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आज भी गरीब महिलाएं लकड़ी से बना रहीं खाना, कीमत बढ़ने से गैस सिलेंडर खरीद पाना मुश्किल

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Published : Aug 14, 2021, 9:35 PM IST

Updated : Aug 14, 2021, 9:41 PM IST

गरीब महिलाओं को चूल्हे के धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana) की शुरुआत की गई थी. इन्हें गैस कनेक्शन भी मिला, लेकिन गैस सिलेंडर की कीमत बढ़ने के चलते वे फिर से लड़की से खाना बनाने को विवश हैं. पढ़े विशेष रिपोर्ट..

girl cooking with wood
लकड़ी से खाना बनाती युवती

पटना: केंद्र सरकार (Central Government) ने 5 साल पहले गरीब परिवारों को चूल्हे के धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana) की शुरुआत की थी. गरीबों को गैस कनेक्शन और सिलेंडर मुफ्त दिया गया, लेकिन बाद में उन्हें अपने पैसे से गैस सिलेंडर लेना था.

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गैस की कीमत में हुई वृद्धि के चलते गरीबों के लिए यह कठिन हो गया. पैसे के अभाव में वे गैस नहीं खरीद पा रहे हैं और फिर से खाना बनाने के लिए लकड़ी और गोइठा (गोबर का उपला) का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह स्थिति गांव से लेकर शहर तक की है. पटना के कई स्लम बस्ती में गरीब महिलाएं आज भी लकड़ी से खाना बनाती नजर आती हैं.

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पटना में घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 936 रुपये है. गरीब तबके की महिलाओं के लिए इतना महंगा गैस खरीदना आसान नहीं है. शुरुआती दिनों में जब गैस सिलेंडर की कीमत कम थी तब महिलाएं गैस का इस्तेमाल खाना बनाने में करतीं थीं. गैस के दाम आसमान छूने लगे तो गरीब महिलाएं फिर से लकड़ी से खाना बनाने लगीं. जब उज्ज्वला योजना की शुरुआत हुई थी तो गरीब महिलाएं काफी खुशी थीं, लेकिन अब भरा हुआ गैस सिलेंडर खरीदना महिलाओं के लिए मुश्किल हो रहा है.

रुकनपुरा, यारपुर और कमला नेहरू स्थित स्लम बस्ती का जायजा लेने के बाद हमने पाया कि अधिकांश महिलाएं घर में सिलेंडर होने के बाद भी लकड़ी से खाना बना रहीं हैं. कमला नेहरू नगर की सुनैना देवी ने कहा, '2 साल पहले कनेक्शन मिला था. गैस खत्म हो गया है. सिलेंडर लेने के लिए पैसा नहीं है. इसलिए फिर से लड़की से खाना बनाने को मजबूर हूं.'

कुछ महिलाओं ने कहा कि उन्हें गैस कनेक्शन नहीं मिला है. स्थानीय वार्ड पार्षद को राशन कार्ड, बिजली बिल से लेकर सभी जरूरी कागजात दिया था, लेकिन उन्हें उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन नहीं मिला. शकुंतला देवी ने कहा, 'गैस तो हमें मिला है, लेकिन गैस कनेक्शन मिलने का फायदा नहीं हो रहा है. शुरू में जब गैस भरकर मिला था तब कुछ दिनों तक उस पर खाना बना. अब गैस का दाम बढ़ गया है, जिसके चलते दोबारा गैस नहीं भरवा पा रहे हैं. गोइठा या लकड़ी से ही काम चल रहा है.'

इन सभी महिलाओं का दुख एक ही है कि जिस तरह से गैस का दाम बढ़ा है, इनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे गैस रिफिल करा सकें. इस कारण लकड़ी खरीदकर खाना बना रहीं हैं. कुछ महिलाओं ने यह भी कहा कि हमें लकड़ी से खाना बनाने का कोई शौक नहीं है. मजबूरी में ऐसा करना पड़ा रहा है.

बता दें कि 'स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन' के नारे के साथ केंद्र सरकार ने 1 मई 2016 को 'प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना' की शुरुआत की थी. योजना का उद्देश्य महिलाओं को धुएं से मुक्ति दिलाना था. इस योजना के तहत सरकार गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को घरेलू गैस कनेक्शन मुहैया करती है. सरकार ने मार्च 2020 तक 8 करोड़ गैस कनेक्शन बांटने का लक्ष्य रखा था. यह लक्ष्य सितंबर 2019 को ही पूरा हो गया.

2021-22 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 करोड़ अतिरिक्त सिलेंडर देने की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अगस्त को उत्तर प्रदेश के महोबा से उज्ज्वला योजना 2.0 की शुरुआत की. अब लाभार्थियों को पहली रिफिल मुफ्त उपलब्ध कराने के साथ ही चूल्हा भी फ्री में दिया जाएगा. जिनके पास स्थायी निवास प्रमाण पत्र नहीं है वे भी इस योजना के तहत गैस कनेक्शन ले सकते हैं.

उज्ज्वला योजना को राजनीतिक नजरिये से भी देखा जा रहा है. 2017 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना था. इससे एक साल पहले 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के बलिया में इसे लॉन्च किया था. अब यूपी में 2022 में विधानसभा चुनाव होना है. इससे पहले यूपी के महोबा से प्रधानमंत्री ने उज्जवला योजना 2.0 की शुरुआत की.

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Last Updated : Aug 14, 2021, 9:41 PM IST
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