पटना: चीन और पाकिस्तान के साथ कई युद्धों में देश की तरफ से दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले रिटायर्ड फौजी अयोध्या साह इन दिनों पीएमसीएच में एडमिट हैं. यह बढ़ती उम्र की अपनी बीमारी से जंग लड़ रहे हैं. 83 वर्षीय अयोध्या साह का पीएमसीएच में हथुआ वार्ड में आम मरीजों के साथ ट्रीटमेंट हो रहा है. ऐसे तो पीएमसीएच में अलग से स्पेशल वार्ड की सुविधा है. लेकिन यह वीआईपी तक ही सीमित है और देश के दुश्मनों से लोहा लेने वाले सिपाहियों के लिए यहां कोई जगह नहीं है.
'सेना में गोला बारूद भंडार में तैनात थे और उनकी पोस्टिंग असम में रही है. वह अपने परिवार से अकेले ही नहीं उनके परिवार के कई सदस्य पूर्व में सेना में रहे हैं और वर्तमान में भी परिवार के कई सदस्य सेना में मौजूद हैं. अस्पताल में उनकी देखभाल के लिए अटेंडेंट के तौर पर उनके इकलौते पुत्र मुकेश साह मौजूद हैं. जो वैशाली जिले में ही पशुपालन विभाग में डाटा एंट्री ऑपरेटर हैं'.-अयोध्या साह, रिटायर्ड फौजी
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'14 जनवरी को उनके पिता को सांस लेने में काफी तकलीफ हो गई. जिसके बाद वह उन्हें पीएमसीएच लेकर पहुंचे. शुरू में इलाज उचित ढंग से नहीं हो रहा था. लेकिन जब मैने अपने पिता का परिचय दिया तो डॉक्टरों ने अच्छी तरह से उन्हे देखा और वर्तमान में उनके पिता की तबीयत में सुधार है. अस्पताल से उन्हें स्पेशल वार्ड की कोई अपेक्षा नहीं है और उनके पिता का आम मरीजों के साथ ट्रीटमेंट हो रहा है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. वह सिर्फ यही चाहते हैं कि उनके पिता स्वस्थ होकर अस्पताल से निकले'.-मुकेश साह, रिटायर्ड फौजी के पुत्र
सेपरेट वार्ड की व्यवस्था
परिजन भले ही अस्पताल की व्यवस्था से संतुष्ट हो लेकिन देश की तरफ से दुश्मन देशों के खिलाफ कई महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ चुके रिटायर्ड फौजी का अस्पताल में आम मरीजों के साथ ही इलाज हो रहा है. उनके लिए अलग से सेपरेट वार्ड की व्यवस्था नहीं की गई. ऐसे में कहीं ना कहीं अस्पताल प्रबंधन के रवैया पर यह प्रश्न चिन्ह उठता है कि ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों के लिए कम से कम अस्पताल प्रबंधन को एक सेपरेट वार्ड की व्यवस्था तो करनी ही चाहिए.
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रिटायर्ड फौजी का कार्यकाल
बता दें कि अयोध्या साह वैशाली जिले के गरौल ब्लॉक के बेलवर गांव के रहने वाले हैं और उन्होंने साल 1962 में चीन के खिलाफ लड़ाई लड़ी है इसके अलावा 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ और 1971 में बांग्लादेश के निर्माण के समय पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध लड़ी है. इसके अलावा उन्होंने कारगिल युद्ध शुरू होने से पूर्व 1998 में भी पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. देश के दुश्मनों से लड़ने में कई बार दुश्मनों के दांत खट्टे कर चुके 83 वर्षीय अयोध्या साह का पीएमसीएच में हथुआ वार्ड में आम मरीजों के साथ ट्रीटमेंट हो रहा है. वैसे तो पीएमसीएच में अलग से स्पेशल वार्ड की सुविधा है, लेकिन यह वीआईपी तक ही सीमित है और देश के दुश्मनों से लोहा लेने वाले सिपाहियों के लिए यहां कोई जगह नहीं है.