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एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरणा लेकर ये किसान उपजा रहा है 'काला गेहूं', जानें पूरी कहानी!

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Published : Jul 1, 2019, 2:24 PM IST

Updated : Jul 1, 2019, 2:38 PM IST

किसान

ब्लैक व्हीट कैंसर, डायबिटीज और दिल की बीमारियों में मददगार साबित हो सकता है. यही कारण है कि काला गेहूं बहुत महंगा बिकता है.

पटना: परंपरागत खेती से किसानों को हो रहे घाटे को कम करने के लिए कृषि वैज्ञानिक अथक प्रयास कर रहे हैं. इस क्रम में ब्लैक व्हीट यानि काले गेहूं का पैदावर शुरू किया गया है. पटना जिले के एक किसान ने इस गेहूं का सफल उत्पादन कर अन्य किसानों के लिए मिसाल कायम किया है.

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हो रही अच्छी पैदावार
पटना जिले के बिहटा स्थित डिहरी गांव निवासी गिरेन्द्र नारायण शर्मा ने काले गेहूं का सफल उत्पादन किया है. उन्होंने परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक खेती में एक नया उदाहरण दिया है. जिससे इलाके के किसानों में ब्लैक व्हीट देखने और उसे उपजाने को लेकर होड़ मची है. मालूम हो कि इसमें फायदा ज्यादा है इसलिए किसान इस ओर आकर्षित हो रहे हैं.
गिरेन्द्र नारायण यादव की कहानी

कैसे उगाए काला गेहूं ?
बताया जाता है कि ब्लैक व्हीट को उपजाने की प्रक्रिया बिल्कुल आम गेहूं की तरह ही है. साथ ही उत्पादन भी समतुल्य है. इसमें एक खास बात यह है कि यह गेहूं बिकता मंहगा है, इसलिये फायदे का सौदा है. ब्लैक व्हीट के बारे में यह दावा है कि यह गेहूं आम गेहूं के मुकाबले कई गुना पौष्टिक है. ब्लैक व्हीट कैंसर, डायबिटीज और दिल की बीमारियों में मददगार साबित हो सकता है. यही कारण है कि काला गेहूं बहुत मंहगा बिकता है.

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किसानों को होगा फायदा

क्यों है फायदे का सौदा ?
कहते है इस गेहूं के लिए किए गए दावों में भी काफी हद तक सच्चाई है. दरअसल काले गेहूं में एंथोसायनिन नामक पिग्मेंट होते हैं. इसी एंथोसायनिन की अधिकता से फलों, सब्जियों और अनाजों का रंग नीला, बैगनी या काला हो जाता है. एंथोसायनिन नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट है, जो सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता हैं. जहां आम गेहूं के एंथोसायनिन महज पांच पीपीएम होता है, वहीं काले गेहूं के यह सौ से दो सौ पीपीएम होता है. काले गेहूं में जिंक और आयरन भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

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किसान गिरेन्द्र नारायण शर्मा

कम लोगों को है इसकी जानकारी
फिलहाल, इक्का-दुक्का किसानों को ही काले गेहूं की खेती का पता है. जिसक कारण इसका उत्पादन कम है. बता दें कि जहां आम गेहूं की कीमत बाजार में 1600 रुपये होती है, वहीं काला गेहूं 2600 से लेकर 2800 रुपये तक का आता है. ऐसे में यह किसानों के लिए कम लागत में फायदे का सौदा साबित हो सकता है.

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काला गेंहू

पंजाब के 'नाबी' ने की खोज
काले गेहूं की खोज पंजाब में गेहूं पर रिसर्च करने वाली संस्था नेशनल एग्री फूड बॉयोटेक्नोलॉजी इंस्टीच्यूट(नाबी) ने किया है. बिहटा के किसान गिरेन्द्र ने बताया कि जब 2006 में एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति के तौर पर बिहार आये थे. तब उनका दौरा पालीगंज क्षेत्र में भी हुआ था. वहां उनसे मुलाकात करने के बाद उन्हें काफी प्रेरणा मिली. गिरेन्द्र ने बताया कि राष्ट्रपति कलाम ने कहा था कि किसानों को अगर तरक्की करना है तो उन्हें आधुनिक खेती की ओर रुख करना होगा. नए-नए प्रयोग करने होंगे. इसी बात से प्रभावित होकर वह काफी दिनों से खेती में कुछ नया करने का प्रयास कर रहे थे. तब उन्हें नाबी के खोज के बारे में पता चला. उन्होंने तुरंत मोहाली से काले गेहूं का बीज मंगाकर इसकी खेती शुरू की और इसका अच्छा उत्पादन भी किया.

Intro:परंपरागत खेती से किसानों को हो रहे घाटे को पाटने के लिए कृषि वैज्ञानिक और प्रगतिशील किसान नित्य नए नए प्रयास करते रहते है,इसी क्रम में ब्लैक व्हीट यानी काला गेहूं का सृजन हुआ जिस्का पटना जिले के एक किसान ने सफल उत्पादन कर यहां के किसानों के लिये एक मिसाल कायम किया है। पटना जिले के बिहटा स्थित डिहरी गांव निवासी गिरेन्द्र नाथ सिंह ने काले गेहूं जा सफल उत्पादन कर आज के परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक खेती में एक मिसाल बनाई है जिससे इलाके के किसानों में ब्लैक व्हीट देखने और उसे उपजाने को लेकर होड़ मची है।


Body:बताया जाता है कि ब्लैक व्हीट को लगाने की प्रक्रिया बिल्कुल आम गेहूं की तरह ही है और उत्पादन भी समतुल्य ही है,हाँ इसमें एक खास बात यह है कि ये बिकता मंहगा है इसलिये फायदे का सौदा हैं । ब्लैक व्हीट के बारे में यह दावा है कि यह गेहूं आम गेहूं के मुकाबले कई गुना पौष्टिक है। ब्लैक व्हीट कैंसर,डायबिटीज और दिल की असाध्य बीमारियों में मददगार साबित हो सकता है और यही वजह है कि यह गेहूं बहुत मंहगा बिकता है। कहते है इस गेहूं के लिए किए गए दावे में भी काफी हद तक सच्चाई है। दरअसल काले गेहूं में एंथोसायनिन नाम के पिग्मेंट होते है,इसी एंथोसायनिन की अधिकता से फलों,सब्जियों और अनाजो का रंग नीला ,बैगनी या काला हो जाता है। एंथोसायनिन नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट है इसी वजह से यह सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता हैं । जहां आम गेहूं के एंथोसायनिन महज पांच पीपीएम होता है वहीं काले गेहूं के यह सौ से दो सौ पीपीएम होता है। काले गेहूं के जिंक और आयरन भी प्रचुर मात्रा मे पाया जाता है और इन्ही सब वजहों से आज बाजार में काले गेहूं की मांग बढ़ रही है। फिलहाल इक्का दुक्का किसानों द्वारा काले गेहूं की खेती करने से इसका उत्पादन कम है और यही वजह है कि मांग ज्यादा होने की वजह से यह अन्य आधारण गेहूं की तुलना में मंहगा बिकता है। जहां आम गेहूं की कीमत बाजार में 1600 रुपये होती है वही काले गेहूं की कीमत 2600 से लेकर 2800 रुपये तक है। जो किसानों के लिए कम लागत में फायदेमंद हो सकता है।


Conclusion:काले गेहूं की खोज पंजाब में गेहूं का रिसर्च करने वाली संस्था नेशनल एग्री फ़ूड बॉयोटेक्नोलॉजी इंस्टीच्यूट (नाबी) ने की है। बिहटा के किसान गिरेन्द्र नाथ सिंह ने बताया कि जब 2006 में ए पी जे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति के तौर पर बिहार आये थे तो उनका दौरा हमारे पालीगंज क्षेत्र में भी हुआ था वहां उनसे मुलाकात करने के बाद मुझे काफी कुछ सीखने को मिला। गिरेन्द्र नाथ सिंह ने बताया कि कलाम साहब ने बताया कि किसानों को यदि तरक्की करना है तो उन्हें आधुनिक खेती का रुख करना होगा और नित्य नए नए प्रयोग से ही किसानों की तरक्की संभव है,कलाम साहब के इसी बात से प्रभावित होकर वो काफी दिनों से खेती में कुछ नया करने का प्रयास कर रहे थे और तब उन्हें नाबी द्वारा किये गए काले गेहूं के खोज के बारे में पता चला और उन्होंने तुरंत मोहाली से काले गेहूं ल बीज मंगाकर इसकी खेती शुरू की और इसका अच्छा उत्पादन भी किया। पटना जिले में कप गेहूं की खेती करने वाले एक मात्र किसान गिरेन्द्र नाथ चाहते है कि हर किसान इस काले गेहूं की खेती कर इससे आगामी दिनों के काफी फायदे हों सकते है। उन्होंने कहा कि पौष्टिकता के आधार पर भविष्य में हर किसी के थाली में काला गेहूं ही दिखेगा।
बाइट - गिरेन्द्र नाथ सिंह - किसान

कुणाल सिंह.....ईटीवी भारत....बिहटा,पटना
Last Updated :Jul 1, 2019, 2:38 PM IST
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