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RJD advised to BJP: दूसरों के बजाय अपने नेताओं को नसीहत दे BJP

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Published : Jan 18, 2023, 7:19 PM IST

राजद
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रामचरितमानस पर शिक्षा मंत्री के विवादस्पद बयान के बाद राजनीतिक माहौल में गर्माहट बनी हुई है. इसी क्रम में राजद ने बीजेपी को सलाह दी (RJD gave advice to BJP) है कि आस्था पर दूसरों को नसीहत देने के बजाय भाजपा को अपने नेताओं को नसीहत देने की जरूरत है. राजद प्रवक्ता ने कुछ उद्धरण का उल्लेख करते हुए भाजपा नेताओं के बयान को विवादास्पद बताया. पढ़िये पूरी खबर.

पटना: राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन (RJD spokesperson Chittaranjan Gagan) ने बुधवार को एक बयान जारी करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं द्वारा भगवान विष्णु, भगवान राम, मां सीता और महावीर जी को लेकर जब तब अभद्र टिप्पणियां की जाती रही है. उस समय भाजपा चुप्पी क्यों साध लेती है? क्या उस समय लोगों के आस्था पर चोट नहीं पहुंचती है. उन्होंने सवाल उठाये कि, क्या आस्था पर चोट भी राजनीतिक नजरिए के अनुसार ही पड़ती है?

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चितरंजन गगन का बयान.
चितरंजन गगन का बयान.

सीता ने की थी आत्महत्याः राजद प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के सहयोगी और योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्री संजय निषाद ने भगवान राम को राजा दशरथ का पुत्र मानने से इनकार कर दिया था. मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार के मंत्री मोहन यादव ने तो मां सीता को न केवल तलाकशुदा कहा था बल्कि उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि सीता ने आत्महत्या कर ली थी.

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भगवान राम को रम कहा थाः राजद प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने मां सीता के जन्म पर ही सवाल खड़ा कर दिया था. मां सीता को उन्होंने टेस्ट ट्यूब बेबी कहा था. इसी प्रकार नरेश अग्रवाल ने भगवान विष्णु को व्हिस्की, भगवान राम को रम, मां जानकी को जीन और हनुमान जी को ठर्रा कहा था. बाद में भाजपा ने काफी सम्मान के साथ इन्हें पार्टी में शामिल किया और लोकसभा का टिकट देकर पुरस्कृत भी किया था.

नफरत का एजेंडा: राजद प्रवक्ता ने कहा कि जो भाजपा आज गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस की कुछ पंक्तियों के साहित्यिक शब्दार्थ को लेकर बयानबाजी कर रही है, उसकी बोलती तब क्यों बंद हो जाती है जब भाजपा नेताओं द्वारा श्रीरामचरितमानस के कथानक को ही गलत साबित कर दिया जाता है. प्रत्यक्ष रूप से भगवान विष्णु, भगवान राम, मां सीता और महावीर जी के बारे में अमर्यादित टिप्पणी द्वारा आस्था पर प्रहार किया जाता है. भाजपा बेवजह किसी बात को जरूरत से ज्यादा तूल देकर लोगों का ध्यान जनसारोकार से जुड़े मुद्दों से हटाकर धर्म के नाम पर घृणा और नफरत के एजेंडे को स्थापित करना चाहती है.

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