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सुस्त पड़ी धान क्रय की रफ्तार, मंत्री बोले- सरकार किसानों की आय दोगुनी करने को प्रतिबद्ध

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Published : Feb 5, 2020, 9:27 AM IST

30 लाख मैट्रिक टन धान क्रय का लक्ष्य है, लेकिन सहकारिता विभाग अब तक दो लाख मैट्रिक टन धान ही खरीद सकी है. सरकार का मानना है कि किसानों से हम अधिक से अधिक धान क्रय करना चाहते हैं.

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राणा रणधीर सिंह

पटनाः केंद्र सरकार ने किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. राज्य सरकारें भी किसानों की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध हैं. लेकिन विडंबना यह है कि किसानों को ना तो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल पाता है और ना ही उनके अनाज की खरीद हो पाती है. किसान औने-पौने दाम पर फसल बेचने को मजबूर होते हैं.

नहीं मिल रहे न्यूनतम समर्थन मूल्य
राज्य सरकार हर साल किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है. खासतौर पर धान क्रय के लिए लक्ष्य भी निर्धारित किए जाते हैं. लालफीताशाही के चलते धान क्रय के लक्ष्य को कभी भी पूरा नहीं किया जा सका है. साल 2017 में सरकार ने धान क्रय के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किए थे. किसान जितना चाहे धान बेच सकता था. लेकिन सरकार ने साल 2018 में 30 लाख मैट्रिक टन धान क्रय का लक्ष्य रखा और 2019 के लिए भी लक्ष्य वही रखा गया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

धान क्रय की रफ्तार बेहद धीमी
30 लाख मैट्रिक टन धान क्रय का लक्ष्य है, लेकिन सहकारिता विभाग अब तक दो लाख मैट्रिक टन धान ही खरीद सकी है. सरकार का मानना है कि किसानों से हम अधिक से अधिक धान क्रय करना चाहते हैं. लक्ष्य सांकेतिक होता है, पिछले कुछ वर्षों में धान क्रय लक्ष्य से कोसों दूर रहा है. इस साल भी ऐसा नहीं लगता कि 30 लाख मैट्रिक टन का लक्ष्य पूरा हो पाएगा. इस संबंध में बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह का कहना है कि सरकार किसानों की आय को 2022 तक दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है, इसके लिए कोशिशें भी जारी हैं.

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विजय यादव, प्रवक्ता हम

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बिचौलियों को धान बेचने पर मजबूर किसान
वहीं, विपक्ष सरकार के इस रवैय्ये पर सवाल खड़े कर रहा है. हम प्रवक्ता विजय यादव ने कहा है कि बिहार में किसानों की स्थिति बहुत बुरी है. किसान 800 से 1200 रुपये के बीच धान बिचौलियों को बेचने के लिए मजबूर हैं और आत्महत्या कर रहे हैं.

Intro:केंद्र सरकार ने किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है राज्य सरकारें भी किसानों के बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन विडंबना यह है कि किसानों को ना तो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल पाता है ना ही उनके अनाज की खरीद हो पाती है किसान आने पौने दाम पर फसल बेचने को मजबूर होते हैं।


Body:किसानों को नहीं मिल रहे हैं न्यूनतम समर्थन मूल्य
राज्य सरकार हर साल किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है खासतौर पर ध्यान क्रय के लिए लक्ष्य भी निर्धारित किए जाते हैं लालफीताशाही के चलते धान क्रय के लक्ष्य को कभी भी पूरा नहीं किया जा सका है साल 2017 में सरकार ने धान क्रय के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किए थे किसान जितना चाहे धान बेच सकता था ।
सरकार ने साल 2018 में 30 लाख मैट्रिक टन धान क्रय के लक्ष्य रखे थे और 2019 के लिए भी लक्ष्य वही रखा गया है ।


Conclusion: धान क्रय की रफ्तार बेहद धीमी
सहकारिता विभाग ने अब तक दो लाख मैट्रिक टन धान ही खरीद सकी है सरकार का मानना है कि किसानों से हम अधिक से अधिक धान क्रय करना चाहते हैं लक्ष्य सांकेतिक होता है पिछले कुछ वर्षों में धान क्रय अलग से कोसों दूर रहा है । और इस साल भी ऐसा प्रतीत नहीं होता कि 30 लाख मैट्रिक टन का लक्ष्य पूरा हो पाएगा।
विपक्ष सरकार के रवैए पर सवाल खड़े कर रही है हम प्रवक्ता विजय यादव ने कहा है कि बिहार में किसानों की स्थिति बहुत बुरी है किसान आठ सौ से 12 00 के बीच धाम बिचौलियों को बेचने के लिए मजबूर हैं और किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं।
बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह का कहना है कि सरकार किसानों की आय को 2022 तक दुगना करने के लिए प्रतिबद्ध है इसके लिए कोशिशें भी जारी है
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