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बिहार में कोरोना से कम मौत की क्या है वजह, पढ़ें

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Published : Oct 23, 2020, 10:16 PM IST

पटना के चर्चित फिजिशियन डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी बिहार में करोना से मौत की रिपोर्ट पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि बहुत सारे मरीजों की मौत प्राइवेट अस्पतालों में हुई है. जिसका आंकड़ा सरकार के पास नहीं है.

बिहार में कोरोना
बिहार में कोरोना

पटना: मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में बिहार काफी पिछड़ा राज्य माना जाता है. राज्य में गुणवत्ता पूर्ण अस्पतालों की काफी कमी है. बिहार देश का सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य भी है. बावजूद इसके कोरोना संक्रमण से राज्य में मौतों का आंकड़ा काफी कम है. संक्रमण के मामले राज्य में भले ही दो लाख से अधिक हो, मगर मौतों का आंकड़ा अभी तक 1017 ही है.

कोरोना के बाद बढ़ी स्वास्थ्य सेवाएं
भारत के ऐसे राज्य जहां मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर काफी मजबूत माने जाते हैं. जैसे मुंबई, दिल्ली और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में कोरोना से काफी अधिक मौतें हुई हैं. बिहार में कोरोना से लड़ाई में अब तक जो कुछ भी परिणाम सामने आए हैं, वह कहीं ना कहीं यह संतोषप्रद है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार चुनावी सभाओं में खुले तौर पर कोरोना से लड़ाई में बिहार की विशेष मदद करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है. बिहार जहां अस्पतालों में वेंटिलेटर की काफी कमी थी और कोरोना संक्रमण से पहले राज्य के प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों को मिलाकर जहां बमुश्किल 400 के करीब वेंटिलेटर की सुविधा थी. वहीं कोरोना के बाद प्रधानमंत्री ने पीएम केयर की तरफ से राज्य को काफी वेंटिलेटर उपलब्ध कराए हैं. राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध कराई गई है.

पेश है रिपोर्ट

सरकारी आंकड़ों पर सवाल
इस संबंध में पटना के मशहूर फिजिशियन डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने मौत के आंकड़ों पर आपत्ति दर्ज की है. डॉ. दिवाकर ने कहा कि कोरोना से मोर्टिलिटी की बहुत सारे रिपोर्टिंग बहुत प्रभावी नहीं है. कई मामलों में मृत्यु का कारण उल्लेखित नहीं रह रहा है. कोरोना के कारण लोगों में कोमोरबिडिटी के मामले बढ़े हैं और देखने को यह मिल रहा है कि किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस हुआ और 1 महीने के अंदर उसे ब्रेन हेमरेज हो गया या फिर कार्डियक अरेस्ट के शिकार हो गए. जिससे उनकी जान चली गई. ऐसे मामलों में मृत्यु के कारण ब्रेन हेमरेज या फिर कार्डियक अरेस्ट बताए जा रहे हैं, जबकि मृत्यु की असली वजह कोरोना है. क्योंकि कोरोना के कारण लोगों में कोमोरबिडिटी आ रही है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा यह भी देखने -सुनने को मिल रहा है कि आए दिन विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना से मरीजों की मौत हो रही है. जिसे सरकारी आकड़ों में दर्ज नहीं किया जा रहा है.

'बिहार के लोगों की इम्यूनिटी है कम मौत की वजह'
वहीं, पटना स्थित पीएमसीएच के कोविड-19 वार्ड के प्रभारी चिकित्सक डॉक्टर अरुण अजय ने बताया कि बिहार में रिकवरी रेट 94.32 फीसदी है. जबकि महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में रिकवरी रेट 82- 83 फीसदी के आसपास है. उन्होंने कहा कि यह देखने को मिल रहा है कि कोरोना के मामले अधिकतर अपर मिडिल क्लास के लोगों और हाई क्लास के लोगों में देखने को मिल रहे हैं और इसका मुख्य वजह खानपान और इम्यूनिटी है. उन्होंने कहा कि बिहार में निम्न मध्यमवर्गीय और निचले वर्ग शरीर से काफी मेहनत करते हैं और जंक फूड की बजाय ज्यादातर नेचुरल फूड खाना पसंद करते हैं. यही वजह है कि इन लोगों की इम्यूनिटी मजबूत होती है. लिहाजा कोरोना से जंग जीत जा रहे हैं.

'दुरुस्त हैं सरकारी आंकड़े'
डॉक्टर अरुण अजय ने कहा कि महाराष्ट्र की बात करें तो मुंबई और पुणे जैसे शहरों में काफी संख्या में बाहर से लोग आ कर रहे हैं, जो उच्च आय वर्ग के हैं और उनका फिजिकल वर्क नहीं होता है और खानपान भी ठीक नहीं है. जिस कारण इम्यूनिटी कमजोर रहती है. यही वजह है कि उन जगहों पर ज्यादा लोग कोरोना के शिकार हुए हैं. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के अन्य ग्रामीण क्षेत्रों को देखें तो वहां के भी सरकारी अस्पतालों में वहीं आंकड़े मिलेंगे. डॉ. ने बिहार में कोरोना के उचित आंकड़े ना मिलने के सवाल पर कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. क्योंकि यहां कोरोना को लेकर पारदर्शी व्यवस्था अपनाई गई है. रोजाना स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर अपडेट दिया जा रहा है. कितनी टेस्टिंग हुई, कितने पॉजिटिव पाए गए, कितने मरीज सीरियस हैं और कितने की मोत हुई, सभी जानकारियां दी जा रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना से मौत का आंकड़ा राज्य में इसलिए भी कम हुआ क्योंकि शुरुआती लॉकडाउन बिहार में सख्ती से फॉलो किया गया था.

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