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बिहार में दो बड़े गड़बड़झालों से NGO बदनाम, सरकार की कार्यप्रणाली पर भी उठे सवाल

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Published : Apr 7, 2021, 9:22 PM IST

Updated : Apr 8, 2021, 3:01 PM IST

पटना
पटना

बिहार में एनजीओ के गड़बड़झालों ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया. जहां सृजन घोटाले ने बिहार सरकार को करोड़ों का चूना लगाया. वहीं, मानवता को शर्मसार कर देने वाले मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले ने बिहार की छवि को वैश्विक स्तर पर नुकसान पहुंचाया. सृजन और बालिका सुधार गृह मामले से नौकरशाहों और एनजीओ संचालक के नापाक गठबंधन भी उजागर हुए. देखिए ये रिपोर्ट.

पटना: सरकार की नीतियों और योजनाओं को धरातल पर लाने में एनजीओ की अहम भूमिका होती है. एनजीओ के जरिए सरकार योजनाओं को मूर्त रूप देती है. लेकिन, हाल के कुछ सालों में बिहार में एनजीओ की कार्यशैली सवालों के घेरे में रही है. बात चाहे सृजन घोटाले की हो या फिर मामला बालिका सुधार गृह का हो, दोनों में एनजीओ का ही नाम सामने आया है. जिससे एक और जहां बिहार सरकार की किरकिरी हुई. वहीं, दूसरी ओर एनजीओ की साख भी गिरी है.

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एनजीओ मॉनिटरिंग की कोई व्यवस्था नहीं
बिहार सरकार ने शिकायत मिलने के बाद पनाह आश्रम, महिला चेतना विकास मंडल, इंस्टीट्यूट ऑफ खादी एग्रीकल्चर एंड डेवलपमेंट, सेवा संकल्प एंड विकास समिति की मान्यता रद्द की थी. दरअसल, सरकार के पास एनजीओ को मॉनिटर करने की कोई व्यवस्था नहीं है. शिकायत मिलने पर जांच की जाती है, ऑडिट रिपोर्ट को लेकर भी पारदर्शिता नहीं है.

डॉ.शकील, एनजीओ संचालक
डॉ.शकील, एनजीओ संचालक

''जहां सरकार के माध्यम से विकास कार्य नहीं होते, वहां एनजीओ की भूमिका अहम है. हाल के दिनों में एनजीओ को सीमित करने की कोशिश की जा रही है. बिहार और केंद्र सरकार ने ऐसे नियम बना दिए हैं, जिससे एनजीओ का काम करना कठिन हो गया है''- डॉ.शकील, एनजीओ संचालक

डॉ.संजय कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता
डॉ.संजय कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता

''बिहार जैसे राज्यों में एनजीओ की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है. लेकिन, हाल के कुछ दिनों में घोटालों के चलते एनजीओ की भूमिका पर सवाल उठे हैं. जरूरत इस बात की है कि एनजीओ को काम करने के अवसर दिए जाएं और सरकार मॉनिटरिंग करें''- डॉ.संजय कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता

घोटाले मिलीभगत का नायाब नमूना
एनजीओ और अधिकारियों के बीच मिलीभगत का नायाब नमूना देखने को तब मिला जब सृजन घोटाला प्रकाश में आया. 4000 करोड़ से अधिक के घोटाले में बिहार सरकार को करोड़ों का चूना लगा. साल 2008 से स्वयंसेवी संस्था सृजन में सरकारी पैसे को जमा कराया जा रहा था और जब मामला प्रकाश में आया तो बिहार में राजनीतिक भूचाल मच गया.

सृजन घोटाला
सृजन घोटाला

सृजन घोटाला

  • एनजीओ और अधिकारियों की मिलीभगत
  • 4 हजार करोड़ से ज्यादा का सृजन घोटाला
  • बिहार सरकार को लगा करोड़ों का चूना

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''बिहार में एनजीओ को लेकर सरकार के पास कोई नीति नहीं है. ये लूट का एक माध्यम बनकर रह गया है. कई नौकरशाहों के रिश्तेदार के नाम एनजीओ का रजिस्ट्रेशन है और वह उसका लाभ भी उठा रहे हैं''- शक्ति यादव, प्रवक्ता, आरजेडी

निखिल आनंद, बीजेपी प्रवक्ता
निखिल आनंद, बीजेपी प्रवक्ता

जब एनजीओ ने किया शर्मसार
वहीं, मुजफ्फरपुर बालिका सुधार गृह मामले में मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई थी. एनजीओ की इस घटना से बिहार की छवि को वैश्विक स्तर पर नुकसान पहुंचा था. मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना साल 2018 में प्रकाश में आई थी. तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री को घटना के चलते इस्तीफा भी देना पड़ा था.

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला

  • मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना
  • बिहार की छवि को वैश्विक स्तर पर किया खराब
  • 2018 में प्रकाश में आई थी घटना
    देखिए रिपोर्ट

''एनजीओ अगर सकारात्मक रूप से काम करें तो सरकार के लिए भी विकास कार्यों को गति देना आसान हो जाता है. सरकार और एनजीओ के बीच बेहतर सामंजस्य से विकास को गति दी जा सकती है''- निखिल आनंद, बीजेपी प्रवक्ता

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Last Updated :Apr 8, 2021, 3:01 PM IST
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