ETV Bharat / state

आरसीपी सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से नीतीश को हैं कई फायदे

author img

By

Published : Dec 28, 2020, 9:07 PM IST

आरसीपी सिंह के जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी के नेताओं में एक उम्मीद जगी है. उम्मीद है कि वे पार्टी के घटे जनाधार को बढ़ाएंगे. बीजेपी से संबंध बरकरार रख अगले साल बंगाल चुनाव के वक्त पार्टी की उपस्थिति दर्ज कराएंगे. लेकिन इन तमाम बातों के बीच ऐसा प्रतीत होता है कि नीतीश कुमार कहीं ना कहीं बीजेपी के सवालों से बचे रहना चाहते हैं. क्योंकि पार्टी तो अभी भी नीतीश कुमार ही चलाएंगे.

आरसीपी सिंह से मिलने पहुंचे पार्टी कार्यकर्ता
आरसीपी सिंह से मिलने पहुंचे पार्टी कार्यकर्ता

पटनाः जदयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में एक उम्मीद जगी है. उन्हें उम्मीद है कि तेजी से संगठन का न केवल बिहार में बल्कि बिहार से बाहर भी विस्तार होगा. फिलहाल पार्टी में आरसीपी सिंह के खिलाफ कोई भी बोलने की हिम्मत जुटा नहीं रहा है. विधानसभा चुनाव में जदयू में जरूर खेमेबाजी दिखने लगी थी. विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि आरसीपी सिंह का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना कोई आश्चर्य की बात नहीं है. नीतीश बीजेपी के शीर्ष नेताओं से बातचीत करने में फिलहाल असहज महसूस कर रहे थे. लेकिन पार्टी का फैसला नीतीश कुमार ही करेंगे, यह भी तय है.

भरोसेमंद हैं आरसीपी सिंह

नालंदा के मुस्तफापुर गांव के आरसीपी सिंह ने पटना साइंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री ली है. 6 जुलाई 1958 में जन्मे आरसीपी सिंह 1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी भी रहे हैं. अफसर से जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक का सफर आरसीपी सिंह ने 36 सालों में तय किया है. जब नीतीश कुमार केंद्र में कृषि और रेल मंत्री थे तब आरसीपी सिंह उनके निजी सचिव बने. बिहार में जब 2005 में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो उनके प्रधान सचिव के रूप में आरसीपी सिंह ने काम किया. उस समय से वे नीतीश के कापी करीब रहे. 2012 से जदयू के राष्ट्रीय महासचिव का पद भी संभाल रहे हैं. फिलहाल नीतीश आरसीपी सिंह पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं.

आरसीपी से मिलने पहुंचे पार्टी कार्यकर्ता
आरसीपी से मिलने पहुंचे पार्टी कार्यकर्ता

नीतीश और आरसीपी का तालमेल है पुराना

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह पूर्व मंत्री महेश्वर हजारी सहित पार्टी के कार्यकर्ता भी आरसीपी सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने से खुश हैं. पूर्व मंत्री महेश्वर हजारी का कहना है कि नीतीश कुमार के साथ आरसीपी सिंह का लंबा तालमेल रहा है. पूरा विश्वास है कि पार्टी न केवल बिहार में बल्कि बिहार से बाहर भी आरसीपी सिंह के नेतृत्व में बेहतर प्रदर्शन करेगी. प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना है कि आरसीपी सिंह जानकार हैं. पार्टी को पहले से जानते रहे हैं. फैसला सही है.

बीजेपी के शीर्ष नेताओं के सवाल-जवाब से बचेंगे

राजनीतिक विशेषज्ञ अजय कुमार झा और संजय कुमार का कहना है कि आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के लिए नीतीश कुमार की बड़ी सोची समझी रणनीति है. अजय कुमार झा का कहना है कि नीतीश कुमार ने जो फैसला लिया है वह कोई आश्चर्य की बात नहीं है. नीतीश इमेज बिल्डिंग के लिए भी जाने जाते हैं. संजय कुमार का कहना है कि पार्टी तो नीतीश कुमार ही चलाएंगे. अभी नीतीश कुमार को जो बीजेपी के शीर्ष नेताओं से बातचीत करने में असहज महसूस हो रहा था, उससे बच जाएंगे.

देखें रिपोर्ट

नीतीश कुमार के पद छोड़ने के कुछ विशेष कारण

  • सबसे बड़ा कारण विधानसभा चुनाव में पार्टी का रिजल्ट अच्छा नहीं आया. तीसरी नंबर की पार्टी हो गई.
  • मुख्यमंत्री के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष की दोहरी जिम्मेवारी से कई तरह की परेशानी हो रही थी.
  • दूसरे राज्यों में संगठन के विस्तार पर नीतीश ध्यान नहीं दे पा रहे थे.
  • विधानसभा चुनाव में संगठन का जिस प्रकार से काम होना चाहिए, वह नहीं हो पाया.
  • आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के सबसे खासम खास रहे हैं.
  • आईएएस अधिकारी के साथ कुशल प्रशासक भी रहे हैं. नीतीश कुमार के साथ वर्षो का संबंध भी है.
  • आरसीपी ने जदयू को मजबूत करने के लिए कई काम किए हैं. पार्टी में भी आरसीपी सिंह अब सबके पसंदीदा हैं.
  • आरसीपी सिंह भी कुर्मी समाज से आते हैं.

चौथे राष्ट्रीय अध्यक्ष बने

पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी सबसे पहले जॉर्ज फर्नांडिस ने संभाली थी. उसके बाद शरद यादव, नीतीश कुमार और अब चौथे राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में आरसीपी सिंह बने हैं. जॉर्ज फर्नांडिस 3 दिसंबर 2000 से 10 अप्रैल 2006 तक रहे. शरद यादव 10 अप्रैल 2006 से 10 अप्रैल 2016 तक लगातार रहे. नीतीश कुमार के साथ विवाद होने के कारण बाद में उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी. नीतीश कुमार 10 अप्रैल 2016 से 27 दिसंबर 2020 तक रहे. दूसरी बार कार्यकाल 2022 तक का था. अब आरसीपी सिंह नए अध्यक्ष 3 साल के लिए बन गए हैं.

बंगाल चुनाव में होगी आरसीपी सिंह की परीक्षा

आरसीपी सिंह के लिए अब बड़ी चुनौती बिहार में पार्टी के घटे जनाधार को बढ़ाना होगा. इसके साथ बीजेपी के संग कैसे बेहतर तालमेल हो उस पर भी उन्हें काम करना है. अगले साल बंगाल सहित कई राज्यों में चुनाव हैं. उसमें पार्टी की उपस्थिति दर्ज कराना भी आरसीपी सिंह की पहली परीक्षा होगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.