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मकर संक्रांति के दिन तुला दान का विशेष महत्व, जानें विधि और इससे जुड़ी पौराणिक कथा

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 14, 2024, 6:02 AM IST

Tula Daan : मकर संक्रांति 2024 का त्योहार इस बार 15 जनवरी को है. इस दिन दान का विशेष महत्व होता है. श्रद्धालुओं को परेशानियों से मुक्ति पाने का उपाय तुला दान है. इस खबर में तुला दान की विधि और महत्व के बारे में जानेंगे.

मकर संक्रांति के दिन तुला दान
मकर संक्रांति के दिन तुला दान

मकर संक्रांति पर तुला दान का महत्व बता रहे हैं आचार्य मनोज मिश्रा

पटना : मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा. मकर संक्रांति के दिन स्नान करके पूजा पाठ किया जाता है, उसके बाद दान किया जाता है. आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन तुला दान का विशेष महत्व माना गया है. मकर सक्रांति के दिन तुला दान करने की परंपरा है.

तुला दान से परेशानियों का होता है निवारण : तुला दान ऐसे लोग करते हैं जो लंबे समय से परेशानियों में चलते हैं. उन्हें अपने परिवार के सदस्यों का सहयोग नहीं मिल पाता है. घर परिवार के लोग बीमारी से परेशान हैं. घर में लक्ष्मी का आगमन नहीं हो पा रहा है. खूब मेहनत के बावजूद सफलता नहीं मिलती है तो ऐसे लोगों को मकर संक्रांति के दिन तुला का दान करना चाहिए.

तुला दान का तरीका : सबसे खास है कि जिस व्यक्ति को तुलादान करना है, वह अपने वजन के अनुसार एक तरफ तुला पर वह बैठेंगे और दूसरी तरफ अनाज का वजन करके उस अनाज को ब्राह्मण या गरीब लोगों में बांट दें. ऐसा करने से घर में सुख शांति और तरक्की का रास्ता बनेगा. यही वजह है कि हिंदू मान्यता के अनुसार मकर सक्रांति के दिन तुला दान करने की सलाह दी जाती है.

'' तुला दान करने से सुख समृद्धि आती है. घर से सभी परेशानियां दूर होती है. तुला दान की परंपरा सदियों से चली आ रही है. पहले राजा महाराजा अपने वजन के अनुसार सोना चांदी भी गरीबों जरूरतमंदों के बीच बांटते थे. तुला दान से पुरानी कथा भी जुड़ी हुई है.''- आचार्य मनोज मिश्रा

श्री कृष्ण और तुला दान की कथा : एक बार श्रीकृष्ण पर अधिकार जमाने के लिए सत्यभामा ने उन्हें नारद मुनि को दान दे दिया. इसके बाद नारद मुनि कृष्ण को लेकर जाने लगे. इसके बाद सत्यभामा को अपनी भूल का एहसास हुआ, लेकिन सत्यभामा के पास कृष्ण को रोकने का कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि वह कृष्ण को पहले ही नारद मुनि को दान कर चुकी थीं. तब कृष्ण भगवान को दोबारा प्राप्त करने के लिए सत्यभामा ने नारद मुनि से इसके उपाय के बारे में पूछा. नारद मुनि ने सत्यभामा से कहा कि वह भगवान कृष्ण का तुला दान करें.

श्री कृष्ण ने बताया तुला दान का महत्व : ये उपाय सुनते ही एक तराजू लाया गया. तराजू के एक ओर भगवान श्रीकृष्ण बैठे और दूसरी ओर आभूषण, अन्न रखा गया. तराजू का पलड़ा बराबर करने की कोशिश की गयी लेकिन भगवान कृष्ण का पलड़ा भारी ही रहा. ऐसे में रुक्मणी ने सत्यभामा को दान वाले पलड़े में एक तुलसी का पत्ता रखने को कहा. जैसे ही सत्यभामा ने दान वाले पलड़े में तुलसी का पत्ता रखा तो तराजू के दोनों पलड़े बराबर हो गये. भगवान श्रीकृष्ण ने ही तुलादान के महत्व के बारे में बताया था. तभी से यह मकर संक्रांति पर तुला दान का विशेष महत्व माना गया है.

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