ETV Bharat / state

तेजस्वी की भविष्यवाणी पर उठ रहे सवाल, दो माह में क्या बदलेगा बिहार?

author img

By

Published : Jul 1, 2021, 10:16 PM IST

Updated : Jul 1, 2021, 10:33 PM IST

विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने दो माह में बिहार सरकार के गिरने की भविष्यवाणी की है. तेजस्वी के दावे पर सवाल उठ रहे हैं क्या बिहार की सियासत में 2 महीने में बहुत कुछ बदल जाएगा?

Tejashwi Yadav and Nitish Kumar
तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार

पटना: बिहार की राजनीति आजकल एक ऐसे समय की सियासी पाबंदी का ताना-बाना ओढ़ ली है, जिसमें बिहार में बदलाव और नए बिहार को बनाने के लिए सब कुछ बदल देने की सियासत जोरों पर है. विगत 2 महीने में बिहार की राजनीति में जो हुआ है और 2 महीने के लिए जिस नई राजनीति को खड़ा करने का समय रखा गया है वह काफी अहम है. हालांकि जब नेता सियासत करते हैं तो काम करने के लिए समय मांगते हैं और चर्चा आम यही होती है काम करना है.. महीने दो... 2 महीने..

यह भी पढ़ें- मदन सहनी के इस्तीफे पर बोले तेजस्वी- 'भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह हैं नीतीश'

तेजस्वी ने की थी सरकार गिरने की भविष्यवाणी
हालांकि इस बार जिस 2 महीने को बिहार की राजनीति में ज्यादा मजबूती से समझने की कोशिश हो रही है वह राष्ट्रीय जनता दल के कर्ताधर्ता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) का बयान है. बिहार की सियासत में 2 महीने में बहुत कुछ बदल जाएगा. दरअसल यह सवाल इसलिए भी अहम हो गया है कि लालू यादव (Lalu Yadav) के जेल से बाहर आने के बाद तेजस्वी यादव पूरे 2 महीने बिहार से बाहर रहे. जब 2 महीने बाद बिहार लौट कर आए तो उन्होंने कहा कि 2 महीने में नीतीश की सरकार गिर जाएगी.

बिहार की राजनीति में नहीं सब कुछ ठीक
राजनीतिक समीक्षक और विश्लेषक इस बात की उस हर कड़ी को जोड़ने लगे हैं जो तेजस्वी यादव ने कहा था. बिहार की राजनीति में दिल्ली तक दौड़ लगा रहे सभी नेताओं का कोई न कोई एक ऐसा समीकरण है जो बिहार के आम जनता को बिना चश्मे के सीधा तो नहीं दिख रहा है, लेकिन जो देखने की कोशिश हो रही है उसमें विपक्ष ने आंखें गड़ा रखी है. सत्तापक्ष ने आंखें ठीक करवा ली है लेकिन बिहार की राजनीति में सब कुछ ठीक नहीं है. यह भी 2 महीने की ही बात है.

तेजस्वी की होगी अग्नि परीक्षा
राष्ट्रीय जनता दल जुलाई महीने में अपना 24वां वर्षगांठ मनाएगा. बिहार की सियासत में यह बात शुरू हो गई है कि दो और दो करते 24 तक राजद की राजनीति पहुंच गई. राष्ट्रीय जनता दल जिस अंक को अपने नए स्थापना दिवस के रूप में मनाने के लिए एड़ी चोटी का जोर एक कर रहा है वही गणित तेजस्वी की सियासत की सबसे बड़ी अग्नि परीक्षा भी है. दरअसल 2024 से बिहार की सियासत फिर चुनाव में जाएगी और उसके लिए अभी से तैयारी सरजमी पर उतारना शुरू कर दिया गया है. जून में तेजस्वी यादव लौटे थे तो उन्होंने दो महीने की बात कही थी. जुलाई में राजद जो रणनीति अपने स्थापना दिवस पर बनाएगा वह 2024 के लिए सियासत का सूत्र होगा. इसे 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश की विदाई और तेजस्वी की ताजपोशी का आगाज भी कहा जा रहा है. लेकिन नेपथ्य की सियासत में जो चीजें छिपी हैं वह अभी बहुत कुछ कह रही है, जिसके लिए इंतजार सिर्फ 2 महीने का है.

राजनैतिक परिचर्चा में होगा उत्तर प्रदेश चुनाव
उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव भी अगले 2 महीने में पूरे तेवर के साथ राजनैतिक परिचर्चा में होगा. इस 2 महीने के बीच दिल्ली से लेकर बिहार और उत्तर प्रदेश की सियासत में जिन चीजों को जोड़ा घटाया जा रहा है उसमें कुछ लोग साथ आ रहे हैं कुछ लोग नाराज हो रहे हैं. नीतीश कुमार दिल्ली गए तो बीजेपी के किसी नेता से मुलाकात नहीं हुई, लेकिन जीतन राम मांझी दिल्ली गए तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ देश के गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के रणनीतिकार के साथ लंबी वार्ता हुई. तय कर दिया गया कि अगले 2 महीने में उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले एक नया राजनीतिक उत्तर तो आ ही जाएगा.

मजबूत उम्मीदों की कमजोर नीति पर खड़े समझौते का जो मसौदा और फार्मूला तैयार किया जा रहा है उसका भी उत्तर आ जाएगा. यहीं से बिहार में नए विरोध और विभेद की सियासत भी शुरू हो जाएगी. क्योंकि उत्तर प्रदेश में तेजस्वी वाली राजद लड़ेगी नहीं, मांझी मानेंगे नहीं, मुकेश सहनी कार्यालय खोलने के लिए चले गए हैं. ऐसे में 2 महीने इसलिए भी काफी अहम हैं कि यहां से नई राजनीतिक धारा कोई न कोई नया रंग लेगी ही.

काफी अहम हैं दो महीने
बिहार में जो राजनीतिक हालात हैं इसके 2 महीने के पूरे सियासी कर्म को देखें तो तेजस्वी यादव की पार्टी राजद फिर भी मजबूती से टिकी हुई है, लेकिन बीजेपी, जदयू, लोजपा, हम और वीआईपी की बात करें तो कोई ना कोई अपने यहां फंस ही जा रहा है. लोजपा के मामले पर जदयू और बीजेपी के भीतर कोल्ड वार चल रहा है. उत्तर प्रदेश चुनाव में जाने के लिए मांझी और नीतीश के बीच वाक युद्ध मचा हुआ है. जीतन राम मांझी उत्तर प्रदेश चुनाव में जाएंगे यह उन्होंने तय कर दिया है. जदयू के बीच एक विभेद खड़ा हो गया है. जदयू के एक एमएलसी नाराज हैं. उन्हें मनाने के लिए राजपूतों का पूरा कुनबा लगा हुआ है. नीतीश कुमार के एक मंत्री ने यह कहकर इस्तीफा दे दिया कि उनकी बात तो सुनी ही नहीं जा रही है. अब इस सियासत को अगले महीने कौन सा राजनैतिक रंग मिलेगा कहना मुश्किल है, लेकिन दो महीने काफी अहम हैं यह बिल्कुल सही है.

तेजस्वी यादव ने जिस 2 महीने के समय को बिहार के सामने रखा है उसमें सियासी बदलाव की कोई कहानी होगी यह तो पूरे तौर पर नहीं कही जा सकती, लेकिन राजनीति में जो पटकथा लिखी जा रही है और कैनवास पर उसका जो रंग उतर रहा है उससे एक बात तो साफ है कि बाहर कही जाने वाली बातें चाहे जैसी हों लेकिन अंदर जो तैयारी चल रही है वह वैसी तो जरूर है जो हर मन को कचोट रही है. हर मन उसके लिए अपने हिसाब की मनमर्जी करने को भी तैयार है. अब अब देखने वाली बात यह होगी कि सियासत जिस दो महीने की बात कर रही है वह क्या क्या देती है.

यह भी पढ़ें- ये दिल्ली वाले चाहते क्या हैं? मांझी को गले लगाया, नीतीश को देखने तक नहीं गए

Last Updated : Jul 1, 2021, 10:33 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.