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Holi 2023 : होली के त्योहार में भांग की परंपरा क्यों? जानें इसका धार्मिक महत्व

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Published : Mar 4, 2023, 11:59 PM IST

Updated : Mar 5, 2023, 6:38 AM IST

होली के अवसर पर रंग, गुझिया और भांग की तिकड़ी बड़ी ही रिझाती है. बिना रंग के होली फीकी है. होली का नशा बिना भांग के अधूरा है. ऐसे में होली और भांग का संबंध काफी पौराणिक है. इसकी कहानी भगवान शिव और भगवान विष्णु से जुड़ी हुई है. तो आइए जानते हैं आखिर होली में भांग कैसे ठंडाई बनकर परंपरा का रूप ले चुकी है. हालांकि इसके सेवन में थोड़ी सावधानी बरतना भी जरूरी है.

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पटना : रंगों का त्योहार होली बड़ी ही धूमधाम से 8 मार्च को मनायी जाएगी. होली अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. अगर बात करें बिहार की तो बिहार की होली सबसे खास होती है. बिहार के लोग होली के मौसम में भांग पीने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. भांग पीकर लोग मस्त मौला होते हैं और अपने अंदाज में होली का त्यौहार मनाते हैं. इस दिन भांग पीने का लोगों को बहाना चाहिए. कहा जाता है कि भांग-गांजा भगवान भोलेनाथ का प्रसाद है. भगवान भोलेनाथ का प्रसाद समझकर लोग इसका सेवन करते हैं. हम आज आपको बताएंगे कि भांग लोग कब से पीना शुरू किए हैं. इसकी उत्पत्ति कैसे हुई है..

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भांग की कहानी बड़ी पुरानी: आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि होली में भांग पीने की परंपरा तो शुरू से ही है. लेकिन, भगवान शिव और विष्णु से जोड़कर देखा जाता है. भक्त प्रहलाद को मारने के लिए उसके पिता हिरण्यकश्यप ने तरह-तरह की कोशिश की लेकिन सब असफल रहा. इसके बाद हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया. हिरण्यकश्यप को वरदान मिला था कि उसे कोई स्त्री, न कोई पुरुष, ना वो दिन में मरेगा, ना रात में मरेगा. ना घर में मर सकता है ना बाहर मर सकता है. इसको लेकर देवताओं में काफी असमंजस की स्थिति थी. ऐसे में भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए विष्णु भगवान नरसिंह का अवतार धारण किया और हिरण्यकश्यप का वध घर के चौकट पर किया था.

भगवान शिव और विष्णु से जुड़ा है इतिहास: हिरण्यकश्यप वध के बावजूद भी जब विष्णु भगवान का गुस्सा ठंडा नहीं हो रहा था फिर भोलेनाथ ने शरभ अवतार धारण किया और अवतार धारण करने के बाद भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार को हरा दिया. जिसके बाद उनका गुस्सा शांत हुआ. भगवान भोलेनाथ की जीत के बाद खुशी पूर्वक इंद्र आदि देवता ने कैलाश पर खुशी पूर्वक उत्सव मनाया और उस दौरान भगवान भोलेनाथ पर भांग चढ़ाया गया. भोलेनाथ का प्रसाद समझकर के लोगों को भी बांटा गया और लो भांग पीकर शिव भक्ति में झूमने लगे. उसी समय से ही भांग का प्रचलन हुआ.

भगवान शिव को प्रिय है भांग: इसके साथ मनोज मिश्रा ने कहा कि एक कथा और जुड़ा हुआ है कि जब समुंद्र मंथन हो रहा था तो समुद्र मंथन में अमृत से लेकर विष निकला था. विष निकलने के साथ ही धरती जलने लगी फिर भोलेनाथ ने उस विष को पी गए जिसे भोलेनाथ के गला जलने लगा और भगवान भोलेनाथ के गर्दन के पास में नीला हो गया और जलन इतनी थी कि भोलेनाथ को मोदक के रूप में भाग दिया गया. जिससे की जलन शांत हुआ और तभी से प्रसाद के रूप में भांग को भोलेनाथ पर अर्पित किया जाता है. उन्होंने कहा कि भांग प्राकृतिक नशा है, जिसको लोग अब प्रसाद के रूप में सेवन करने लगे हैं. हालांकि ज्यादा मात्रा में प्रसाद के रूप में भांग को नहीं खाना चाहिए, ये शरीर के लिए हानिकारक है.


होली में भांग वाली ठंडाई पिलाने का चलन: बता दें कि होली में लोग खास करके इस पर्व पर भांग की ठंडाई बनाकर पीते हैं. बच्चों से लेकर के बुजुर्ग तक इस ठंडाई का स्वाद चखकर होली के रंग में झूमते हैं. पटना के विभिन्न चौक चौराहों पर होली का मौसम शुरू होने के साथ ठंडाई बिकने लगता है. बोरिंग रोड चौराहा स्टेशन गोलंबर डाकबंगला चौराहा पर विशेष रूप से ठंडाई की बिक्री की जाती है. लेकिन ठंडाई छिपा के ही लोग के द्वारा बेचा जाता है. होली मिलन कार्यक्रम में भी भांग की ठंडाई लोगों को पिलायी जाती है. ठंडाई में लोग दूध, काजू, किसमिस और तरह-तरह के पेय पदार्थ मिलाकर इसका सेवन करते हैं. इसलिए होली के त्यौहार बिना भांग के अधूरा सा लगता है.

ज्यादा भांग खाने वाले सावधान: बिहार में शराबबंदी भी है, तो लोग भांग का सेवन खूब करते हैं. भांग का सेवन करना कितना हानिकारक है या कैसे नशा चढ़ता है? ऐसे में डॉक्टर राणा एसपी सिंह का कहना है कि बहुत ज्यादा ठंडाई असर नहीं करती है. अगर उसमें पौष्टिक आहार के साथ भांग को बारीकी से पीसकर ठंडाई बनाई जाए तो काफी स्वादिष्ट होती है. भाग को ज्यादा नहीं पीना चाहिए. क्योंकि नशा चढ़ने के बाद शरीर भारी हो जाता है. आंख में लाली आजाती है. अक्सर सोने पर ऐसा लगता है कि आपका दिमाक घूम रहा है. आपका शरीर बिस्तर से ऊपर उठकर उड़ता जा रहा है. इसलिए भांग का ज्यादा सेवन करना शरीर के लिए हानिकारक है.

''भांग खाने से शरीर का नियंत्रण खत्म हो जाता है. इससे कई बार खतरनाक स्थिति हो जाती है. जिससे लोगों को अस्पताल भी जाना पड़ जाता है. इसलिए जो लोग भी सेवन करते हैं कोशिश करें कि कम मात्रा में इसका सेवन करें. क्योंकि भांग का नशा तुरंत नहीं चढ़ता है. 2 से 3 घंटे के बाद धीरे-धीरे नशा चढ़ता है. लेकिन होली के समय में भांग और ठंडाई का प्रचलन बढ़ जाता है. जिससे लोग सेवन करते हैं और मस्त मौला होकर होली मनाते हैं.'' डॉ राणा एसपी सिंह, चिकित्सक


Last Updated : Mar 5, 2023, 6:38 AM IST
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