साइबर क्राइम की प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर थाना इंचार्ज पर होगी अवमानना की कार्रवाईः पटना हाईकोर्ट

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Published : Feb 21, 2022, 11:00 PM IST

पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट ()

साइबर क्राइम से जुड़े मामलों पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि साइबर क्राइम से जुड़ी घटनाओं में अगर थाना इंचार्ज प्राथमिकी दर्ज नहीं करेंगे तो उसके खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. पढ़ें पूरी खबर.

पटना: पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने साइबर क्राइम से जुड़े मामलों पर सुनवाई (Hearing On Cases Related To Cyber Crime) करते हुए स्पष्ट किया है कि यदि थाना इंचार्ज इन मामलों में प्राथमिकी दर्ज नहीं करेंगे, तो उनके विरुद्ध कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. याचिकाकर्ता शिव कुमार और अन्य के मामलों पर जस्टिस संदीप कुमार ने सुनवाई की.

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कोर्ट ने 23 जुलाई, 2021 से 24 अगस्त, 2021 के बीच पंजाब नेशनल बैंक के बेऊर स्थित अनीसाबाद ब्रांच से जुड़े मामले में किये गए साइबर क्राइम के संबंध में पुलिस अधीक्षक (पश्चिम) को अनुसंधान के संबंध में प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. राज्य सरकार के अधिवक्ता अजय को इस संबंध में सूचना संबंधित एसपी को देने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने रूपसपुर थाना अंतर्गत एक अधिवक्ता के एकाउंट से पैसे के कथित रूप से बेईमानी से निकाले जाने के मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं किये जाने के मामले को काफी गंभीरता से लिया. कोर्ट ने रूपसपुर थाना के ऑफिसर इंचार्ज को नोटिस जारी किया है. थाना इंचार्ज से पूछा गया है कि पूर्व में ही रिपोर्ट किये जाने के बावजूद आखिर क्यों नहीं प्राथमिकी दर्ज की गई.

कोर्ट ने भारत सरकार के टेलिकॉम विभाग को भी सचिव के जरिये एक पार्टी बनाने का आदेश दिया है. अधिवक्ता राजेश रंजन ने एयरटेल और वोडाफोन का पक्ष रखा, जबकि अधिवक्ता रत्नाकर पांडेय रिलायंस जियो की ओर से उपस्थित हुए. टेलीकॉम कंपनियों के अधिवक्ताओं द्वारा बताया गया की फर्जी कागजात के आधार पर सिम कार्ड लेने वालों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाई जा रही है.

टेलीकॉम कंपनियों द्वारा यह भी बताया गया कि कुछ थानों में प्राथमिकी दर्ज करवाने में कठिनाई भी हो रही है. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि वैसे ऑफिसर इंचार्ज जो प्राथमिकी दर्ज नहीं करंगे, उनके विरुद्ध कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. कोर्ट ने कहा है कि टेलीकॉम कंपनियों के अधिवक्ता ऐसे पुलिस स्टेशन और उनके ऑफिसर इंचार्ज का ब्यौरा देने के लिए स्वतंत्र हैं, जो केस दर्ज नहीं करते हैं.

कोर्ट ने जब टेलिकॉम कंपनियों से यह जानना चाहा कि प्राथमिकी दर्ज करने के संबंध में टेलिकम्यूनिकेशन विभाग के आदेश का पालन पूरे देश में किया जा रहा है या नहीं, तो इस मामले में जवाब मिला कि इसको लेकर निर्देश लेना होगा. पिछली सुनवाई में टेलिकॉम कंपनियों द्वारा बताया गया था कि वे लोग प्रीएक्टिवेटेड सिम को बेचना बंद कर दिए. लेकिन कोर्ट को एमिकस क्यूरी ने इलाहाबाद में दर्ज की गई प्राथमिकी का हवाला देते हुए बताया कि इस मामले में तकरीबन 500 प्रीएक्टिवेटेड सिम की बरामदगी की गई थी. अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी.

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