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पटना के गर्दनीबाग कालीबाड़ी मंदिर में मां दुर्गा का पट खुला, मंदिर में लगी भक्तों की भीड़

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Published : Oct 1, 2022, 11:11 PM IST

Updated : Oct 2, 2022, 7:17 AM IST

गर्दनीबाग कालीबाड़ी मंदिर में मां दुर्गा का पट खुला
गर्दनीबाग कालीबाड़ी मंदिर में मां दुर्गा का पट खुला

राजधानी पटना में विभिन्न समाज के लोग रहते हैं. जिनमें बड़ी संख्या में बंगाली समाज के लोग है, जो अपने पद्धति से मां दुर्गा का आराधना करते है. बंगाली समाज के लोग गर्दनीबाग स्थित कालीबाड़ी में 70 सालों से मां दुर्गा की आराधना धूमधाम से करते आ रहे हें. बंगाली पद्धति के अनुसार शनिवार को षष्ठी तिथि पर ही मां दुर्गा का पट भक्त के दर्शन के लिए खोल दिए गए है. पढ़ें पूरी खबर.

पटना: शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri in Patna) चल रहा है. ऐसे में लोग अलग-अलग तरीके से मां दुर्गा की आराधना करते हैं. राजधानी पटना में भी बड़ी संख्या में बंगाली समाज के लोग हैं, जो अपने पद्धति से मां दुर्गा का आराधना करते है. पटना के गर्दनीबाग स्थित काली बारी में 70 सालों से मां दुर्गा की आराधना बंगाली समाज के लोगों द्वारा धूमधाम से किया जा रहा है और बंगाली पद्धति के अनुसार आज ही मां दुर्गा का पट भक्त के दर्शन के लिए खोल दिए गए है.

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माता का खुला पट: आज षष्ठी तिथि है और अमूमन जो मां की आराधना बिहार के लोग करते हैं, उसमें मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा सप्तमी तिथि को दी जाती है. और इसके बाद मां के दर्शन के लिए पट खोले जाते है, लेकिन बंगाली पद्धति में ऐसा नहीं है. दुर्गा की आराधना महालया से शुरू होकर दस दिनों तक की जाती है. पटना के इस कालीबाड़ी प्राचीन मंदिर में हजारों को संख्या में बंगाली समाज के लोग एकसाथ इकट्ठा होकर बड़ी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करते हैं.

"70 सालों से लगातार यहां पर पूजा हो रही है. बड़ी संख्या में भक्त यहां पर जुटते हैं, इस बार भी आज मां दुर्गा का पट खुला है. बड़ी संख्या में यहां दर्शन को आए हैं. आज से मां की आराधना 5 दिनों तक होगी. प्रतिदिन आरती के साथ पुष्पांजलि की जाती है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त जुटते हैं. जो लोग मां से कुछ मांगना चाहते हैं, वह पुष्पांजलि के समय में यहां पर पहुंचते हैं. जो भक्त पुष्पांजलि में भाग लेते हैं, मां उनकी मुराद को जरूर पूरा करती है."- किशोर चक्रवर्ती, व्यवस्थापक, कालीबारी पूजा समिति

"यहां जो संधि पूजा होती है, वह विशेष पूजा होती है. उस दिन मां की आराधना के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं और इस विशेष पूजा का महत्व यही है कि उस पूजा के समय जो कोई भक्त मां से कुछ भी मांगता है, उनकी मन की इच्छा पूरी होती है. ये पूजा अष्टमी तिथि के बाद यानी नवमी को किया जाता है. अंतिम दिन मां की विदाई का होता है, जिसदिन सिंदूर खेला के साथ हमलोग मां को विदा करते हैं." - रीता भट्टाचार्य, कालीबाड़ी पहुंची श्रद्धालु

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Last Updated :Oct 2, 2022, 7:17 AM IST
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