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बिहार विधानसभा की डायरी का रंग केसरिया से हुआ हरा, बोली RJD- 'हरियाली का प्रतीक'.. BJP ने पूछा ये सवाल

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Published : Dec 29, 2022, 6:34 PM IST

Bihar Politics बिहार में डायरी के रंग ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. बिहार विधानसभा की डायरी रंग अब हरा हो गया है. पहले इसका रंग केसरिया था. इसको लेकर एक बार फिर से बिहार की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. जानें पूरा मामला.

diary color changed from saffron to green
diary color changed from saffron to green

बिहार डायरी का बदला रंग

पटना: प्रदेश में सरकार बदलने के बाद से ही बीजेपी और सत्तासीन राज्य सरकार में कई मसलों पर राजनीति होती रहती है. ताजा राजनीति बिहार डायरी के कलर पर आकर टिक गई है. बिहार डायरी का कलर क्या बदला? राजद और बीजेपी एक दूसरे पर हमलावर हो गए हैं. राजद ने जहां यह कहा है कि अब पूरा देश हरा-भरा होगा, वहीं बीजेपी का कहना है कि प्रदेश में तुष्टिकरण किया जा रहा है. (Bihar Vidhan sabha diary color changed) (diary color changed from saffron to green)

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बिहार डायरी का बदला रंग: इस साल प्रदेश में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद आने वाले साल के लिए जो नई बिहार डायरी छप कर आई है, उसका कलर बदला हुआ है. पहले उसका रंग केसरिया था लेकिन अब नई बिहार डायरी का रंग हरा हो गया है. जिसके बाद डायरी के कलर पर ही राजनीति छिड़ गई है. (diary of bihar assembly)

बुधवार को नजर आई थी डायरी: दरअसल नई बिहार डायरी तब सामने आई थी जब बुधवार को पंजाब के विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह सन्धावा और उपाध्यक्ष जय कृष्ण राउरि ने बिहार विधानसभा में अवध बिहारी चौधरी (Speaker Awadh Bihari Chowdhary) से मुलाकात की थी. इस मौके पर अवध बिहारी चौधरी ने बिहार डायरी और मोमेंटो देकर पंजाब विधानसभा अध्यक्ष का स्वागत किया. स्वागत करने से पहले अवध बिहारी चौधरी ने बिहार डायरी का लोकार्पण भी किया था. अवध बिहारी चौधरी ने जिस नई बिहार डायरी का लोकार्पण किया था, उसका कलर बदला हुआ था जिसके बाद प्रदेश में राजनीति डायरी के इर्द-गिर्द घूम रही है.

'बीजेपी के पास मुद्दा नहीं': इस बारे में राजद का कहना है कि बीजेपी के पास अब कोई मुद्दा नहीं है. पार्टी के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि विधानसभा में एक डायरी किस कलर में छपेगी? यह बीजेपी तय करेगी? राज्य में जल जीवन हरियाली कार्यक्रम चल रहा है और हरा रंग हरियाली का प्रतीक है. धरती की अंगड़ाई का प्रतीक है.

"वह हरे रंग का क्या मर्म जानेंगे? नागपुर में तिरंगा नहीं लहराता है. तिरंगे का जो सम्मान करेगा, वही हरे रंग को समझेगा. यह लोग तो हरियाली देखते हैं तो भड़क जाते हैं. यह लोग विनाश के प्रतीक हैं. आने वाले कल में देश भी हरा भरा हो जाएगा."- शक्ति सिंह यादव, प्रवक्ता, राजद

'हरा-भरा के नाम पर अपनी दुकान चलानी की कोशिश': वहीं बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि हम सभी रंगों का सम्मान करते हैं. हमारे तिरंगे का जो रंग है, सब का सम्मान करते हैं. हम अपनी संस्कृति और विरासत का भी सम्मान करते हैं, लेकिन केसरिया रंग शौर्य का प्रतीक है. वह सम्मान और स्वाभिमान का प्रतीक है. हरा रंग भी हमारी प्रगति, पारदर्शिता, स्वच्छता तथा खुशहाली का प्रतीक बने, यह मेरी भी कामना है. लेकिन जो केवल हरा-भरा के नाम पर अपनी दुकानें चलाना चाहते हैं. तुष्टिकरण की राजनीति से हरे रंग को किसी खास समुदाय से जोड़कर उस को प्रसन्न करने के खेल में हरियाली को खा जाते हैं. हरियाली को खाने वाले से बिहार को मुक्त करना हमारी जिम्मेदारी है. हरे रंग का सम्मान करेंगे. तुष्टिकरण की राजनीति का नहीं.

"हमारे शौर्य और भगवा रंग से इतनी नफरत है तो ऐसे नफरत करने वाले लोग को फिर से भगवाकरण पर सिर झुकाना पड़ेगा. खुली चुनौती है. उनका निशाना कहां हैं? मैं नहीं समझता हूं? आप हरे रंग के ही क्यों पक्षधर हैं? सभी रंग को क्यों नहीं स्वीकार करते हैं? हम लोग भी तो अपने झंडे के अंदर हरा और केसरिया रखते हैं. तिरंगे का भी सम्मान करते हैं. तुष्टिकरण की राजनीति में आपने राष्ट्रगीत को विधानसभा के अंदर बंद कर दिया. कौन सा बदलाव कर रहे हैं ? इसका संदेश अच्छा नहीं जाएगा. रंग कोई भी रखें इससे कोई अंतर नहीं पड़ता है."- विजय सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष, बिहार

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