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बाढ़ राहत के नाम पर लूट! साक्ष्य के बावजूद केस रफा-दफा, कोर्ट ने लगाई SP को फटकार

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Published : Jan 8, 2023, 12:00 PM IST

Updated : Jan 8, 2023, 12:17 PM IST

आर्थिक अपराध इकाई बिहार
आर्थिक अपराध इकाई बिहार

बिहार में बाढ़ के दौरान मिलने वाली सहायता राशि के बंदरबांट मामले में बड़ा खुलासा (Police Shelved Case Despite Evidence of Corruption) हुआ है. मामला उजागर होने के बाद लोगों को पैसे वापस कर दिए गए. वहीं, पुलिस ने भी इस मामले को रफादफा कर दिया. अब इस मामले में कोर्ट ने संज्ञान लिया है. पढ़ें पूरी खबर.

बाढ़ के नाम पर लूट

पटना: बिहार में बाढ़ (Flood In Bihar) की विभीषिका से हर साल हजारों लोग बेघर होते हैं. गरीबी और भुखमरी की मार झेल रहे लोगों को 2 जून का भोजन तक मयस्सर नहीं होता है. बाढ़ के दौरान गरीबों को सहायता राशि सरकार की ओर से भेजा तो जाता है, लेकिन उसका बंदरबांट हो जाता है. साल 2020 में सिवान जिले परौली शाह टोला में बाढ़ आई थी. पीड़ितों के लिए 6000 रुपये सरकार की ओर से भेजी गई, लेकिन वार्ड नंबर 4 में वैसे लोगों को सहायता राशि दे दी गई, जो उस वार्ड के सदस्य नहीं थे.

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बाढ़ के नाम पर लूट: सिवान जिले के परौली शाह टोला के वार्ड नंबर 4 के वार्ड सदस्य भागीरथ पंडित ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के यहां परिवार दायर किया. परिवाद में शिकायत की गई कि 62 ऐसे लोगों को बाढ़ राहत की राशि दी गई, जो उस वार्ड के सदस्य ही नहीं थे. मामले में लकड़ी नवीगंज सिवान के अंचलाधिकारी अजय ठाकुर ने थाना में मामला दर्ज कराया. कुल 21 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया गया. इसमें 17 लोग ऐसे थे, जिन्होंने बाढ़ राहत के पैसे गलत तरीके से हासिल किए थे.

लोगों ने किया पैसा वापस: मामला प्रकाश में आने के बाद प्रशासन के दबाव में सभी 17 लोगों ने पैसे वापस कर दिए. पुलिस ने यह तर्क दिया कि सर्किल ऑफिसर के रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने मिस्टेक आफ फैक्ट करके केस को फाइनल कर दिया. पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने सिवान पुलिस की कार्रवाई पर हैरानी जताते हुए कहा कि सभी केस को री ओपन किया जाए. साथ ही अनुसंधान का जिम्मा आर्थिक अपराध इकाई को सौंप दिया गया.

कोर्ट ने एसपी को लगाई फटकार: पूरे मामले को तथ्य की भूल समझकर केस को फाइनल करने से न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक को भी फटकार लगाई और कहा कि फर्जीवाड़ा तरीके से पैसे लिए गए और फिर नोटिस के बाद वापस किए जाने के बाद क्या केस को मिस्टेक आफ फैक्ट माना जाएगा. दरअसल कानून के मुताबिक पैसे की बरामदगी के बाद आरोपियों पर सेक्सन 411 लगना चाहिए था और प्रोडक्शन कम सीजर लिस्ट बनाया जाना चाहिए था, मिस्टेक आफ फैक्ट के बजाय पुलिस को पूरे मामले में अंतिम प्रपत्र सपना चाहिए था.

बढ़ने वाली है पुलिस की मुश्किलें: न्यायालय के रुख से स्पष्ट है कि अनुसंधान के बाद सिवान पुलिस की भी मुश्किलें बढ़ने वाली है. हर जांच की जद में सीनियर अधिकारी आ सकते हैं. बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि नौकरशाहों की वजह से बिहार की फजीहत होती रही है. सिवान की घटना को लेकर जिस तरीके से कोर्ट ने टिप्पणी की वह सरकार के लिए शर्मनाक है. सरकार में ऐसे ही लोगों को संरक्षण मिलता है, जो नियम और कानून को ताक पर रखकर काम करते हैं. राज्य के अंदर पूरी तरह नौकरशाहों का बोलबाला है.

"नौकरशाहों की वजह से बिहार की फजीहत होती रही है. सिवान की घटना को लेकर जिस तरीके से कोर्ट ने टिप्पणी की वह सरकार के लिए शर्मनाक है. सरकार में ऐसे ही लोगों को संरक्षण मिलता है, जो नियम और कानून को ताक पर रखकर काम करते हैं. राज्य के अंदर पूरी तरह नौकरशाहों का बोलबाला है."- विनोद शर्मा, बीजेपी प्रवक्ता

"भाजपा नेता नकारात्मक राजनीति करते हैं. हमारी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करती है. सरकार पूरे मामले में कोर्ट के निर्देशों के आधार पर काम करेगी."- एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता

"बिहार में बिल्कुल अराजक की स्थिति हो गई है. ऐसा लगता है कि किसी को कानून की जानकारी नहीं है, तो कोई जाति देखकर काम करता है. सिवान मामले में पुलिस की लापरवाही रहे और उन्होंने अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं किया. सरेंडर किए जाने के बाद रिमांड भी नहीं किया गया. पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते हैं."- अमिताभ कुमार दास, पूर्व आईपीएस

Last Updated :Jan 8, 2023, 12:17 PM IST
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