ETV Bharat / state

पटनाः आयुर्वेद कॉलेज में कोरोना वायरस भगाने के लिए हवन प्रक्रिया पर चल रहा शोध

author img

By

Published : May 14, 2020, 1:20 PM IST

Updated : May 14, 2020, 7:52 PM IST

आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य दिनेश्वर प्रसाद बताते हैं कि हवन से कोरोना खत्म करने की थ्योरी को अभी मान्यता नहीं मिली है और इस थ्योरी पर पर कॉलेज में अभी डेमो के रूप में रिसर्च चल रहा है. उन्होंने बताया कि आयुर्वेद कॉलेज के चिकित्सक डॉ. विजेंद्र और उनकी टीम के अन्य 3 साथी के नेतृत्व में इस जोड़ी पर रिसर्च चल रहा है और आयुष मंत्रालय भारत सरकार को इस थ्योरी पर रिसर्च का प्रपोजल दिया जा चुका है.

-patna
-patna

पटनाः राजधानी के कदम कुआं स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज हॉस्पिटल में इन दिनों कोरोना वायरस भगाने के लिए हवन की प्रक्रिया पर शोध चल रहा है. पिछले कुछ दिनों से आयुर्वेदिक कॉलेज हॉस्पिटल के प्रवेश द्वार पर रोजाना सुबह ओपीडी के समय शुरू होने के समय रक्षोघ्न अष्टक का हवन किया जा रहा है. इस हवन में देसी घी, गुगुल, नीम, सरसों, सहद, सेंधा नमक, वचा और कुठ का मिश्रण रहता है, जिसे आम के लकड़ी और उपले पर आग लगाकर धूप के साथ इसका हवन किया जाता है.

-patna
राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज

कोरोना वायरस भगाने के लिए हवन प्रक्रिया पर चल रहा शोध
आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य दिनेश्वर प्रसाद बताते हैं कि हवन से कोरोना खत्म करने की थ्योरी को अभी मान्यता नहीं मिली है और इस थ्योरी पर पर कॉलेज में अभी डेमो के रूप में रिसर्च चल रहा है. उन्होंने बताया कि आयुर्वेद कॉलेज के चिकित्सक डॉ. विजेंद्र और उनकी टीम के अन्य 3 साथी के नेतृत्व में इस जोड़ी पर रिसर्च चल रहा है और आयुष मंत्रालय भारत सरकार को इस थ्योरी पर रिसर्च का प्रपोजल दिया जा चुका है. वहीं, दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि आयुष मंत्रालय की तरफ से सकारात्मक रुझान मिले हैं और पटना एम्स में इसका आगे क्लीनिकल ट्रायल होना है.

पेश है खास रिपोर्ट

हवन का कोई नहीं है साइड इफेक्ट
रक्षोघ्न अष्टक हवन की थ्योरी के बारे में बताते हुए डॉ. विजेंद्र ने बताया कि शास्त्रों में और चरक संहिता में यह वर्णित है कि प्राचीन जमाने में महर्षि सुश्रुत सर्जरी से पूर्व इस प्रकार का धूपन क्रिया कराते थे और इससे ऑपरेशन थिएटर का स्टरलाइजेशन किया जाता था. उन्होंने बताया कि पटना एम्स में आधुनिक चिकित्सा पद्धति के तहत इस शोध का क्लीनिकल ट्रायल होना है. मंत्रालय से जब इस शोध पर रिसर्च के लिए पटना एम्स में अनुमति मिल जाती है और फंड एलोकेट हो जाते हैं, तो आगे इस रिसर्च पर काम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद कॉलेज इसे काफी महत्वपूर्ण मानते हुए चल रहा है और इस हवन की खासियत यह है कि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है.

-patna
औषधि का पेड़
Last Updated : May 14, 2020, 7:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.