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बिहार: शराबबंदी के बाद दूसरे नशे की ओर बढ़ रहे युवा, जागरूकता बढ़ाने की जरूरत

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Published : Jul 28, 2019, 7:23 PM IST

नशामुक्ति के क्षेत्र में कई सालों से काम रही राखी शर्मा ने बताया कि शराबबंदी लागू होने के बाद कुछ महीनों तक आंकड़ो में भारी गिरावट आई थी. लेकिन उसके बाद युवा वर्ग अपने को दूसरे नशा की ओर स्विच कर रहे हैं.

नशा

पटना: राज्य सरकार ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू करके नशामुक्त समाज बनाने की ओर एक अच्छी पहल की है. लेकिन नशा के कारोबार से जुड़े लोगों ने सरकार के सपने को चकनाचूर करने की मानो कसम खा रखी है. शराबबंदी के बाद युवा अब गांजा और स्मैक की गिरफ्त में पड़ते जा रहे हैं. इसने सरकार के लिए चिंता बढ़ा दी है.

पटना से खास रिपोर्ट

1 अप्रैल 2016 को शराबबंदी की घोषणा के बाद लोगो में उम्मीद जगी थी की नशामुक्ति को लेकर समाज मे बेहतर माहौल बनेगा. राज्य की नई तस्वीर बनेगी. लेकिन नशामुक्ति केंद्र के ताजा रिपोर्ट से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. रिपोर्ट की माने तो शराबबंदी के बाद अल्कोहल एडिक्टेड के मामले में गिरावट भले ही आई हो. लेकिन गांजा, इंजेक्शन, टेबलेट, वाइटनर और स्मैक जैसे नशों के मामले काफी बढ़ रहे हैं.

ये हैं कुछ आंकड़ें

वर्ष 2016 2017 2018
हेरोइन/स्मैक 45 90 176
अल्कोहल 2325 1595 1130
गांजा/चरस/भांग 940 1480 2276
इंजेक्शन 30 55 72
व्हाइटनर 98 160 234

'युवा वर्ग करे रहे हैं दूसरे नशा की ओर स्विच'
नशामुक्ति के क्षेत्र में कई सालों से काम रही राखी शर्मा ने बताया कि शराबबंदी लागू होने के बाद कुछ महीनों तक आंकड़ों में भारी गिरावट आई थी. लेकिन उसके बाद युवा वर्ग अपने को दूसरे नशा की ओर स्विच ओवर करते हुए इंजेक्शन, टेबलेट, वाइटनर और स्मैक की लत में पड़ गए. ये सरकार के लिए अलार्मिंग है. उन्होंने कहा कि सरकार को इसको नियंत्रण करने लिए पड़ोसी राज्य से आ रहे नशीले पदार्थ को रोकना होगा. साथ ही युवाओं को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने की जरूरत है.

'अभिभावक बच्चों की हर गतिविधियों का रखें ध्यान'
राखी शर्मा ने कहा कि न्यू जेनरेशन के बीच स्मैक जैसे नशीले पदार्थों को पहुंचाया जा रहा है. जो बेहद खतरनाक हैं. बहरहाल बच्चे नशे की लत में ना पड़ें, इसके लिए अभिभावक को अपने बच्चों की हर गतिविधियों के साथ उसके दोस्तों के बारे में भी जानकारी रखनी चाहिए. क्योंकि बच्चा बुरी लत में पड़ जाता है और घरवालों को कुछ पता नहीं होता. जबतक उन्हें पता चलता है, बहुत देर हो चुकी होती है.

Intro:शराब की लत छुटी तो गांजा और स्मैक के गिरफ्त हो रहे है लोग..आंकड़े सरकार की बढ़ा सकती है चिंता।


Body:राज्य सरकार बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू करके नशामुक्त समाज बनाने की ओर अभी पहल कदम बढ़ाया ही था की नशा के कारोबार जुड़े लोगों ने सरकार के सपने को चकनाचूर करने का मानो कसम खा रही हो...तभी तो शराब का लत रखने वाले लोग अब गांजा और स्मैक की गिरफ्त में पड़ते जा रहे है....जो सरकार के लिए चिंता का सबब बनती जा रही है। 1 अप्रैल 2016 को शराबबंदी की घोषणा के बाद लोगो में उम्मीद जगी थी की नशामुक्ति को लेकर समाज मे बेहतर माहौल बनेगा..और राज्य की नई तस्वीर बनेगी...लेकिन नशामुक्ति केंद्र के ताजा रिपोर्ट से कई तरह के सवाल उठ रहे है...रिपोर्ट की माने तो शराबबंदी के बाद अल्कोहल एडिक्टेड के मामले में गिरावट भले ही आई हो...लेकिन गांजा,इंजेक्शन,टेबलेट,वाइटनर और स्मैक के मामले काफी बढ़े है। 2016 2017 2018 हेरोइन/स्मैक----------45 90 176 अल्कोहल----------2325 1595 1130 गांजा/चरस/भांग----940 1480 2276 इंजेक्शन--------------30 55 72 व्हाइटनर--------------98 160 234 नशामुक्ति के क्षेत्र में कई सालों से काम रही राखी शर्मा ने की मानें तो शराबबंदी लागू होने बाद कुछ महीनों तक आंकड़ो में भारी गिरावट आई थी..लेकिन उसके बाद युवा वर्ग अपने को दूसरे नशा की ओर स्विच ओवर करते हुए इंजेक्शन,टेबलेट,वाइटनर और स्मैक की लत में पड़ गए..जो अलार्मिग है। वही उन्होंने कहा की सरकार इसको नियंत्रण करने लिए पड़ोसी राज्य से आ रहे नशीली पदार्थ को रोका जाएं और युवाओं को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने की जरूरत है..वही उन्होंने कहा न्यू जेनरेशन के बीच स्मैक जैसे नशीली पदार्थो को इंट्रोड्यूज किया जा रहा है। बहरहाल बच्चे नशे की लत में ना पड़े..इसके लिए अभिभावक को अपने बच्चों की हर गतिविधियों के साथ उसके दोस्तों के बारे में जानकारी रखा बहुत जरूरी होता है..क्योंकि कभी कभी बच्चा बुरी लत में पड़ जाता है और उनके घरवालों को कुछ पता नही होता है।जब पता चलता है बहुत देर हो चुका होता है।


Conclusion:
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