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लालू नीतीश की डील के रास्ते में आ रहे थे सुधाकर सिंह! इस्तीफे से उठे कई सवाल

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Published : Oct 3, 2022, 8:24 PM IST

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बिहार की राजनीति में सुधाकर सिंह के इस्तीफे (Sudhakar Singh controversy ) और जगदानंद सिंह के बलिदान के बयान से हलचलें तेज हो गई हैं. कहा जा रहा है कि सुधाकर सिंह को लालू नीतीश के डील की कीमत चुकानी पड़ी है. पढ़ें.

पटना: बिहार में पहले एनडीए सरकार के गिरने और फिर महागठबंधन की सरकार बनने के बाद हर रोज नया-नया क्लाइमैक्स देखने को मिल रहा है. राज्य की राजनीति ( Politics Of Bihar) एक ऐसे मोड़ पर पहुंच चुकी है जहां पर सब कोई दिलचस्पी से रोज घट रहे नए घटनाक्रम के बारे में जानने को आतुर है. सुधाकर सिंह (former minister Sudhakar Singh) ने मंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद से तो कयासों का बाजार गरम हो चुका है. कहा जा रहा है कि लालू और नीतीश की डील का हर्जाना सुधाकर को कुर्सी खोकर चुकाना पड़ा है.

पढ़ें- 'नीतीश कुमार की RJD से हो गई है डील, तभी तो लालू-जगदानंद ने कहा- 2023 में बिहार के सीएम होंगे तेजस्वी यादव'

क्या हुआ बलिदान?: दरअसल इस पूरे घटनाक्रम की सुई पर अभी जिसकी नजर सबसे ज्यादा अटकी हुई है, वह पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह. सुधाकर सिंह महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से दूसरे ऐसे मंत्री हो गए हैं, जिन्होंने अपना इस्तीफा सौंपा. जानकारी यह सामने आई कि विभागीय मतभेद होने के कारण सुधाकर सिंह ने अपना इस्तीफा डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को भेज दिया. जिसके बाद सीएम ने उसे राज्यपाल के पास भेज दिया लेकिन इस्तीफा देने के बाद जिस तरीके से सुधाकर सिंह के पिता और राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने बलिदान देने का दिन है कह कर अपनी बातों को मीडिया के सामने रखा, उससे कई और सारी चीजें राजनीति के गलियारे में तैरने लगी हैं.

कई मौकों पर हुई तस्दीक?: हालांकि राज्य में सत्ता तेजस्वी यादव संभालेंगे, इस बात का इशारा खुद नीतीश कुमार द्वारा दो तीन मौकों पर की जा चुकी है. इसे संयोग कहें या फिर राजनीति में मंझा हुआ प्रयोग, नीतीश कुमार ने तेजस्वी की तरफ इशारा करके सत्ता संभालने की बात कही थी. वहीं चंद रोज पहले एक कार्यक्रम में उन्होंने तेजस्वी को बिहार का मुख्यमंत्री कह कर संबोधित किया था. सीएम नीतीश कुमार के इन दोनों स्टेप की काफी चर्चा भी हुई थी.

उपेंद्र कुशवाहा ने किया था विरोध: इस्तीफा देने के बाद सत्ता के गलियारे में यह बात तेजी से फैली की चंद रोज पहले नई दिल्ली में जगदानंद सिंह के द्वारा डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के 2030 में सीएम बनने को लेकर जो बयान दिया गया था, उससे राजद का शीर्ष नेतृत्व शायद खफा था. राजनीति के गलियारों में यह बात घूमने लगी थी कि कथित डील की बात सामने आ गई. इस बयान के बाद खुद जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी इस बात का कड़ा विरोध किया था. तब उपेंद्र कुशवाहा ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि जगदा बाबू का बयान उस पिता के एक्शन की तरह है जो किसी अनहोनी के भय से अपनी बेटा या बेटी की शादी जैसे तैसे निपटा लेना चाहता हैं.

सुशील मोदी कह चुके हैं कई बार: दिलचस्प बात यह है कि राज्य में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से ही पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी लगातार अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं. जब जगदानंद सिंह का यह बयान आया कि नीतीश कुमार तेजस्वी को गद्दी सौंपेंगे, तुरंत सुशील मोदी ने कहा था कि नीतीश कुमार सीएम की कुर्सी कभी नहीं छोड़ेंगे. साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ दिया था कि यह हो सकता है कि लालू यादव जदयू के चार पांच विधायकों को तोड़कर तेजस्वी यादव को सीएम बना दें.

लालू कभी भी बाजी पलट सकते हैं- सुशील मोदी: सुशील कुमार मोदी ने 30 सितंबर को यह भी कहा था कि उनमें यह समझौता हो गया है. तेजस्वी को गद्दी नीतीश कुमार सौंपेंगे और खुद दिल्ली की राजनीति करेंगे लेकिन नीतीश कुमार की फितरत ही धोखा देने की है. नीतीश कुमार लगातार लोगों को धोखा देते रहे हैं. इससे पहले 26 अगस्त को ट्वीट करते हुए सुशील कुमार मोदी ने लिखा कि अवध बिहारी चौधरी के स्पीकर बनने के बाद 45 विधायक वाले जदयू की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. लालू प्रसाद जब चाहेंगे, नीतीश कुमार को हटाकर बेटे को सीएम बनवा देंगे जिस दल को 115 विधायकों का समर्थन प्राप्त है और स्पीकर उसी दल के हैं वह कभी भी बाजी पलट सकता है.



राजद फिलहाल शांत: हालांकि डील हुई है या नहीं इसको लेकर राजद के नेताओं कुछ भी कहने से बच रहे हैं. किसी ने भी इस विषय पर खुलकर बोलने से मना कर दिया. हां उनका यह जरूर कहना था कि यह बातें जदयू और राजद के बड़े नेताओं के द्वारा शीर्ष स्तर की है. इसलिए इन मामलों पर वह कुछ भी नहीं कह सकते. ऐसे में यह आशंका और प्रबल हो गई कि ऐसी कुछ न कुछ बात तो जरूर है जिसके कारण सुधाकर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा और जगदानंद सिंह ने बलिदान देने की बात कही.

जगदानंद ने जारी किया था पत्र : खास बात यह है कि जगदानंद सिंह के बयान देने के बाद जिस तरीके से राजनीति ने करवट ली उसका अंदाजा शायद राजद के शीर्ष नेतृत्व को हो गया था. क्योंकि इसके तुरंत बाद जगदानंद सिंह ने एक पत्र भी जारी किया. जिसमें यह लिखा हुआ था कि आरजेडी के सारे सांसद, विधायक पदाधिकारी और नेता गठबंधन सरकार और नेतृत्व के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करें. पहले ही विधायक दल की बैठक में यह फैसला लिया जा चुका है कि गठबंधन ने आधिकारिक बयान देने के लिए सिर्फ तेजस्वी यादव अधिकृत है बाकी नेताओं को नहीं बोलना है.

बीजेपी ले रही चुटकी: इधर इस पूरे मसले पर बीजेपी चुटकी ले रही है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संतोष पाठक कहते हैं कि सुधाकर सिंह के साथ जो कुछ भी हुआ उसे कौन टाल सकता था? अगर सरकार की सच्चाई को सामने रख देंगे तो नीतीश कुमार उसको बर्दाश्त ही नहीं करेंगे. नीतीश कुमार कहते रहे कि क्राइम करप्शन और कम्युनलिज्म से समझौता नहीं होगा.

"सुधाकर सिंह डील के रास्ते में आएंगे तो स्वाभाविक तौर पर लालू परिवार किसी भी हाल में इनको बचने नहीं देगा. कुल मिलाकर तेजस्वी यादव को सीएम बनाने के लिए और नीतीश कुमार की जो महत्वाकांक्षा है पीएम बनने की उसके बीच में अगर सुधाकर सिंह आते, तो उनको रास्ता खाली करना पड़ता है. यही सुधाकर सिंह के साथ हुआ है. नीतीश कुमार विरोधियों को फंसाते भी हैं और अपने पसंद के अधिकारियों को बचाते भी हैं."- संतोष पाठक, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी



खड़े हो रहे हैं कई प्रश्न: बिहार की राजनीति पर बारीक नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनोज पाठक कहते हैं कि महागठबंधन की सरकार में 2 महीनों के अंदर दो मंत्रियों का इस्तीफा कई प्रश्न खड़े कर रहा है. सवाल राजद का है तो जिन दो मंत्रियों ने इस्तीफा दिया है, वह राजद से हैं. दोनों सवर्ण हैं.

"कुछ लोगों का कहना है कि नीतीश कुमार के दबाव में यह सब हो रहा है. यही कारण है कि इस मुद्दे को लेकर तेजस्वी अभी तक अपना मुंह नहीं खोले हैं. नीतीश कुमार ने अपना मुंह खोला भी तो साफ शब्दों में कहा कि इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा लेकिन अगर सूत्रों को टटोला जाए तो यह साफ नजर आता है कि नीतीश कुमार को जगदानंद सिंह की तरफ से दिया गया बयान अच्छा नहीं लगा."- मनोज पाठक,वरिष्ठ पत्रकार

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