पटना: भागलपुर में अगुवानी पुल के गंगा में समा जाने के बाद इसपर काम कर रही एसपी सिंगला कंपनी सवालों से घिर गई है. समय पर पुल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका. इतना ही नहीं 14 महीने में पुल दो बार गिर चुका है. लेकिन ये सिर्फ एक उदाहरण है. बिहार में ऐसे कई प्रोजेक्टस हैं जिनकी लागत देरी के कारण बढ़ती जा रही है.
सीएम नीतीश कुमार के सपने अब भी अधूरे: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कई ड्रीम प्रोजेक्ट आजतक अधर में लटके हुए हैं. बड़े पैमाने पर सड़क और पुल बनवाकर नीतीश कुमार बिहार की तस्वीर बदलना चाहते हैं. लेकिन ये मेगा परियोजनाएं सुस्ती का शिकार होती जा रही हैं. कई सड़क निर्माण कार्य लक्ष्य पूरा होने के बाद भी लटके हुए हैं, जिससे लागत की दर भी बढ़ रही है.
बख्तियारपुर ताजपुर पुल का काम धीमा: बख्तियारपुर ताजपुर पुल मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है. 2011 में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका निर्माण शुरू किया था तब 2016 में इसे पूरा करने की बात कही गई थी. उस समय ताजपुर बख्तियारपुर पुल की लागत सोलह सौ करोड़ रुपए ही थी लेकिन आज 3000 करोड़ के आसपास पहुंच चुका है.
पिछले साल सरकार ने लगभग 1000 करोड़ की राशि देने का फैसला लिया है, तब जाकर इस पर फिर से काम शुरू हुआ है. अब 2024-25 में इसके पूरा होने की बात कही जा रही है. लेकिन निर्माण करने वाली एजेंसी पर इतने लेटलतीफी के बाद भी कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई.
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कच्ची दरगाह बिदुपुर सिक्स लेन पुल का काम भी अधूरा: गंगा नदी पर ही कच्ची दरगाह बिदुपुर पर बन रहे सिक्स लेन पुल मुख्यमंत्री के बड़े ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है. 2021 में इस पुल को बनकर तैयार हो जाना था लेकिन 2023 में भी अभी काफी काम बचा हुआ है. अब 2024 में इसके पूरा होने की बात कही जा रही है. इस पुल पर 3115 करोड़ की राशि खर्च होने का आकलन किया गया था लेकिन अब 5000 करोड़ की राशि खर्च हो रही है.
दीघा से दीदारगंज तक मरीन ड्राइव भी लटका: पटना के गंगा किनारे दीघा से दीदारगंज तक बन रहे मरीन ड्राइव खूब चर्चा में है. इसका एक भाग शुरू हो गया है लेकिन इसका निर्माण 2013 में शुरू हुआ था और उस समय अट्ठारह सौ करोड़ के आसपास इसका प्राक्कलन तैयार किया गया था. अब यह 5000 करोड़ से अधिक पहुंच गया है और 2024 तक इसके दीघा से दीदारगंज तक पूरा होने की संभावना है.
नहीं हुई निर्माण कार्य में लगी कंपनी पर कार्रवाई? यह बड़े प्रोजेक्ट हैं और इसकी चर्चा हमेशा होती रहती है. नीतीश कुमार खुद कई बार कह चुके हैं कि उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है. खुद मॉनिटरिंग भी करते रहे हैं लेकिन ताज्जुब की बात है कि लेटलतीफी के बावजूद कभी भी निर्माण एजेंसी पर सरकार ने कार्रवाई नहीं की. बड़े प्रोजेक्ट के अलावा छोटे प्रोजेक्ट भी लेटलतीफी के शिकार हैं.
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देरी के कारण बढ़ रहे लागत: 10 से 15 साल में कई प्रोजेक्ट पूरा हो रहे हैं. कुछ अभी भी लटके हुए हैं, जैसे पूर्वी चंपारण सीतामढ़ी को जोड़ने वाला लालबेकया नदी में बन रहा पुल 10 साल में भी तैयार नहीं हुआ. जब शुरू हुआ उस समय इसकी लागत 77 करोड़ थी लेकिन अब यह डेढ़ सौ करोड़ के करीब पहुंच गया है.
मीठापुर पुनपुन ओवरब्रिज बनने में लगे 15 साल: पटना में मीठापुर पुनपुन ओवरब्रिज 15 साल में बनकर तैयार हुआ है. इसकी भी लागत दुगनी से अधिक हो गई. इस तरह के कई प्रोजेक्ट है जो बिहार सरकार के लिये आर्थिक बोझ बन रहा है. बिहार सरकार के मंत्री जयंत राज्य का कहना है कि समय पर काम पूरा नहीं होना दुखद तो है ही यह नुकसानदेह है.
"इसके पीछे कई वजह होती है. कई बार विभाग की तरफ से एक्शन भी लिया जाता है. एजेंसी क्षमता से अधिक काम ले लेने के कारण भी अपने सभी योजना को समय पर पूरा नहीं कर पाती है. ऐसे मुख्यमंत्री भी लगातार कहते रहे हैं और अधिकारियों को निर्देश भी देते हैं कि हर हाल में समय पर काम पूरा हो कई मामलों में करवाई भी होती है."- जयंत राज, ग्रामीण कार्य मंत्री, बिहार
"कोई भी योजना है यदि तय समय में पूरा नहीं होता है तो इसका साफ मतलब है कि उसका कॉस्ट बढ़ेगा. कहीं ना कहीं उसका असर आर्थिक रूप से सरकार पर पड़ेगा. जनता को भी कई तरह की समस्याओं को झेलना पड़ता है इसलिए जब भी योजना तैयार की जाती है, उसकी राशि के साथ समय सीमा भी तय की जाती है. उसका पालन करना एक तरह से उस योजना के महत्व के लिए भी जरूरी है."- अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ
एसपी सिंगला ही नहीं.. ये कंपनी भी है विवादों में: समय-समय पर नीतीश कुमार अपने ड्रीम प्रोजेक्टस की मॉनिटरिंग करते हैं. खासकर तीन परियोजना बख्तियारपुर ताजपुर पुल ,कच्ची दरगाह बिदुपुर सिक्स लेन पुल और दीघा दीदारगंज पर उनकी नजर रहती है. स्थल पर जाकर भी देखते हैं और नाराजगी भी जताते रहे हैं. लेटलतीफी के बाद भी निर्माण कंपनी पर कार्रवाई नहीं की गई. बख्तियारपुर ताजपुर पुल और दीघा दीदारगंज गंगा नदी किनारे बन रहे गंगा पथ हैदराबाद की नवयुग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी निर्माण कर रही है. यह कंपनी भी विवादों में रही है.
लेटलतीफी का शिकार बनी योजनाएं: लेटलतीफी के शिकार बिहार सरकार के प्रोजेक्ट तो है ही, साथ ही केंद्र सरकार के भी कई प्रोजेक्ट हैं. बिहार सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण नहीं किए जाने के कारण लटका हुआ है या फिर काफी धीमी गति से काम चल रहा है. एक तरफ सरकार 5 घंटे में सुदूर इलाकों से पटना पहुंचने का समय तय कर रही है लेकिन इसके लिए पुल और जो बड़े रोड के प्रोजेक्ट हैं, इसे 3 साल 4 साल में पूरा होना था 7 साल से लेकर 10 साल तक में भी पूरा नहीं हो सके. एक तरह से ऐसी योजनाएं आज नीतीश कुमार के अधूरे विकास की कहानी कह रहे हैं.