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आदेश की अवमानना को लेकर पटना HC ने जताई नाराजगी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को नोटिस

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Published : Mar 2, 2022, 7:58 PM IST

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने सरकार के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाया है. कथित तौर पर गैरकानूनी तरीके से हटाए गए मोतिहारी के लोक अभियोजक (पीपी) जय प्रकाश मिश्र को अदालती आदेश के बाद भी फिर से बहाल नहीं किया गया है. मामले को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है. साथ ही मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को नोटिस जारी किया है. पढ़ें पूरी खबर..

Patna High Court
Patna High Court

पटना: गैरकानूनी तरीके से हटाए गए मोतिहारी के लोक अभियोजक (पीपी) जय प्रकाश मिश्र को अदालत के आदेश के बाद भी अभी तक पद पर बहाल नहीं किये जाने के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की. पटना हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को नोटिस (Patna High Court issued Notice against Principle Secretary Of CM Nitish) जारी किया है. मोतिहारी के लोक अभियोजक जयप्रकाश मिश्रा द्वारा दायर अवमानना के मामले पर जस्टिस पी बी बजन्थरी ने सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि विधि विभाग के संयुक्त सचिव उमेश कुमार शर्मा को खुद ही पहल कर अदालती आदेश का पालन कराना सुनिश्चित करना चाहिए था.

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कोर्ट का कहना था कि विधि विभाग के संयुक्त सचिव को नोटिस जारी करते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा था. कोर्ट ने उनसे यह पूछा था कि अदालती आदेश की अवहेलना के मामले में क्यों नहीं उन्हें जिम्मेवार माना जाए. कोर्ट ने सरकारी वकील को स्पष्ट रूप से कहा था कि अवमानना का यह मामला दोषी पदाधिकारी के विरुद्ध दायर किया गया है. इसलिए, इस मामले को लेकर जिम्मेदार व्यक्ति को स्वयं अदालत में अपना जवाब देना होगा कि उसने अदालती आदेश का पालन निर्धारित अवधि में क्यों नहीं किया.

इससे पहले कोर्ट को सरकार की ओर से बताया गया कि इस मुकदमे से संबंधित फाइल मुख्यमंत्री के यहां लंबित है, इसलिए इसमें अदालती आदेश का पालन नहीं हो सका है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए विधि विभाग के संयुक्त सचिव को 21 दिसंबर 2021 को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी के आदेश को एक सप्ताह में वापस लेते हुए तत्काल प्रभाव से इनकी नियुक्ति मोतिहारी के पीपी के पद पर करने का पत्र जारी कर दें.

इस अदालती आदेश में दिए गए निर्धारित अवधि के बीत जाने के बाद भी जब याचिकाकर्ता की नियुक्ति नहीं की गई, तो अदालती आदेश की अवमानना का यह मामला हाईकोर्ट में दायर किया गया था. इस मामले पर अगली सुनवाई दस दिनों के बाद होगी.

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