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Berozgar Chai Bar : ट्रिपल MA और LLB करके भी एसपी पटियाला आखिर क्यों बेच रहे चाय?

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Published : Dec 9, 2021, 7:46 PM IST

Updated : Dec 10, 2021, 3:01 PM IST

ट्रिपल एमए और एलएलबी करने के बाद भी बिहार के पटना में एक दिव्यांग युवक चाय बेचने को मजबूर है. 'बेरोजगार चाय बार' (Berozgar Chai Bar In Patna) खोलकर वे न सिर्फ अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं बल्कि, लोगों को बेरोजगारी और विकलांगता से लड़ने की ताकत भी दे रहे हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Berozgar Chai Bar In Patna
Berozgar Chai Bar In Patna

पटना: आपने सुना होगा, पढ़ने लिखने से अच्छी नौकरी मिलती है. लेकिन पटना के एक युवक के पास डिग्रियों का अंबार लगा है, पढ़ाई लिखाई में तेज-तर्रार होने के बावजूद इस युवक को चाय बेचनी पड़ रही है. पटना के इस शख्स ने ट्रिपल एमए किया, एलएलबी की ताकि, उसे अच्छी नौकरी मिल सके. दिव्यांग होने के बावजूद पटना के एसपी पटियाला (SP Patiala Of Patna) ने दिन रात मेहनत कर पढ़ाई की. लेकिन अब इनकी डिग्रियों में दीमक लग रहा है और ये सड़क पर चाय बेच रहे हैं और टी स्टॉल का नाम रखा है 'बेरोजगार चाय बार'.

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राजधानी पटना के दिव्यांग युवक एसपी पटियाला के पास ट्रिपल एमए और एलएलबी (Unemployed Have Triple MA And LLB Degrees) की डिग्रियां है. लेकिन इन डिग्रियों से इन्हें नौकरी नहीं मिली. आखिरकार जिंदगी की गाड़ी को आगे बढ़ाने के लिए एसपी पटियाला ने टी स्टॉल खोला और इसका नाम 'बेरोजगार चाय बार' दिया है. इस बेरोजगार चाय बार के जरिए एसपी पटियाला अपना दर्द बयां कर रहे हैं. साथ ही, बेरोजगारी (Unemployment In Bihar) के खिलाफ मुहिम भी चला रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

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एसपी पटियाला कहते हैं कि, 'बेरोजगारी का आलम इतना बढ़ गया है कि, 'पढ़े-लिखे लोग नौकरी की तलाश में बेचैन रहते हैं. परिवार के भरण-पोषण को लेकर चिंतित रहते हैं और इधर-उधर भटकते रहते हैं, रोजगार ढूढने का प्रयास करते रहते हैं. जब लोगों को काम नहीं मिलता है तो, मेरी ही तरह से अपनी आजीविका को चलाने के लिए कुछ न कुछ रास्ता तलाश लेते हैं.''

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पटना यूनिवर्सिटी के छात्र एसपी पटियाला विकलांग होने के बावजूद अपनी पढ़ाई लिखाई में रुचि दिखाकर ट्रिपल एमए, एलएलबी की डिग्री हासिल की. लेकिन ये सारी डिग्रियां इनके किसी काम की नहीं निकली. जिसका नतीजा है कि, डिग्री घर में और बेरोजगार सड़क पर देखने को मिल रहा है.

इनको जब पढ़ाई से कामयाबी हाथ नहीं लगी यानी कि नौकरी नहीं मिली तो, इन्होंने अपना चाय बार खोलने का निर्णय लिया. जिस यूनिवर्सिटी से उन्होंने पढ़ाई की थी उसी, यूनिवर्सिटी के सामने बेरोजगार चाय बार के नाम से चाय की दुकान खोल दी. इस टी स्टॉल की खास बात ये है कि, यहां बेरोजगारों और विकलांगों के लिए कुछ खास सुविधाएं उपलब्ध है. यही कारण है कि लोग बेरोजगार चाय बार से जुड़ते चले जा रहे हैं.

"मैं चाहता हूं कि,मेरे जैसे लोगों को एक साथ जोड़ा जाए. लोगों ने कहा, एलएलबी चायवाला टी स्टॉल नाम रखो, कुछ ने कहा विकलांग चायवाला रखो, लेकिन मैंने कहा कि, नहीं इस देश में वाला बहुत हो गया है. बार नहीं है इसलिए मैंने सोचा कि बार डाला जाए तब,मैंने टी स्टॉल का नाम बेरोजगार चाय बार रखने का निर्णय लिया. बेरोजगार कोई विकलांग या समाज नहीं होता है, सब जात में इसका बोध होता है. हमारे टी स्टॉल बेरोजगार चाय बार में जो भी आता है,वह खुश होकर जाता है."- एसपी पटियाला, बेरोजगार चाय बार के मालिक

पटियाला का कहना है कि दिव्यांग और बेरोजगार की आर्थिक और मन:स्थिति मैं समझ सकता हूं. इसलिए उनके लिए फ्री में चाय की सुविधा रखी गई है. पैसा हो तो भी आइए नहीं हो तो भी आइए. इस चाय की दुकान पर आकर बहुत सारे लोग चाय तो पीते ही हैं, साथ ही साथ राय विमर्श भी करते हैं.

बेरोजगार चाय बार में हर तबके के लोग पहुंचते हैं. यहां चर्चाएं भी खूब होती हैं. राजनीति, सामाजिक या आर्थिक हर तरह के मुद्दे पर चाय की चुस्की के साथ डिस्कशन चलता है. एसपी पटियाला ने कहा कि बहुत सारी बातचीत यहां होती है. बेरोजगारी जिस कदर देश में बढ़ी है, डिग्री लेकर घूमने से अब नौकरी मिलने वाली नहीं है. पटियाला ने कहा कि हालात देखकर लग रहा है कि, आगे चलकर पकौड़ा ही तलना पड़ेगा.

एसपी पटियाला ने बताया कि, आज लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. घर,काम और अन्य तरह की चीजों के कारण लोगों को परेशानी होती है. इन तमाम परेशानियों को देखते हुए मैंने बेरोजगार चाय बार खोला. इस टी स्टॉल में पहुंचने के साथ ही लोग मोटिवेट होते हैं. यहां पहुंचने वाले हताश लोग भी कुछ सीखकर ही जाते हैं.

इस टी स्टॉल में स्टूडेंट और शिक्षकों के लिए महीने में 1 दिन फ्री में चाय मिलती है. सफाई कर्मी को भी महीने में 1 दिन चाय पिलाने का काम फ्री में किया जाता है. शर्त बस इतनी रखी गई है कि आने वाले लोगों को अपना आई कार्ड दिखाना पड़ता है. पटियाला का कहना है कि, एक समय था जब बड़ी ही उम्मीद के साथ पढ़ाई करते थे. पढ़ाई कर लिए, डिग्री मिल गई पर कहीं नौकरी नहीं मिली.

पटियाला सिर्फ चाय ही नहीं बेचते बल्कि, दिव्यांगों को आत्मनिर्भर भी बना रहे हैं. अब तक उन्होंने कई दिव्यांगों को छोटे मोटे काम दिलाए हैं. वहीं चाय बेचकर पटियाला खुद अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण भी कर रहे हैं. बेरोजगारी के सवाल पर उन्होंने कहा कि देश के 60 से 70 करोड़ युवा के सवाल को लेकर हम चले हैं. इस सवाल का हल एक न एक दिन जरूर मिलेगा.

बेरोजगार टी स्टॉल चला रहे पटियाला का सपना है कि, वैसे विकलांग जो सड़क पर भीख मांगते हैं या इधर उधर घूमते रहते हैं, उन लोगों को रोजगार से जोड़ने का काम किया जाए. इसके लिए उनकी सरकार या प्रशासन से कोई मांग नहीं है बल्कि, खुद अपने बलबूते लोगों को रोजगारपरक बना रहे हैं.

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Last Updated : Dec 10, 2021, 3:01 PM IST
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