घर-घर में बजने लगे छठी मइया के गाने, लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव से सुनिये गीतों की महत्ता

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Published : Oct 22, 2022, 10:43 AM IST

लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव
लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव ()

लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव ने बताया कि छठ महापर्व के चारों दिन के लिए अलग-अलग समय पर अलग-अलग गीतों (Importance Of Chhath Songs) का महत्व है. छठ महापर्व की समय छठी मैया के गाने एक अलग ही भक्तिमय माहौल बनाते हैं.

पटनाः लोक आस्था के महापर्व छठ (Chhath Puja In Bihar) को लेकर बाजार में तैयारियां शुरू हो गई है. इसके साथ ही चारों तरफ छठी मैया के गीत (Chhath Geet 2022) भी बजने लगे हैं. हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठी मैया की पूजा की जाती है और 4 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व छठ की शुरुआत चतुर्थी से नहाए खाए के साथ होती है और सप्तमी को उदय मान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रती पारण करते हैं. इसी के साथ महापर्व छठ संपन्न होता है. बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव (Folk Singer Manisha Srivastava) ने ईटीवी से खास बातचीत में बताया कि छठ महापर्व के चारों दिन के लिए अलग-अलग समय पर अलग-अलग गीतों का महत्व है.

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छठी मैया के गाने से भक्तिमय होता है माहौलः छठ पूजा शुरू होने के पहले ही गली-मोहल्लों और बाजारों में छठ के सुरीले गीत बजने लगते हैं. छठ महापर्व की समय छठी मैया के गाने एक अलग ही भक्तिमय माहौल बनाते हैं. छठ महापर्व को लेकर बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव ने एक बार फिर से पारंपरिक गीतों को नए स्वरूप में लेकर आई है. मनीषा ने ईटीवी से खास बातचीत में बताया कि छठ महापर्व के चारों दिन का विशेष महत्व है और चारों दिन के लिए अलग-अलग समय पर अलग-अलग गीत है. छठ महापर्व में घाट को अगोरने का विशेष महत्व है और इस दौरान महिलाएं पूरी रात छठी मैया के गीत गाती हैं. इस बार वह वैसे पारंपरिक छठी मैया के गानों को लेकर आ रही हैं, जो कैसेट में कम ही सुनने को मिलते हैं.

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गीत के माध्यम से छठी मैया के महिमा का वर्णनः गायिका मनीषा ने बताया कि नहाए खाए के साथ जब छठ की शुरुआत होती है, उस समय जो छठी मैया के गीत बजते हैं उसमें साफ सफाई का विशेष महत्व होता है. उन्होंने बताया कि छठ महापर्व ऐसा है जिसमें प्रकृति की पूजा की जाती है. इस दौरान उन्होंने छठी मैया के कई गीत गाए और गीत के माध्यम से छठी मैया के महिमा का वर्णन किया. उन्होंने बताया कि छठी मैया का एक गीत है जिसमें मांगा जाता है कि एक चंचल सी माता रानी घर में बेटी दे और विद्वान दामाद दे. उन्होंने बताया कि छठ के समय जो छठी मैया का गीत बजता है उससे पूरा वातावरण विहंगम हो जाता है और एक अलग ही शांति आ जाती है. जिस वजह से छठ के समय कहीं ना कहीं सामान्य दिनों की अपेक्षाकृत आपराधिक गतिविधि भी कम देखने को मिलती है.

"ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा करने वाले भक्तों को सुख समृद्धि शांति धन वैभव यश और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है. छठ महापर्व के समय जो छठी मैया के गीत बजते हैं, उसमें छठी मैया के महिमा का पूरा बखान होता है. छठ महापर्व को लोग संतान प्राप्ति और परिजनों के दीर्घायु होने की कामना को लेकर भी करते हैं. छठी ऐसा पर्व है जिसमें छठी मैया से लोग पुत्र के साथ साथ पुत्री रत्न की प्राप्ति की भी कामना करते हैं"- मनीषा श्रीवास्तव, लोक गायिका

36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं व्रतीः इस बार 28 अक्टूबर को नहाए खाए के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हो रही है, इस दिन व्रती लौकी की सब्जी, भात और चना का दाल ग्रहण करते हैं और खाने में सिर्फ सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. 29 अक्टूबर को खरना है जिस दिन व्रती सुबह से शाम तक उपवास रखते हैं और रात के समय एक वक्त का भोजन करते हैं, जिसमें दूध और चावल की खीर, रोटी और केला फल ग्रहण करते हैं. इसके बाद से लगभग 36 घंटे का व्रती निर्जला उपवास रखते हैं. 30 अक्टूबर को कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को पहला अर्घ्य है और इसमें शाम के समय अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को जल दे कर नमन किया जाता है और फिर 31 अक्टूबर को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती छठ महापर्व पूरा करते हैं.

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