संपूर्ण क्रांति के 47 साल: जब जेपी आंदोलन से घबरा गई थीं 'आयरन लेडी'

author img

By

Published : Jun 5, 2021, 7:12 PM IST

Updated : Jun 5, 2021, 7:30 PM IST

पटना
पटना ()

5 जून 2021 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति को 47 साल पूरे हो गए. जेपी ने इंदिरा गांधी को कश्मीर मुद्दे पर खत लिखते हुए कहा था कि आरएसएस मुझे ऐसे ही गद्दार समझता है, जैसे नाथूराम गोडसे महात्मा गांधी को गद्दार समझता था.

पटना: भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और जननेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी की नीतियों के विरोध में ऐसा आंदोलन खड़ा किया, जिससे देश की राजनीति ही बदल गई थी. संपूर्ण क्रांति की चिंगारी पूरे बिहार से फैल कर देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी और जनमानस जेपी के पीछे चलने को मजबूर हो गये. अपने भाषण में जयप्रकाश नारायण ने कहा-'भ्रष्टाचार मिटाए, बेरोजगारी दूर किए, शिक्षा में क्रांति लाए बगैर व्यवस्था परिवर्तित नहीं की जा सकती.'

ये भी पढ़ें- 47 साल पहले JP ने 'संपूर्ण क्रांति' का नारा देकर कहा था- 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है'

इंदिरा गांधी से मांग लिया था इस्तीफा
जब जेपी ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया, उस समय इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थी. जयप्रकाश की निगाह में इंदिरा गांधी की सरकार भ्रष्ट होती जा रही थी. 1975 में निचली अदालत में इंदिरा गांधी पर चुनाव में भ्रष्टाचार का आरोप साबित हो गया. जयप्रकाश ने उनके इस्तीफे की मांग कर दी. जेपी का कहना था इंदिरा सरकार को गिरना ही होगा. आनन-फानन में इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर दी.

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी

पटना के गांधी मैदान से 'जेपी' की दहाड़
जय प्रकाश नारायण ने पटना के गांधी मैदान से दिल्ली में बैठीं तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी हिला दिया. उन दिनों राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था- 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है'. जब कोई याद करता है तो सिहरन पैदा कर देती है. वो जोश उन लोगों में एक बार फिर भर देती है जो शायद आज के लोगों में नहीं है.

आंदोलन में जयप्रकाश नारायण
आंदोलन में जयप्रकाश नारायण

जेपी को सुनने उमड़ी लाखों की भीड़
गांधी मैदान में जेपी को सुनने के लिए लाखों की भीड़ थी. जेपी ने मैदान के बीचो-बीच बने मंच से लोगों को संबोधित किया था. गांधी मैदान के चारों ओर पुलिस का पहरा था. लोगों ने जेपी की बातों को शांतिपूर्वक सुना था. उन्हें सुनने को लेकर लोग बैरक को भी लांघ कर मैदान में पहुंचे थे. मंच पर जेपी के साथ नाना भाई देशमुख, आचार्य राममूर्ति आदि भी थे. भीड़ के बावजूद लोग अनुशासन में थे.

ये भी पढ़ें- जेपी आंदोलन ने बदली राजनीति की तस्वीर, लेकिन क्रांति के लक्ष्य से आज भी हम दूर

आंदोलन से घबरा गई थीं 'आयरन लेडी'
कहा जाता है कि देश में जेपी का आंदोलन बढ़ रहा था और इंदिरा गांधी के मन में भय पैदा हो रहा था. जानकारों की मानें तो इंदिरा को लगता था कि विदेशी ताकतों की मदद से जेपी देश में आंदोलन चला रहे हैं, जो उनकी कुर्सी छीन सकती है.

लोकनायक जयप्रकाश नारायण (फाइल फोटो)
लोकनायक जयप्रकाश नारायण (फाइल फोटो)

विशाल रैली देख इंदिरा ने लगाया आपातकाल
वो रैली इतनी विशाल थी कि उसकी गूंज प्रधानमंत्री आवास तक पहुंच रही थी. ये रैली जब खत्‍म हुई, तब तक इंदिरा समझ चुकी थीं कि माहौल उनके खिलाफ हो चुका है. कोई और रास्‍ता न देख मजबूरी में उन्‍होंने आपातकाल लगाने का फैसला किया. आधी रात से थोड़ी देर पहले राष्‍ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने देश में आपातकाल की घोषणा की. अखबारों के दफ्तरों की बिजली काट दी गई. विपक्ष के नेता हिरासत में ले लिए गए.

जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में पटना में छात्र आंदोलन
जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में पटना में छात्र आंदोलन

इंदिरा ने जेपी को जेल में डाल दिया
साल 1975 में इंदिरा ने जेपी को जेल में डाल दिया. कभी वे जिस इंदिरा को प्यार से इंदु कहते थे, उसी इंदिरा ने उन्हें जेल भेज दिया क्योंकि वे उस समय इंदु नहीं प्रधानमंत्री थीं और इमरजेंसी की घोषणा कर चुकी थी. अब विरोध करने वालों को जेल जाना था जिनमें ना चाहते हुए भी जेपी का नाम शामिल हो गया. लेकिन जेपी का जेल जाना कभी जाया नहीं गया. जयप्रकाश तो पटना के गांधी मैदान से वो क्रांति की चिंगारी लगा चुके थे, जिसने हक मांगने वाले युवाओं को सड़क पर खड़ा कर दिया.

जेपी की यादें
जेपी की यादें

पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार
जनवरी 1977 आपातकाल काल हटा लिया गया और लोकनायक के संपूर्ण क्रांति आंदोलन के चलते पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार बनी. आंदोलन का प्रभाव न केवल देश में, बल्कि दुनिया के तमाम छोटे-बड़े देशों पर पड़ा. सन 1977 में ऐसा माहौल था, जब जनता आगे थी और नेता पीछे थे. ये जेपी का ही करिश्माई नेतृत्व का प्रभाव था.

ये भी पढ़ें- समाजवादी आंदोलन से निकले नेताओं ने अपनाई 'मैं' की नीति! इन वृक्षों के नीचे नहीं बन सका कोई पेड़

नेहरू ने दिया था गृह मंत्री पद का ऑफर
जानकार बताते हैं कि एक बार प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जेपी को गृह मंत्री का पद ऑफर किया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. सन 1973 में देश महंगाई और भ्रष्टाचार का दंश झेल रहा था. तब जेपी ने 'संपूर्ण क्रांति' का नारा दिया था और बिहार में बड़ा आंदोलन हुआ. जेपी के आंदोलन से भयभीत तत्कालीन मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर ने गोलियां तक चलवा दीं थी. तीन हफ्ते तक हिंसा जारी रही और अर्द्धसैनिक बलों को बिहार में मोर्चा संभालना पड़ा था.

Last Updated :Jun 5, 2021, 7:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.