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बिहार बोर्ड के ऑफिस के बाहर दृष्टिहीनों का प्रदर्शन, लगा रहे उपेक्षा का आरोप

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Published : Jan 17, 2020, 2:50 PM IST

patna
प्रदर्शन करते छात्र

अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि बार-बार चक्कर लगाए जाने के बावजूद भी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति उनके समस्याओं का निदान नहीं कर रहा है.

पटनाः बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के मुख्य द्वार पर राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ के युवा प्रकोष्ठ ने विभिन्न समस्याओं को लेकर प्रोटेस्ट मार्च निकाला. समिति के मुख्य द्वार पर काफी संख्या में दृष्टिहीन छात्र पहुंचे और शिक्षा विभाग और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

दृष्टिहीनों की उपेक्षा किए जाने का आरोप
प्रदर्शन कर रहे दिव्यांगों ने शिक्षा नीति में दृष्टिहीनों की उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया है. अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि बार-बार चक्कर लगाए जाने के बावजूद भी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति उनके समस्याओं का निदान नहीं कर रहा है. जिसके कारण उन्हें परीक्षा समिति के गेट पर प्रोटेस्ट करना पड़ रहा है.

जानकारी देते संवाददाता

स्पष्ट एक श्रुति लेखक नियमावली लागू करने की मांग
दृष्टिहीन दिव्यांगों के प्रोटेस्ट की अगुवाई कर रहे राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ के युवा प्रकोष्ठ के प्रभारी आदित्य नारायण तिवारी ने बताया कि उनकी कई मांगे हैं. जिनमें प्रमुख मांग एसटीइटी और अन्य परीक्षाओं में एकरूपता पूर्ण और स्पष्ट एक श्रुति लेखक नियमावली 2019 को अविलंब लागू करना है.

दृष्टिहीन दिव्यांगों की अन्य मांगें-

  • शिक्षक नियोजन में निशक्तता न्यायालय के आदेश लागू हों
  • विशेष विद्यालयों में विशेष शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति
  • विद्यालय के पठन-पाठन में गुणवत्ता बढ़े.
  • विशेष शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित की जाए.
  • पेंशन राशि 400 से बढ़ाकर 2000 किया जाए.
  • पीजी में दिव्यांगों को निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था
    patna
    प्रदर्शन करते छात्र

'नहीं मिलता परीक्षा में अधिक समय'
वहीं, प्रोटेस्ट कर रही दिव्यांग महिला अभ्यर्थी सोनामुखी कुमारी ने बताया कि परीक्षा में उन्हें जो एक्स्ट्रा समय मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता है. परीक्षा केंद्र में वीक्षक 1 घंटे पर 20 मिनट एक्स्ट्रा टाइम जो उनका अधिकार है, वह नहीं देते हैं और जल्दी कॉपी देने का दबाव बनाते हैं.

Intro:राजधानी पटना के बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के मुख्य द्वार पर राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ के बिहार शाखा के युवा प्रकोष्ठ द्वारा शिक्षा से संबंधित विभिन्न समस्याओं को लेकर प्रोटेस्ट मार्च निकाला गया. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के मुख्य द्वार पर काफी संख्या में दृष्टिहीन छात्र पहुंचे और शिक्षा विभाग और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए और शिक्षा नीति में दृष्टिहीन दिव्यांगों की उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया. प्रोटेस्ट कर रहे अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि बार-बार चक्कर लगाए जाने के बावजूद भी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति उनके समस्याओं का निदान नहीं कर पाया जिसके कारण उन्हें परीक्षा समिति के गेट पर प्रोटेस्ट करना पड़ रहा है.


Body:दृष्टिहीन दिव्यांगों के प्रोटेस्ट की अगुवाई कर रहे राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ के युवा प्रकोष्ठ के प्रभारी आदित्य नारायण तिवारी ने बताया कि उनकी कई मांगे हैं जिनको लेकर वह बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के मुख्य द्वार पर प्रोटेस्ट कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनकी प्रमुख मांगे हैं की एसटीइटी व राज्य सरकार के द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं में एकरूपता पूर्ण और स्पष्ट एक श्रुति लेखक नियमावली 2019 को बिहार सरकार अविलंब लागू करें. उन्होंने कहा कि शिक्षक नियोजन 2019- 20 में निशक्तता न्यायालय के आदेशों का पालन सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने मांग की है कि बिहार के सभी विशेष विद्यालयों में विशेष शिक्षकों व कर्मचारियों की नियुक्ति और विद्यालय के पठन-पाठन में गुणवत्ता बढ़े राज्य सरकार यह भी सुनिश्चित करें. उन्होंने कहा कि उनकी यह भी मांग है कि सभी सामान्य विद्यालयों में भी शिक्षक नियोजन प्रक्रिया के माध्यम से ही विशेष शिक्षकों की नियुक्ति या तैनाती सुनिश्चित की जाए.


Conclusion:दृष्टिहीन दिव्यांगों के प्रोस्टेट में शामिल सामाजिक कार्यकर्ता भरत कौशिक ने कहा कि वह दृष्टिहीन दिव्यांगों के बुनियादी मुद्दों को लेकर वहीं के प्रोटेस्ट में शामिल हुए हैं और इस प्रोटेस्ट के माध्यम से राज्य सरकार को ज्ञापन देने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि दिव्यांगों के कई बुनियादी मुद्दे हैं जैसे कि पेंशन राशि 400 से बढ़ाकर 2000 किया जाए और पीजी की शिक्षा में एससी एसटी व महिलाओं की तर्ज पर दिव्यांगों को भी निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाए.
प्रोटेस्ट कर रही दिव्यांग महिला अभ्यर्थी सोनामुखी कुमारी ने बताया कि परीक्षा के समय उन्हें जो एक्स्ट्रा समय मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता है. परीक्षा केंद्र में वीक्षक 1 घंटे पर 20 मिनट एक्स्ट्रा टाइम जो उनका अधिकार है वह नहीं देते हैं और जल्दी कॉपी देने का दबाव बनाते हैं.
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