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बिहार में पुलिस की संख्या कम फिर भी ठेके पर रखे जा रहे रिटायर्ड पुलिसकर्मी

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Published : Jul 11, 2022, 11:02 PM IST

बिहार में पुलिस की संख्या राष्ट्रीय औसत से बहुत
बिहार में पुलिस की संख्या राष्ट्रीय औसत से बहुत

बिहार में पुलिस की संख्या राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है. बेरोजगार युवा सड़कों पर हैं लेकिन बिहार पुलिस मुख्यालय ने संविदा पर पुलिस पदाधिकारियों और पुलिसकर्मियों (police officers and personnel on contract) को बहाल करने की योजना बनाई है.

पटना: बिहार में पुलिस की संख्या राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) लगातार बिहार पुलिस महकमे को संख्या बल बढ़ाने को लेकर दिशा-निर्देश जारी करते रहते हैं, लेकिन बिहार पुलिस शायद इसे गंभीरता से नहीं लेती. ये बात इससे भी प्रमाणित हो रही है कि एक तरफ बिहार में बड़ी संख्या में पुलिस के पद खाली हो गये हैं और जो पुलिसकर्मी अभी हैं उन पर काम का काफी बोझ है. दूसरी तरफ बिहार पुलिस मुख्यालय ने अब ये काम का बोझ को कम करने के लिए संविदा पर पुलिस पदाधिकारियों (police officers and personnel on contract) और पुलिसकर्मियों को बहाल करने की योजना बनाई है.

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ठेके पर रखे जाएंगे सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी और कर्मी : एडीजी पुलिस मुख्यालय (ADG Police Headquarters) जितेंद्र सिंह गंगवार कहते हैं कि बहुत जल्द संविदा पर पुलिस कर्मियों (police personnel on contract) की सेवा फिर से विभाग लेगा ताकि पुलिस के काम का बोझ कम हो सके और बिहार पुलिस की जो सोच है कि जांच शाखा अलग और लॉ एंड ऑर्डर शाखा अलग-अलग काम करे वो पूरी हो सके.

थाने नहीं कानून-व्यवस्था संभालेंगे ठेके वाले पुलिसकर्मी : एडीजी यह भी बताते हैं कि जिन पुलिस पदाधिकारियों और पुलिस कर्मियों की सेवा संविदा पर ली जाएगी वो सिर्फ कानून- व्यवस्था (लॉ एंड ऑडर) संभालने और बनाए रखने का काम करेंगे. उन लोगों से सीधे तौर पर थानेदारी या थाने के दैनिक काम नहीं लिए जाएंगे. इधर लंबे समय तक बिहार पुलिस में आईपीएस के रूप में सेवा देने वाले पूर्व अधिकारी एस के भारद्वाज का कहना है कि बिहार पुलिस की ये सोच उचित नहीं है. इस फैसले से एक तो सरकार का अधिक पैसा खर्च होगा और दूसरी बात ये कि बेहतर पुलिसिंग भी नहीं हो पाएगी. इसका असर लॉ एंड ऑडर पर भी पड़ेगा.

बिहार में पुलिस-पब्लिक का अनुपात आने वाले दिनों में राष्ट्रीय औसत से बहुत कम हो जाएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुलिस अफसरों को निर्देश दिया है कि बिहार में क्षेत्रफल और आबादी को ध्यान में रखकर प्रति 1 लाख की जनसंख्या पर 150 से 160 की संख्या में पुलिस बल की तैनाती करें.

राष्ट्रीय औसत से बिहार पुलिस की संख्या कम : गौरतलब है कि प्रति एक लाख की आबादी पर पुलिस कर्मियों की संख्या का राष्ट्रीय औसत करीब 155 है. बिहार में प्रति 1 लाख की आबादी पर पुलिसकर्मियों का स्वीकृत औसत 115.26 है जबकि वास्तविक अनुपात करीब 90 है. बिहार के मुख्यमंत्री ये कह चुके हैं कि अपराध नियंत्रण के लिए पुलिस बल में बहाली और उनकी ट्रेनिंग बहुत जरूरी है. बिहार में प्रति एक लाख की जनसंख्या पर 150 से 160 की संख्या में पुलिस बल की तैनाती हो, इसके लिए तेजी से काम करें. इसे ध्यान में रखकर रिटायर हो रहे पुलिसकर्मियों के खाली पदों को भरने के अलावा पुलिस बल में जरूरत के मुताबिक नए पद भी सृजित करें. सवाल यह उठ रहा है कि एक ओर जहां प्रति लाख व्यक्ति पर पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाने की बात हो रही है, दूसरी ओर बिहार में नई बहाली नहीं करके रिटायर्ड पुलिस कर्मियों को संविदा पर बहाल किया जा रहा है.

पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी आदेश के मुताबिक 1 अप्रैल 2020 से 31 जुलाई 2021 तक सेवानिवृत्त होने वाले एएसआइ से लेकर पुलिस निरीक्षक तक के पुलिसकर्मियों को नियोजन का मौका मिलेगा. इन सभी का नियोजन संविदा के आधार पर किया जायेगा. संविदा के आधार पर नियोजन भी उसी पद पर किया जायेगा, जिससे सेवानिवृत्ति हुए थे. एक साल तक के लिए उनको संविदा के आधार पर नियोजित किया जाएगा. संविदा पर तैनात किए गए कर्मियों को थानेदारी या एसएचओ जैसे अहम पद पर नहीं बैठाया जाएगा. हालांकि, आवश्यकता पड़ने पर इन्हें थाने में किसी कांड का आइओ भी बनाया जा सकता है.

जिस जिले से हुए हैं रिटायर उसी में करना होगा आवेदन: बता दें कि जिस जिला से पुलिस पदाधिकारी सेवानिवृत्त हुए हैं, वे उसी जिले में आवेदन कर सकते हैं. मुख्यालय के आदेश पर संविदा के तहत सेवानिवृत्त एएसआइ से लेकर इंस्पेक्टर तक के पदों पर नियोजन किया जाना है. जो जिस जिला से और जिस पद से सेवानिवृत्त हुए हैं वे उसी पद के लिए आवेदन करेंगे. स्वच्छ छवि वाले और स्वस्थ सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी, इन पदों के लिए एसपी ऑफिस और पुलिस लाइन से आवेदन प्राप्त कर सकते हैं. आवेदन करने की अन्य योग्यता के तहत रिटायर होने के 10 साल पहले तक किसी तरह का बड़ा दंड और पांच साल के अंदर कोई लघु दंड या किसी मामले को लेकर कोई शोकॉज नहीं किया गया हो. इसके अलावा संबंधित कर्मी का पूरा कार्यकाल स्वच्छ रहा हो. ऐसे सेवानिवृत्त पुलिस पदाधिकारियों को ही मौका दिया जायेगा. इसके बावजूद पुलिस मुख्यालय के विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रिटायर हो चुके पुलिस अधिकारी संविदा पर बहाल होने की जिज्ञासा नहीं जता रहे हैं जिसकी वजह से संविदा पर बहाली के लिए पुलिस मुख्यालय को कुछ ही आवेदन प्राप्त हुए हैं.

200 पुलिसकर्मी चाहते हैं ठेके पर बहाल होना :हालांकि, पुलिस मुख्यालय के एडीजी गंगवार की मानें तो पुलिस मुख्यालय को रिटायर पुलिस अधिकारियों के कुछ आवेदन मिले हैं इसके अलावा उन्होंने बताया कि कोरोना काल के समय रिटायर हुए पुलिसकर्मियों के अब तक 200 आवेदन मुख्यालय को प्राप्त हुए हैं जिन पर विचार-विमर्श किया जा रहा है. पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास ने बताया कि अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में प्रति लाख व्यक्ति के अनुपात में पुलिस कर्मियों की भारी कमी है. इसे देखते हुए राज्य सरकार और बिहार पुलिस मुख्यालय को नियमित वैकेंसी निकालकर इन पदों को भरना चाहिए. वही राज्य सरकार फरमान निकाल कर रिटायर पुलिसकर्मियों को संविदा पर बहाल कर रही है जो कि कहीं से भी सही नहीं है. उन्होंने बताया कि उनके कुछ कनीय अधिकारियों ने बताया है कि सीनियर होने के बावजूद जब वे संविदा पर बहाल होकर काम करेंगे तो उन्हें कनीय अधिकारी के नीचे उसी पद पर काम करना होगा जो कहीं से भी शोभनीय नहीं है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि उन्हें अनुसंधान के काम में ना रख कर रिटायरमेंट के बाद 60 से ऊपर वाले अधिकारियों से लॉ एंड ऑर्डर संभालने को कहा जाएगा जो कि उनकी सेहत के लिए कहीं से भी सही नहीं है जिस वजह से पुलिस मुख्यालय को आवेदन नहीं प्राप्त हो रहा है.

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