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ये सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूलों को भी दे रहा टक्कर, प्रिंसिपल ने बदली तस्वीर

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Published : Aug 26, 2021, 8:16 PM IST

patna school news
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बिहार के सरकारी स्कूलों (Government School) में पढ़ाई और व्यवस्था को लेकर अक्सर सवाल खड़े होते रहते हैं. लेकिन राजधानी पटना से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो सरकारी स्कूलों के बारे में लोगों की राय बदल रही है. दुजरा प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को वो सारी सुविधाएं दी जा रही हैं जो अमूमन प्राइवेट स्कूलों में मिलती है.पढ़ें पूरी खबर..

पटना: बिहार के सरकारी स्कूलों (Bihar Government School) की हालत किसी से छिपी नहीं है. शिक्षकों का स्कूलों से गायब रहना,पढ़ाई में लापरवाही आदि समस्याएं लगभग हर सरकारी स्कूल से सामने आती रहती है. लेकिन राजधानी पटना के दुजरा प्राथमिक विद्यालय (Primary School Dujra Patna) की आज हर कोई प्रशंसा कर रहा है. यह स्कूल प्राइवेट स्कूलों को टक्कर दे रहा है.

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बिहार के बदहाल सरकारी स्कूल की व्यवस्था की तस्वीर पूरी तरह से बदलने का प्रयास राजकीय प्राथमिक विद्यालय दुजरा के प्रिंसिपल बालकेश्वर साव कर रहे हैं. आज से 5 साल पहले उन्होंने इसकी शुरूआत की थी. प्रिंसिपल का प्रयास और उनकी मेहनत आखिरकार रंग लाई और अब लोग इस विद्यालय की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं.

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जो बच्चे स्कूल आने से कतराते थे उनके परिजन खुद बच्चों को स्कूल पहुंचाते हैं. शिक्षक ने शुरुआती दिनों में अपने पैसे से स्कूल का हुलिया बदल दिया. हालांकि सरकार की तरफ से उनको राशि आवंटन की जा रही थी. लेकिन शिक्षक स्कूल को पूरी तरह से बदलना चाहते थे. उनका यह सपना पूरा हो गया है.

मुख्यमंत्री आवास से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर राजापुर दुजरा का राजकीय प्राथमिक विद्यालय है. प्रिंसिपल बालकेश्वर साव जब 5 साल पहले दूसरी जगह से ट्रांसफर होकर इस विद्यालय में नियुक्त किए गए थे तो इस स्कूल की हालत बदतर थी. बच्चों की संख्या तो कम थी ही स्कूल की साफ सफाई और जगह-जगह से फर्श भी उखड़े हुए थे.

स्कूल के बाहर गंदगी फैली रहती थी. लेकिन इन 5 सालों में प्रिंसिपल ने स्कूल की व्यवस्था सुधारने के लिए अथक प्रयास किए. स्कूल में 6 शौचालय बनवाये. बच्चों को शुद्ध पानी के लिए 10 नल लगाए गए. कैंपस में ही तरह तरह के फूल पौधे, आयुर्वेदिक तुलसी के पौधे लगाकर स्कूल की सूरत बदल दी गई.

इस प्राथमिक विद्यालय में सुबह शाम लाउडस्पीकर के माध्यम से बच्चे प्रार्थना करते हैं. स्कूल की घंटी भी आधुनिक हो गई है. नई आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक मॉडल वाली अलार्म लगी हुई है. दीवारों पर भी पेंटिंग करवाई गई है और इस स्कूल के बच्चे भी निजी स्कूल के छात्र जैसे ही शिक्षा लेते हैं.

परिजन का भी यह मानना है कि स्कूल की व्यवस्था काफी अच्छी है. पहले यहां पर अभिभावक अपने बच्चों को भेजना पसंद नहीं करते थे लेकिन जब से प्रिंसिपल बालकेश्वर साव आए हैं तब से बच्चों को सभी अभिभावक भेजना पसंद कर रहे हैं. प्रिंसिपल की भी कोशिश रहती है कि यहां वैसी ही पढ़ाई हो जैसे कि प्राइवेट स्कूलों में होती है. लेकिन दुख की बात यह है कि इस स्कूल में एक ही व्यक्ति के जिम्मे पूरा स्कूल है.

प्रिंसिपल बालकेश्वर साव बच्चों को पढ़ाते भी है. वही जब हमने राजकीय प्राथमिक विद्यालय के प्रिंसिपल से बात की तो उन्होंने बताया कि जो व्यवस्था है वह मेरे तरफ से किया गया है. हालांकि सरकार इसके लिए पैसा देती है.

लाउडस्पीकर के माध्यम से प्रार्थना कराया जाता है ताकि सिर्फ बच्चे ही नहीं बल्कि बच्चों के परिजन भी सुने और समय से अपने बच्चों को स्कूल भेजें और शाम के समय जो प्रार्थना कराई जाती है उससे अभिभावकों को यह पता चल जाए कि अब छुट्टी होने वाली है. परिजन भी जागरूक हो तभी तो बच्चे को समय से स्कूल भेज सकेंगे.- बालकेश्वर साव,प्रिंसिपल, राजकीय प्राथमिक विद्यालय दुजरा

प्रिंसिपल का कहना है स्कूल भवन में काफी कुछ व्यवस्था मैंने कर दी है. लेकिन शिक्षकों की कमी से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है. हम ही एक शिक्षक, हेड मास्टर सब कुछ हैं और बच्चे 200 से ज्यादा हैं. ऐसे में पढ़ाई में दिक्कत आती है. सरकार अगर शिक्षक की बहाली स्कूल में कर देती है तो यहां के बच्चे भी किसी प्राइवेट स्कूल के बच्चे से कम नहीं रहेंगे.

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