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बिहार में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या देश में सबसे ज्यादा, ये राज्य रह गए पीछे

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Published : Jan 30, 2021, 11:53 AM IST

Updated : Jan 30, 2021, 5:49 PM IST

राज्यों में महिला कर्मियों की सबसे अधिक हिस्सेदारी के सिलसिले में बिहार सबसे आगे आता है, यहां नागरिक पुलिस, जिला सशस्त्र रिजर्व पुलिस बल, विशेष सशस्त्र पुलिस बल और भारत रिजर्व बटालियन में कुल 25.3 प्रतिशत तक महिला कर्मी हैं.

बिहार में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या
बिहार में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या

पटना: इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 में कहा गया है कि बिहार भारत का वो राज्य है जहां पुलिस बल में महिलाओं का प्रतिशत सबसे अधिक है. रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में हर चार पुलिसकर्मियों में एक महिला पुलिसकर्मी शुमार है और ये दर भारत के तमाम राज्यों में सबसे अधिक है.

गुरुवार को जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 राज्यों की सूची में 25.3 प्रतिशत महिला पुलिसकर्मियों के साथ बिहार अव्वल स्थान पर है. इसके बाद हिमाचल प्रदेश का नंबर आता है. हिमाचल का इस मामले में 19.2 प्रतिशत है और तमिलनाडु 18.5 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर हैं. जबकि बिहार की पुलिस फोर्स में 20 प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं की भागीदारी के साथ बिहार एकमात्र राज्य बन गया है. इतना ही नहीं यहां अधिकारी वर्ग में ही केवल 6.1 प्रतिशत ही महिलाएं हैं.

पुलिस बल में महिलाओं को मिल रहा आरक्षण
राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश पुलिस में महिलाओं की हिस्सेदारी में 2014 के बाद से लगातार वृद्धि दर्ज की गई है. जहां 2014 में लगभग 1.11 लाख तक महिलाकर्मी थी, वहीं 2019 में यह बढ़कर 2.15 लाख पहुंच गया. इसमें कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आरक्षण नीति को सुगम बनाए जाने के कारण ऐसा हुआ है. लगभग 14 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश अपने पुलिस बल में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण, दो राज्यों में 20 फीसदी कोटा और तीन राज्यों में 10 फीसदी कोटा प्रदान करता हैं.

देखें आंकड़ा.
देखें आंकड़ा.

इसे भी पढ़ें: बिहार पैक्स चुनाव 2021 के पहले चरण का मतदान जारी, शाम को आएंगे नतीजे

नीतीश कुमार की देन
बिहार पुलिस फोर्स में महिलाओं की संख्या बाकि राज्यों की तुलना में ज्यादा है. इस पर पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि ये बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की देन है.

"पूरे देश में बिहार अव्वल है, जहां 25 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं पुलिस फोर्स में हैं. दूसरे नंबर पर हिमाचल प्रदेश है और तीसरे नंबर पर केरल है. ये महिला महिला सशक्तिकरण की दिशा में बहुत सकरात्मक पहल है. इसका श्रेय नीतीश कुमार को जाता है. महिलाएं पुरुषों से किसी मायने में कम नहीं हैं. कोरोना काल के समय भी उनेहोंने सड़कों पर 12-12 घंटे काम किया है. जो सराहनीय है. हर जगह हर मोर्चे पर नारी सशक्त है, सफल है और मजबूत है. समाज को उसे और मजबूत बनाने में सहयोग करना चाहिए"- गुप्तेश्वर पांडेय, पूर्व डीजीपी

गुप्तेश्वर पांडेय, पूर्व डीजीपी

बिहार में महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान
बता दें कि राज्य सरकार ने प्रदेश में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उन्हें पंचायती राज संस्थानों और स्थानीय निकाय चुनाव में 50 फीसदी आरक्षण, शिक्षकों की नियुक्ति में आधी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने, पुलिस सहित अन्य नौकरियों में 35 प्रतिशत का आरक्षण, बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान छेड़ने के सहित कई कदम उठाए हैं. साथ ही, महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए उन्हें रोजगार देने के लिए प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा पर भी जोर दिया जा रहा है.

हाईकोर्ट में एक भी महिला जज नहीं: रिपोर्ट
रिपोर्ट में इस तथ्य की ओर भी ध्यान दिलाया गया है कि बिहार, उत्तराखंड, त्रिपुरा और मेघालय भारत के ऐसे राज्य हैं जहां हाईकोर्ट में एक भी महिला जज नहीं है. पुलिस, कारागार और न्यायपालिका में महिलाओं की संख्या कम है, लेकिन उनकी संख्या में मामूली इजाफा हुआ है.

ये भी पढ़ें: 'लोक-लुभावन बजट के आसार, महामारी-आर्थिक संकट के बीच बड़ी चुनौती'

किन चीजों को आधार बनाकर तैयार की गई है ये रिपोर्ट
इस रैंकिंग को तैयार करने के लिए न्याय प्रक्रिया के चार प्रमुख स्तंभों का आंकड़ेंवार अध्ययन किया गया है. ये स्तंभ हैं - पुलिस, न्याय व्यवस्था, जेल और कानूनी सहायता. बता दें कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इन चार स्तंभों के बीच तालमेल बेहद जरूरी है.

हर स्तंभ का राज्य द्वार मानकों और मापदंडों की तुलना में बजट, मानव संसाधन, कर्मचारियों का कार्यभार, विविधता, बुनियादी सेवा सुविधाएं और प्रवृत्तियों की कसौटियों पर विश्लेषण किया गया है. इस विश्लेषण के आधार पर ही देश के 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट तैयार की गई है.

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट तैयार करने वाली संस्थाएं
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट टाटा ट्रस्ट्स, सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशियेटिव, दक्ष, टीआईएसएस-प्रयास और विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी ने मिलकर बनाया है.

पटना: इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 में कहा गया है कि बिहार भारत का वो राज्य है जहां पुलिस बल में महिलाओं का प्रतिशत सबसे अधिक है. रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में हर चार पुलिसकर्मियों में एक महिला पुलिसकर्मी शुमार है और ये दर भारत के तमाम राज्यों में सबसे अधिक है.

गुरुवार को जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 राज्यों की सूची में 25.3 प्रतिशत महिला पुलिसकर्मियों के साथ बिहार अव्वल स्थान पर है. इसके बाद हिमाचल प्रदेश का नंबर आता है. हिमाचल का इस मामले में 19.2 प्रतिशत है और तमिलनाडु 18.5 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर हैं. जबकि बिहार की पुलिस फोर्स में 20 प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं की भागीदारी के साथ बिहार एकमात्र राज्य बन गया है. इतना ही नहीं यहां अधिकारी वर्ग में ही केवल 6.1 प्रतिशत ही महिलाएं हैं.

पुलिस बल में महिलाओं को मिल रहा आरक्षण
राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश पुलिस में महिलाओं की हिस्सेदारी में 2014 के बाद से लगातार वृद्धि दर्ज की गई है. जहां 2014 में लगभग 1.11 लाख तक महिलाकर्मी थी, वहीं 2019 में यह बढ़कर 2.15 लाख पहुंच गया. इसमें कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आरक्षण नीति को सुगम बनाए जाने के कारण ऐसा हुआ है. लगभग 14 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश अपने पुलिस बल में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण, दो राज्यों में 20 फीसदी कोटा और तीन राज्यों में 10 फीसदी कोटा प्रदान करता हैं.

देखें आंकड़ा.
देखें आंकड़ा.

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नीतीश कुमार की देन
बिहार पुलिस फोर्स में महिलाओं की संख्या बाकि राज्यों की तुलना में ज्यादा है. इस पर पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि ये बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की देन है.

"पूरे देश में बिहार अव्वल है, जहां 25 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं पुलिस फोर्स में हैं. दूसरे नंबर पर हिमाचल प्रदेश है और तीसरे नंबर पर केरल है. ये महिला महिला सशक्तिकरण की दिशा में बहुत सकरात्मक पहल है. इसका श्रेय नीतीश कुमार को जाता है. महिलाएं पुरुषों से किसी मायने में कम नहीं हैं. कोरोना काल के समय भी उनेहोंने सड़कों पर 12-12 घंटे काम किया है. जो सराहनीय है. हर जगह हर मोर्चे पर नारी सशक्त है, सफल है और मजबूत है. समाज को उसे और मजबूत बनाने में सहयोग करना चाहिए"- गुप्तेश्वर पांडेय, पूर्व डीजीपी

गुप्तेश्वर पांडेय, पूर्व डीजीपी

बिहार में महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान
बता दें कि राज्य सरकार ने प्रदेश में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उन्हें पंचायती राज संस्थानों और स्थानीय निकाय चुनाव में 50 फीसदी आरक्षण, शिक्षकों की नियुक्ति में आधी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने, पुलिस सहित अन्य नौकरियों में 35 प्रतिशत का आरक्षण, बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान छेड़ने के सहित कई कदम उठाए हैं. साथ ही, महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए उन्हें रोजगार देने के लिए प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा पर भी जोर दिया जा रहा है.

हाईकोर्ट में एक भी महिला जज नहीं: रिपोर्ट
रिपोर्ट में इस तथ्य की ओर भी ध्यान दिलाया गया है कि बिहार, उत्तराखंड, त्रिपुरा और मेघालय भारत के ऐसे राज्य हैं जहां हाईकोर्ट में एक भी महिला जज नहीं है. पुलिस, कारागार और न्यायपालिका में महिलाओं की संख्या कम है, लेकिन उनकी संख्या में मामूली इजाफा हुआ है.

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किन चीजों को आधार बनाकर तैयार की गई है ये रिपोर्ट
इस रैंकिंग को तैयार करने के लिए न्याय प्रक्रिया के चार प्रमुख स्तंभों का आंकड़ेंवार अध्ययन किया गया है. ये स्तंभ हैं - पुलिस, न्याय व्यवस्था, जेल और कानूनी सहायता. बता दें कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इन चार स्तंभों के बीच तालमेल बेहद जरूरी है.

हर स्तंभ का राज्य द्वार मानकों और मापदंडों की तुलना में बजट, मानव संसाधन, कर्मचारियों का कार्यभार, विविधता, बुनियादी सेवा सुविधाएं और प्रवृत्तियों की कसौटियों पर विश्लेषण किया गया है. इस विश्लेषण के आधार पर ही देश के 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट तैयार की गई है.

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट तैयार करने वाली संस्थाएं
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट टाटा ट्रस्ट्स, सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशियेटिव, दक्ष, टीआईएसएस-प्रयास और विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी ने मिलकर बनाया है.

Last Updated : Jan 30, 2021, 5:49 PM IST
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