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जातीय जनगणना पर CM नीतीश का बड़ा बयान- 'हमारा ऑप्शन हमेशा खुला'

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Published : Aug 2, 2021, 9:40 PM IST

पटना
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जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर केंद्र सरकार के सुर में सुर मिलाते हुए बिहार बीजेपी ने अपने पुराने स्टैंड से यू-टर्न ले लिया है. वहीं, सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए बीजेपी को चेताने वाला बड़ा बयान दिया है. पढ़ें रिपोर्ट...

पटना: बिहार एनडीए (Bihar NDA) में एक बार फिर सियासी घमासान मचा हुआ है. जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर केंद्र सरकार की ओर से स्थिति स्पष्ट करने के बाद जेडीयू (JDU) जातीय जनगणना की खुलकर मांग करने लगी है. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए बीजेपी को चेताने वाला बड़ा बयान दिया है.

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जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा गया कि केंद्र सरकार अगर इस बार भी जातीय जनगणना को लेकर नहीं मानती है तो क्या राज्य सरकार अपने स्तर पर जनगणना कराएगी. इस पर उन्होंने कहा कि ''हम लोगों का ये ऑप्शन हमेशा खुला रहेगा, ये जान लीजिए.''

नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

दरअसल, जातिगत जनगणना को लेकर एनडीए के घटक दल बीजेपी और जदयू के रिश्तों में भी खटास देखी जा रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) जातीय जनगणना को लेकर मुखर दिख रहे हैं. वहीं, बीजेपी (BJP) ने भी अपने इरादे साफ कर दिए है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने साफ कह दिया कि एससी और एसटी को छोड़कर इस बार जातीय जनगणना नहीं होगी. जातीय जनगणना से समाज में विभेद पैदा होगा.

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वहीं, सीएम नीतीश कुमार ने संयज जायसवाल के बयान का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि ऐसी तो कोई बात नहीं है और सबकी सहमति से ही विधानमंडल से प्रस्ताव पास हुआ है. पहले कभी किसी ने कुछ नहीं कहा. अगर ऐसा ही था तो जातीय जनगणना को लेकर प्रस्ताव विधानसभा और विधान परिषद में सर्वसम्मति से कैसे पास हुआ. जो लोग अब ऐसी बात कह रहे हैं, उन्हें इस पर सफाई देना चाहिए.

बता दें कि बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) से सर्वसम्मत प्रस्ताव केंद्र सरकार (Central Government) को भेजा जा चुका है, लेकिन जातिगत जनगणना को लेकर केंद्र ने स्थिति स्पष्ट कर दी है. भारत में पहली बार जातिगत जनगणना 1831 में कराई गई थी. उसके बाद 1931 में जातिगत जनगणना हुई थी. 1930 की जनगणना के आधार पर ही आरक्षण का प्रतिशत तय किया गया था. 2011 में जब जनगणना कराई जा रही थी, तब भी जोर शोर से राजनीतिक दलों ने जातिगत आधार पर जनगणना की वकालत की थी, लेकिन जातिगत जनगणना नहीं हो पाई.


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