पटना: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी बिसात बिछने लगी है. नीतीश सरकार ने कैबिनेट में आरक्षण के बैरियर 50% को समाप्त कर 65% करने का फैसला लिया है. उसे बिल के रूप में विधानसभा से पास कराया जाएगा. नीतीश सरकार के इस फैसले से ईबीसी का आरक्षण 7%, बीसी का आरक्षण 6% और एससी-एसटी का आरक्षण 5% बढ़ जाएगा. लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर नीतीश कुमार का यह मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड और नरेंद्र मोदी के चेहरे का जवाब भी कहा जा रहा है.
"बीजेपी के हिंदू कार्ड का जवाब जाति आधारित आरक्षण बढ़ाने का फैसला है. ऐसे तो बीजेपी भी अत्यंत पिछड़ा कार्ड खेल रही है. नरेंद्र मोदी, अमित शाह, सम्राट चौधरी और हरि सहनी सभी पिछड़ा व अति पिछड़ा से आते हैं. आरक्षण सीमा बढ़ाने को लेकर कोई विरोध नहीं हो रहा है. सभी श्रेय लेने की होड़ में लगे हैं. नीतीश कुमार ने जो फैसला लिया है 2024 और 2025 तक चर्चा में बना रहेगा, भले ही आरक्षण का मामला कोर्ट में जाकर अटक जाए."- अरुण पांडे, राजनीतिक विश्लेषक
पीएम के काम पर मांगेंगे वोटः भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार का कहना है कि आरक्षण बीजेपी के लिए कोई चुनौती नहीं है. हम लोग तो आरक्षण के समर्थक रहे हैं. हम लोगों के प्रयास से हमेशा हर वर्ग को आरक्षण मिला है. यहां तक कि सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को भी हम लोगों ने 10% आरक्षण दिलाया है. 2024 में नरेंद्र मोदी का चेहरा है उनके 9 साल के विकास का काम है. उसके बल पर फिर से सत्ता में आएंगे. बिहार में सभी 40 सीट जीतेंगे.
कमंडल पर भारी पड़ रहाः जदयू के वरिष्ठ नेता और नीतीश कुमार के नजदीकी विजय कुमार चौधरी का भी कहना है कि जातीय गणना और आरक्षण बढ़ाने के फैसला से बीजेपी बेचैन है. केंद्र से लेकर बिहार के नेता नीतीश कुमार के फैसले से परेशान दिख रहे हैं. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी कह चुके हैं कि नीतीश कुमार ने जातीय गणना का जो बड़ा फैसला लिया और रिपोर्ट जारी की उसके कारण यह कमंडल पर भारी पड़ रहा है.
"नीतीश कुमार राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. उन्हें पता है कि नरेंद्र मोदी का चेहरा बड़ा है और बीजेपी के पास हिंदू का बड़ा कार्ड है. इसलिए उन्होंने यह चाल चली है. इसे भुनाने की भी पूरी कोशिश करेंगे."- प्रेम रंजन, राजनीतिक विश्लेषक
बिहार में जाति और आरक्षण बड़ा मुद्दाः 2015 में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान के आधार पर ही पिछड़ा- अति पिछड़ा को गोलबंद करने में सफल रहे थे और बड़ी जीत हासिल की थी. दोनों एक बार फिर से साथ में है. नीतीश कुमार ने आरक्षण का बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है. ऐसे बीजेपी भी अत्यंत पिछड़ा कार्ड खेल रही है. 2024 में राम मंदिर का उद्घाटन भी हो जाएगा. हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के साथ अत्यंत पिछड़ा कार्ड के माध्यम से बीजेपी नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ चुनौती देगी. लेकिन नीतीश कुमार ने आरक्षण का बड़ा गेम खेला है.
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