ETV Bharat / state

Bihar Politics : बिहार में तेजी से बदलने वाला है सियासी मौसम, राजद को तेजस्वी की ताजपोशी का इंतजार

author img

By

Published : Feb 14, 2023, 7:45 PM IST

Updated : Feb 14, 2023, 8:30 PM IST

Etv Bharat
Etv Bharat

गुर्दों का प्रत्यारोपण कराकर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव भारत लौट आए हैं. माना जा रहा है कि बिहार लौटने पर राजनीतिक मौसम बदल जाएगा. सिंगापुर जाने से पहले उन्होंने तेजस्वी के हाथ पार्टी के फैसलों की कमान सौंपी थी. उनके वापसी पर माना जा रहा है कि तेजस्वी यादव की ताजपोशी भी संभव है.

लालू के बिहार आते ही बदलेगा सियासी मौसम?

पटना : किडनी ट्रांसप्लांट के बाद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की वतन वापसी हो चुकी है. बिहार की राजनीति के चाणक्य लालू प्रसाद बिहार की राजनीति में पासा पलटने के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. लालू प्रसाद की वतन वापसी से पूर्व तेजस्वी यादव की ताजपोशी और राजनीतिक डील को लेकर बिहार का सियासी पारा सातवें आसमान पर था. सबकी निगाहें अब लालू प्रसाद यादव पर टिकी हैं.

ये भी पढ़ें- Tejashwi Meet Arvind Kejriwal: 'हमें मिलकर देश बचाना है..' CM अरविंद केजरीवाल से मिले तेजस्वी यादव


महागठबंधन में 'अंदर की डील' से घमासान : बिहार के अंदर एक डील को लेकर सियासी संग्राम है. उपेंद्र कुशवाहा लगातार अपने नेतृत्व से यह सवाल खड़े कर रहे हैं कि बंद कमरे में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के बीच क्या डील हुई थी? इसे उजागर किया जाना चाहिए. लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के बीच बंद कमरे में बातचीत हुई थी, उसके बाद से राजद के शीर्ष नेताओं की ओर से तेजस्वी की ताजपोशी को लेकर बयान आने लगे थे.


गर्मजोशी गायब हो गई? : नीतीश कुमार जब महागठबंधन में आए थे तो खूब गर्मजोशी दिखी थी. नीतीश कुमार उद्घाटन और शिलान्यास के मौके पर अपने बराबरी में तेजस्वी यादव को रखते थे. लगातार तेजस्वी को आगे बढ़ाने की बात कहते थे नीतीश कुमार को यह उम्मीद थी कि लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव भाजपा के विरोध में गठबंधन बनाने में कामयाब होंगे और उसका नेतृत्व उन्हें मिलेगा.


नीतीश ने क्यों बदला ट्रैक: चौधरी देवी लाल की जन्म जयंती के मौके पर विपक्षी नेताओं का जमावड़ा लगा लेकिन वहां भी नेता एकजुट नहीं हुए. नीतीश कुमार को तेलंगाना सीएम केसीआर से उम्मीद थी लेकिन उनको बेरुखी का सामना करना पड़ा. के. चंद्रशेखर राव ने नीतीश कुमार को आमंत्रित तक नहीं किया. इससे पहले नीतीश कुमार लगातार यह कह रहे थे कि बजट सत्र के बाद वह देश भ्रमण पर निकलेंगे और भाजपा के विरोध में गठबंधन को आकार देंगे. अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के बाद नीतीश कुमार ने अपना सुर बदला और फिर बिहार यात्रा पर निकल गए. समाधान यात्रा के दौरान नीतीश कुमार बिहार के तमाम जिलों का भ्रमण कर रहे हैं और जनता से भी रूबरू हो रहे हैं.


बीजेपी ने लागाय नीतीश पर बैरियर: समाधान यात्रा के दौरान ही एक बड़ा डेवलपमेंट हुआ और भाजपा ने नीतीश कुमार को दो टूक कह दिया. प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के दौरान दरभंगा में बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने कहा कि अब नीतीश कुमार की एनडीए में एंट्री नहीं हो सकती है. किसी भी सूरत में बिहार के अंदर भाजपा और जदयू से गठबंधन नहीं करेगी. नीतीश कुमार के लिए यह बयान झटका से कम नहीं था. पलटवार करते हुए नीतीश कुमार ने भी कहा कि मर जाएंगे लेकिन भाजपा के साथ नहीं जाएंगे.

तेजस्वी के लिए कुर्सी 2025 तक व्यस्त: जब महागठबंधन में नीतीश कुमार की वापसी हो रही थी तब बंद कमरे में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच मसौदा तैयार हुआ था. उसके बाद से राजद नेता आक्रमक थे और लगातार तेजस्वी यादव को सीएम बनाने की वकालत कर रहे थे. कुछ दिनों के बाद नीतीश कुमार ने अपने इरादे जाहिर कर दिए और कहा कि 2025 में नेतृत्व तेजस्वी यादव करेंगे मतलब साफ है कि 2025 तक वह मुख्यमंत्री के कुर्सी पर बने रहना चाहते हैं.


अमित शाह से नीतीश की बातचीत का माजरा क्या है? : राष्ट्रीय जनता दल पर दबाव बनाने के लिए नीतीश कुमार ने व्यक्तिगत बातचीत को भी पब्लिक डोमेन में ला दिया. नीतीश कुमार ने कहा कि मेरी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी से बात हुई है. नीतीश कुमार ने बयान देकर राजद को मनोवैज्ञानिक दबाव में लाने की कोशिश की है. राजद खेमे में जदयू के रुख से नाराजगी है, तेजस्वी यादव के लिए जहां उद्घाटन शिलान्यास के मौके पर अलग रिबन लगवाया जाता था, अब वहीं तेजस्वी यादव के नाम तक शिलापट्ट से गायब कर दिए जा रहे हैं. राजद कोटे के मंत्रियों का नाम शिलापट्ट में नहीं लिखवाया जा रहा है. कई बार तो विभागीय मंत्री को कार्यक्रम में आमंत्रित भी नहीं किया जाता. जबकि लालू प्रसाद यादव की वतन वापसी हो चुकी है.


शाह से बातचीत पर आरजेडी ने ये बोल दिया: नीतीश कुमार ने औरंगाबाद में कहा कि गवर्नर की नियुक्ति को लेकर गृह मंत्री अमित शाह से हमारी बातचीत हुई थी. नीतीश कुमार ने संदेश देने की कोशिश की कि भले ही बिहार भाजपा की ओर से नो एंट्री की बात कही गई है, लेकिन केंद्र के नेता से उनके अच्छे संबंध हैं. राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा है कि राजद का हर कार्यकर्ता और नेता चाहता है कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनें, लेकिन अभी गठबंधन की सरकार है. भाजपा को दूर रखने के लिए हम लोगों ने नीतीश कुमार को नेतृत्व सौंपा है. जहां तक सवाल अमित शाह जी से बातचीत का है तो वह एक संवैधानिक प्रक्रिया के तहत हुई है. संघीय ढांचे में यह रूटीन प्रक्रिया है.


बीजेपी का नीतीश पर वार: भाजपा के वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी ने कहा है कि- ''नीतीश कुमार का अब भाजपा में एंट्री नहीं हो सकती है. तेजस्वी यादव स्वच्छंद होकर काम करें उन्हें दबाव में आने की कोई जरूरत नहीं है.'' वहीं, वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि- ''नीतीश कुमार वैकल्पिक राजनीति लिए जाने जाते हैं. जब उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा विरोधी खेमे का नेता नहीं माना गया तब उन्होंने बिहार में ही बने रहने का फैसला लिया. वह लगातार इस कोशिश में है कि मुख्यमंत्री के पद पर बने रहें.''


बदलने वाला है बिहार का राजनीतिक मौसम? : राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का मानना है कि- ''लालू प्रसाद यादव राजनीति को अपने हिसाब से मोड़ने के लिए जाने जाते हैं. निश्चित तौर पर नीतीश कुमार पर तेजस्वी के लिए कुर्सी छोड़ने का दबाव बनेगा. लालू यादव के सामने कई तरह के विकल्प हैं, या तो नीतीश कुमार स्वेच्छा से तेजस्वी यादव के लिए कुर्सी छोड़ सकते हैं या फिर ऐसी परिस्थिति का निर्माण लालू प्रसाद यादव के द्वारा किया जा सकता है, जिससे कि उन्हें कुर्सी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़े.''

Last Updated :Feb 14, 2023, 8:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.