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संसद में गूंजा दिल्ली अग्निकांड का मुद्दा, बिहार के सांसदों ने कहा- 25 लाख मिले मुआवजा

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Published : Dec 9, 2019, 9:18 PM IST

दिल्ली अग्निकांड
दिल्ली अग्निकांड

दिल्ली अग्निकांड को लेकर बिहार के सांसदों ने मृतक मजदूरों के शवों को उनके परिजनों को सौंपने को लेकर व्यवस्था कराने की मांग की है. वहीं, अभी तक हुए मुआवजे को कम बताते हुए इस रकम को 25 लाख रुपया हो, ऐसी मांग सदन में उठायी है.

नई दिल्ली/पटना: राजधानी के फिल्मिस्तान इलाके के अनाज मंडी स्थित फैक्ट्री में लगी आग से 45 लोगों की मौत हो गई. इस दुर्घटना के बारे में लोकसभा में पीड़ित परिवारों को 25 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने की बात उठी. वहीं, पूरे मामले की जांच कराने के लिए गृह मंत्री अमित शाह से आग्रह किया गया.

9 दिसंबर, दिन रविवार को दिल्ली में हुए भीषण अग्निकांड का मुद्दा सोमवार को संसद के दोनों सदनों में उठा. इस बाबत सदस्यों ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कानून बनाने की मांग की. लोकसभा में शून्यकाल में जदयू सांसद दिनेश चंद्र यादव, सुनील कुमार पिंटू और बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूड़ी ने ये मुद्दा उठाया.

'मरने वाले बिहार के सभी लोग बेहद गरीब'
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के सामने मधेपुरा से जेडीयू सांसद दिनेश चंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली के अग्निकांड में जिन मजदूरों की मौत हुई है, उनमें से ज्यादातर बिहार के रहने वाले थे. उन्होंने कहा कि शवों को मृतकों के घर पहुंचाने का प्रबंध किया जाए.

वहीं, उन्होंने कहा कि अभी तक जितना रुपया दिल्ली और बिहार सरकार ने देने का ऐलान किया है, वो बेहद कम है. ऐसे में प्रत्येक मृतक के परिवार को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कानून बनाया जाए. मैं मृतकों के परिजनों के लिए हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं. वहीं, उन्होंने घायल लोगों के बेहतर उपचार की भी मांग की.

क्या बोले सांसद

क्या बोले रूडी
सारण से बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि ये बहुत दर्दनाक हादसा था और इसके लिए विशेष जांच बैठायी जाए. उन्होंने कहा कि मैं गृह मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि इस अग्निकांड के लिए जांच बैठाए. वहीं, उन्होंने जेडीयू सांसद की बात का समर्थन करते हुए कहा कि मृतकों के परिवार को 25 लाख रुपया बतौर मुआवजा दिया जाए.

क्यों होती हैं ऐसी घटनाएं- सुनील कुमार पिंटू
इस अग्निकांड को लेकर सीतामढ़ी से जदयू सांसद सुनील कुमार पिंटू ने कहा कि फैक्ट्रियों में इस तरह की घटनाएं पूर्ण लापरवाही और नियमों का पालन न करने की वजह से होता है. उन्होंने कहा कि आकस्मिक आग से निपटने का कानून तो है, लेकिन वो सही से लागू नहीं हो रहे हैं. इसका खामियाजा गरीब मजदूरों को भुगतना पड़ता है.

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नई दिल्ली/पटना: राजधानी के फिल्मिस्तान इलाके के अनाज मंडी स्थित फैक्ट्री में लगी आग से 45 लोगों की मौत हो गई. इस दुर्घटना के बारे में लोकसभा में पीड़ित परिवारों को 25 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने की बात रखी गई. वहीं, पूरे मामले की जांच कराने के लिए गृह मंत्री अमित शाह से आग्रह किया गया.



9 दिसंबर, दिन रविवार को दिल्ली में हुए भीषण अग्निकांड का मुद्दा सोमवार को संसद के दोनों सदनों में उठा. इस बाबत सदस्यों ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कानून बनाने की मांग की. लोकसभा में शून्यकाल में जदयू सांसद दिनेश चंद्र यादव, सुनील कुमार पिंटू और बीजेपी सासंद राजीव प्रताप रूड़ी ने यह मुद्दा उठाया.



'मरने वाले बिहार के सभी लोग बेहद गरीब'

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के समक्ष मधेपुरा से जेडीयू सांसद दिनेश चंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली के अग्निकांड में जिन मजदूरों की मौत हुई है, उनमें से ज्यादातर बिहार के रहने वाले थे. उन्होंने कहा कि शवों को मृतकों के घर पहुंचाने का प्रबंध किया जाए. 

वहीं, उन्होंने कहा कि अभी तक जितना रुपया दिल्ली और बिहार सरकार ने देने का ऐलान किया है, वो बेहद कम है. ऐसे में प्रत्येक मृतक के परिवार को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कानून बनाया जाए. मैं मृतकों के परिजनों के लिए हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं. वहीं, उन्होंने घायल लोगों के बेहतर उपचार की भी मांग की.



क्या बोले रूडी...

सारण से बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि यह बहुत दर्दनाक हादसा था और इसके लिए विशेष जांच बैठायी जाए. उन्होंने कहा कि मैं गृह मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि इस अग्निकांड के लिए जांच बैठाए. वहीं, उन्होंने जेडीयू सांसद की बात का समर्थन करते हुए कहा कि मृतकों के परिवार को 25 लाख रुपया बतौर मुआवजा दिया जाए.



क्यों होती हैं ऐसी घटनाएं- सुनील कुमार पिंटू

इस अग्निकांड को लेकर सीतामढ़ी से जदयू सांसद सुनील कुमार पिंटू ने कहा कि फैक्ट्रियों में इस तरह की घटनाएं पूर्ण लापरवाही और नियमों का पालन न करने की वजह से होता है. उन्होंने कहा कि आकस्मिक आग से निपटने का कानून तो हैं, लेकिन वो सही से लागू नहीं हो रहे हैं. इसका खामियाजा गरीब मजदूरों को भुगतना पड़ता है. 


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