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'बिहार के 73 थानों के पास अपनी जमीन नहीं, दूसरे विभाग की जमीन पर चल रहे 23 थाने'

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Published : Feb 8, 2022, 5:18 PM IST

एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार
एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार

बिहार के कई थाने जो जर्जर स्थिति में चल रहे थे, उनको नए भवनों में शिफ्ट किया गया है. लेकिन, बिहार में अभी भी 73 थानों के पास अपनी जमीन नहीं है. इसके अलावा 23 थाने दूसरे विभाग की जमीन पर चल रहे हैं. एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (ADG Jitendra Singh Gangwar) का कहना है कि ''इनमें से कुछ थानों पर भवन निर्माण विभाग द्वारा पुलिस थाने बनने का कार्य शुरू हो गया है और कुछ थाने अभी भी प्रक्रियाधीन हैं.''

पटना: बिहार पुलिस लगातार खुद को समृद्ध के साथ-साथ खुद को आधुनिकीकरण की ओर ले जा रही है. पिछले 15 साल में बिहार के कई थाने जो जर्जर स्थिति में चल रहे थे, उन थानों को नए भवनों में शिफ्ट किया गया है. हालांकि, बिहार में कई भी ऐसे कई थाने हैं जिनके पास अपना भवन नहीं है. इनमें से कई थाने पटना में भी स्थित हैं, जो या तो किराए के मकान में चल रहे हैं या दूसरे विभाग की जमीन पर स्थापित हैं. बिहार पुलिस मुख्यालय (Bihar Police Headquarter) के अनुसार पिछले 6 महीने में करीब 100 थानों के लिए जमीन चिन्हित की गई है.

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राज्य सरकार ने भूमिहीन थानों को जमीन उपलब्ध कराने का निर्देश जिले के डीएम और एसपी को दिया था. दोनों को आपस में समन्वय स्थापित कर थानों के लिए जमीन मुहैया करवाने का निर्देश दिया गया था. ताकि, वहां पर भवन निर्माण विभाग के द्वारा पुलिस के खुद के थाने का भवन बनाए जा सकें. हालांकि, बिहार में थानों का आधुनिकीकरण (Modernization of Police Stations in Bihar) के लिए कुछ स्तर तक यह काम पूरा भी हुआ है. पुलिस मुख्यालय के अनुसार बिहार के कुछ थाने ऐसे हैं, जो दूसरे विभाग की जमीन या स्थान पर चल रहे हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही संबंधित विभाग से बातचीत कर वहां पर थाने का अपना भवन स्थापित होगा.

राजधानी पटना सहित बिहार के कई जिलों में कई थानों को अपना भवन मिला है, जिसे आदर्श थाना के रूप में भवन बनाया गया है. सुल्तानगंज महिला थाना, दीघा थाना, पत्रकार नगर थाना सहित कई थानों को अपना भवन प्राप्त हुआ है. वहीं, राजधानी पटना के कई ऐसे थाने भी हैं, जो जर्जर स्थिति में हैं या अभी भी दूसरे स्थान पर चल रहे हैं. उनमें से बुद्धा कॉलोनी थाना, एसके पुरी थाना, कदम कुआं थाना, राजीव नगर थाना के अलावा कई और ऐसे थाने भी हैं.

''बिहार के थानों को लेकर बिहार सरकार और पुलिस मुख्यालय काफी सतर्क है. बिहार सरकार की प्राथमिकता में से एक है कि बिहार के थानों का खुद का भवन हो सकें, जिस वजह से ज्यादातर थानों को अपने भवन मुहैया हुआ है. कुछ थाने बचे हुए हैं, जिनके पास अपना भवन नहीं है. ऐसे में पिछले 6 महीनों में करीब 100 थानों को जमीन मुहैया करवाई गई है, उनमें से कुछ में भवन निर्माण विभाग द्वारा काम भी शुरू कर दिया गया है.''- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, बिहार पुलिस मुख्यालय

एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि दूसरे विभाग के स्थान पर चल रहे थानों के लिए या तो विभाग से बातचीत चल रही है या दूसरे स्थान पर जमीन खोजी जा रही है, ताकि वहां पर नए थाने का भवन बनाया सकें और उस थाने को पदस्थापित किया जा सकें. जैसे ही भवन का निर्माण होगा, वैसे ही उस थाने का नया भवन और नए थाने का एड्रेस हो जाएगा. एडीजी मुख्यालय जितेंद्र सिंह के मुताबिक करीब दो दर्जन थाने ऐसे हैं, जिनके लिए जमीन मुहैया नहीं हो पाई है. इंटर डिपार्टमेंट बातचीत चल रही है. उम्मीद है कि जल्द ही इन्हें भी खुद की जमीन मुहैया होगी.

पुलिस मुख्यालय के अनुसार 73 ऐसे थाने हैं जिनके पास अपनी जमीन नहीं है. उनमें से 23 थाने ऐसे हैं, जो दूसरे विभाग की जमीन पर चल रहे हैं. जैसे ही दूसरे विभाग के द्वारा हमें जमीन मुहैया करवा दी जाएगी, हम तुरंत ही नए थाने का भवन बनाएंगे. जानकारी के अनुसार बिहार के 16 ऐसे थाने हैं, जिसका नोटिफिकेशन ही पुलिस मुख्यालय को नहीं मिल रहा है. उस पर पुलिस मुख्यालय का कहना है कि साल 2091 में बिहार में कई नए जिले बने थे. ऐसा हो सकता है कि उस समय के कोई कागजात नहीं मिल रहे होंगे. ऐसे में हम तुरंत जांच करवाकर उसे दुरुस्त करवा लेंगे.

पुलिस मुख्यालय के अनुसार उग्रवाद से निपटने के लिए कई जिलों में पहले पीकेट की व्यवस्था की गई थी, लेकिन उस समय के अनुसार उस पीकेट को ओपी में तब्दील कर दिया गया था. ऐसा हो सकता है कि कुछ ओपी का नोटिफिकेशन नहीं होगा, जिसे हम तुरंत जांच करवाकर उसका भी नोटिफिकेशन जारी करवा लेंगे. बिहार के कई थाने ऐसे हैं जो करीब 100 साल से पुराने हैं, जिनमें राजधानी पटना का कोतवाली थाना और भागलपुर का कोतवाली थाना हैं. पुराने थाने होने की वजह से उसका नोटिफिकेशन कहां पर है, इसे कहीं ना कहीं ढूंढने में जरूर समस्या आ रही है लेकिन इसे जरूर ढूंढ लिया जाएगा. जिन थानों का नोटिफिकेशन नहीं मिल रहा है, उसे सरकार के पास प्रस्ताव भेजकर टीम गठित कर फिर से एक बार उस थाने का नोटिफिकेशन करवा लिया जाएगा.

दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार राज्य के सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे लगने हैं, ताकि थानों में किसी भी व्यक्ति के साथ मानवाधिकार का उल्लंघन ना हो सकें. बिहार में भी लगभग सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे लग रहे हैं. सीसीटीवी कैमरे लगने के दौरान यह पता चला है कि बिहार के 28 जिले के 99 थानों और ओपी का नोटिफिकेशन नहीं मिल रहा है. इनमें से 62 थाने और 37 ओपी का नाम हैं. इनमें से भागलपुर जिले का बाराहाट नवगछिया का सोनबरसा नदी थाना और सोनबरसा थाने के साथ ही बांका का जिलेबिया मोड़ खैरा, अवरखा मोरी पहाड़ी, सिघोना, जमदाहा और उनारा शामिल हैं. इसके अलावा पटना के इमामगंज, मुसल्लहपुर, पंचरुखीया पितावास पियरपुर, चित्रगुप्त नगर, गांधी सेतु गांधी घाट हार्डिंग पार्क सहित कई थाने और ओपी शामिल हैं.



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