दुर्व्‍यापार की रिपोर्ट दर्ज करने वाले छह शीर्ष राज्‍य हैं-राजस्थान, दिल्ली, बिहार, ओडिशा, केरल और मध्य प्रदेश. देश में गुमशुदा बच्चों की तादाद भी लगातार बढ़ रही है. ज्यादातर गुमशुदा बच्चे ट्रैफिकिंग के ही शिकार होते हैं. एनसीआरबी के अनुसार साल 2019 में 73,138 बच्चों के गुम होने की रिपोर्ट दर्ज की गई.

ट्रैफिकिंग की रोकथाम के लिए कानून, समय पर जांच, ट्रैफिकर्स के लिए सजा और पीड़ितों की सुरक्षा और पुनर्वास अत्यावश्यक है. ऐसे में कैलाश सत्यार्थी ने सभी सांसदों से संसद के आगामी सत्र में एक मजबूत और व्यापक एंटी ट्रैफिकिंग कानून पारित करने का आह्वान किया है.

ट्रैफिकिंग इन पर्सन्‍स (प्रिवेंशन, केयर एंड रिहैबिलिटेशन) बिल 2021, ट्रैफिकिंग से संबंधित विभिन्न अपराधों को शामिल करते हुए और इसके विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देता है. यह कानून ट्रैफिकिंग जैसे संगठित अपराध की कमर तोड़ने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर तीन स्तरीय संस्थागत ढांचों के निर्माण की जरूरत पर बल देता है. यह अपराध की रोकथाम सुनिश्चित करने हेतु आर्थिक, आपराधिक और सामाजिक प्रतिरोध की क्षमता भी पैदा करता है. यह कानून ट्रैफिकिंग की रोकथाम और पीडि़तों के पुनर्वास और संरक्षण को सुनिश्चित करता है.

बता दें कि साल 2018 में तत्कालीन केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने ट्रैफिकिंग ऑफ पर्सन्‍स (प्रिवेंशन, प्रोटेक्‍शन एंड रिहैबिलिटेशन) बिल 2018 को लोकसभा में पेश किया था. लोकसभा में यह बिल पारित हो गया था, लेकिन राज्यसभा में पेश न हो पाने से यह पारित नहीं हो पाया था. 2019 में नई लोकसभा बनने से इसका अस्तित्व खत्म हो गया और अब इसे नए सिरे से संसद में पेश कर लोकसभा और राज्यसभा में पारित कराना होगा.तभी यह बिल कानूनी रूप ले पाएगा.

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