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पटना: डॉक्टरों की कमी का दंश झेल रहा है पालीगंज अनुमंडल अस्पताल, स्वास्थ्य व्यवस्था भी बदहाल

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Published : Aug 7, 2020, 3:55 PM IST

अनुमंडल अस्पताल की उपाधीक्षक डॉ. आभा कुमारी ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मियों की काफी कमी है. उन्होंने बताया कि यहां 30 डॉक्टर को बहाल करना था, लेकिन सरकार मात्र 13 डॉक्टर को ही अभी तक बहाल किया गया है.

COVID-19
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पटना(पालीगंज): जिले के पालीगंज अनुमंडल अस्पताल में इलाज कराने के लिए सैकड़ों की संख्या में मरीज आते हैं. प्रदेश की सरकार ने लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लिए अनुमंडल मुख्यालय में अनुमंडल अस्पताल की स्थापना की है. इसके बावजूद यहां स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बदहाल है.

30 विशेषज्ञ डॉक्टरों की जरूरत
दरअसल, अनुमंडल अस्पताल की स्थिति यह है कि डॉक्टर, नर्स, नर्सिंग स्टाफ सहित अन्य संसाधनों का घोर अभाव है. अस्पताल में वार्ड से लेकर अत्याधुनिक मशीन की कमी है. यहां एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं बैठते है, जबकि नियमानुसार इस अस्पताल को 30 विशेषज्ञ डॉक्टरों की जरूरत है. लेकिन सिर्फ 6 डॉक्टर मौजूद है. इसमें 3 पुरुष डॉक्टर रात में ड्यूटी करते है और बाकी 3 महिला डॉक्टर दिन में ड्यूटी करती है.

लोगों को होती है समस्याएं
इस कारण दिन में आकस्मिक और पोस्टमार्टम में लोगों को समस्याएं उठानी पड़ती है. कोरोना काल में भी डॉक्टरों की कमी अनुमंडल क्षेत्र के 10 लाख की आबादी झेलने को मजबूर है. हाल की दिनों में सरकार ने लगभग 900 डॉक्टरों की बहाली की है. लेकिन पालीगंज अनुमंडल अस्पताल को मात्र 1 डॉक्टर ही मिला है. वहीं, स्थानीय समाजसेवी ने कहा कि स्थापना के लगभग 7 साल बाद भी अनुमंडल अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों का पद नहीं भरा जा सका है और ना तो स्थानीय सांसद, विधायक या प्रशासन इस ओर ध्यान दे रहे है.

देखें पूरी रिपोर्ट

अस्पताल में नही है सर्जन और नेत्र विशेषज्ञ
अनुमंडल अस्पताल में मेडिसिन, सर्जरी, नेत्र रोग, आर्थोपेडिक सहित अन्य रोगों के विशेषज्ञ डॉक्टर के पद लंबे समय से खाली पड़े है. यहां आने वाले मरीजों को सिर्फ साधारण इलाज ही मिल पा रहा है. हड्डी रोग, सर्जरी, आंख और गम्भीर रोग से ग्रस्त मरोजों को पटना जाना पड़ता है या फिर लाचारी में निजी डॉक्टर के पास जाना पड़ता है. 3 प्रखंडो के मरीज इलाज कराने के लिए पालीगंज अनुमंडल अस्पताल में आते है. लेकिन मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं यहां नहीं मिल पा रही है.

'वादे भूल जाते हैं नेता'
ग्रामीण शिवप्यारे सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2006 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पालीगंज में 100 बेड वाला अस्पताल खोलने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक पूरा नहीं हो सका है. उन्होंने कहा कि चुनाव के समय केवल वादा ही किया जाता है, लेकिन चुनाव बाद जनता से किया गया वादा को नेता भूल जाते है. जिसका परिणाम जनता को भुगतना पड़ता है.

'डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी'
अनुमंडल अस्पताल की उपाधीक्षक डॉ. आभा कुमारी ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मियों की काफी कमी है. उन्होंने बताया कि संसाधन के अभाव में अस्पताल में मरीजों को सेवा दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि यहा 30 डॉक्टर को बहाल करना था, लेकिन सरकार मात्र 13 डॉक्टर को ही अभी तक बहाल की है. उसमें भी कोरोना काल में 7 डॉक्टर को अन्यत्र डिप्टेशन कर दिया गया है. मात्र 3 पुरुष और 3 महिला डॉक्टर के भरोसे अस्पताल चल रहा है.

अस्पताल में हो रही परेशानी
वहीं उन्होंने बताया कि पटना सिविल सर्जन को कितने बार लेटर भेज कर डॉक्टर की मांग की गई है, लेकिन सिर्फ अस्वाशन के सिवा कुछ नहीं मिला है. पटना के निकट दानापुर, मसौढ़ी, बिहटा अनुमंडल अस्पताल में जरूरी से ज्यादा डॉक्टर की बहाली की गई है, लेकिन पटना से दूरी होने के कारण पालीगंज में डॉक्टर को नहीं भेजा गया है. जिसके कारण अस्पताल में काफी परेशानी हो रही हैं.

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