'27 मई को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक', जीतनराम मांझी का बड़ा बयान

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Published : May 23, 2022, 11:08 AM IST

27 मई को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक
27 मई को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक ()

27 मई को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक (All party Meeting on Caste Census) हो सकती है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Former CM Jitan Ram Manjhi) ने इसको लेकर बयान दिया है. हालांकि सरकार की ओर से अबतक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है. पढ़ें पूरी खबर...

पटना: बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census In Bihar) को लेकर सियासत गरमायी हुई है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की मुलाकात हुई थी. इसके बाद सीएम साफ कर दिया था कि बहुत जल्द ऑल पार्टी मीटिंग बुलायी जाएगी. अब पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Former CM Jitan Ram Manjhi) ने इस बारे में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि इस महीने की 27 मई को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक (all party meeting on caste census) होगी.

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27 मई को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक: नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संरक्षक जीतनराम मांझी ने बताया कि बिहार में जातीय जनगणना कराने को लेकर राज्य सरकार प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार इसको लेकर 27 मई को सर्वदलीय बैठक करने वाले हैं. हमें उम्मीद है कि सभी दल इस मुद्दे पर सरकार के साथ रहेंगे. हालांकि पहले भी सभी दलों का समर्थन रहा है.

बोले तेजस्वी- 'जल्द होगी सर्वदलीय बैठक': इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पिछले दिनों कहा था कि हमें पूरी उम्मीद है कि बहुत जल्द सर्वदलीय बैठक बुलायी जाएगी. सीएम से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री से जो बात हुई है और जो आश्वासन मिला है, उससे लगता है कि इस महीने के अंत मे या अगले महीने के पहले सप्ताह में जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक होगी और सब कुछ तय हो जाएगा.

'जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं बीजेपी': उधर, सुशील मोदी भी साफ कर चुके हैं कि बीजेपी सरकार के साथ है. उन्होंने कहा कि मैं याद कराना चाहूंगा कि बिहार विधानसभा और परिषद से दो-दो बार सर्वसम्मत से प्रस्ताव पारित हुआ है. इसमें भारतीय जनता पार्टी भी शामिल थी. अगर हम इसके विरोध में होते तो सर्वसम्मत प्रस्ताव में शामिल क्यों होते? झारखंड विधानसभा में भी सर्वसम्मत से प्रस्ताव पारित हुआ जिसमें बीजेपी शामिल थी. जब पीएम से मिलने ऑल पार्टी डेलिगेशन गया तो हमने अपनी सरकार के वरिष्ठ मंत्री जनक राम को इसमें शामिल किया. उस डेलिगेशन की मांग थी कि बिहार के अंदर जातीय जनगणना करायी जाए. अगर हम विरोध में होते तो डेलिगेशन में क्यों शामिल होते?

पीएम मोदी से मिला बिहार का प्रतिनिधिमंडल: पिछले साल 23 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में 10 सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने जातीय जनगणना की मांग पर जोर देने के लिए दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. प्रतिनिधिमंडल में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, बिहार सरकार में मंत्री जनक राम, मुकेश सहनी और विजय कुमार चौधरी, कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा, सीपीआई के सूर्यकांत पासवान, महबूब आलम (सीपीआई-एमएल), अख्तरुल इमान (एआईएमआईएम) और सीपीआई-एम के अजय कुमार शामिल थे. हालांकि इस मांग को केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया है. इस बाबत केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने संसद में जानकारी दी.

2 बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित: आपको याद दिलाएं कि बिहार में जातीय जनगणना का मुद्दा काफी पुराना है. बिहार विधान सभा ने 2019 और 2020 में दो बार सर्वसम्मति से इसके लिए प्रस्ताव पारित किए थे. दोनों अवसरों पर सभी बीजेपी विधायकों ने भी इसके समर्थन में मतदान किया था. 1931 के बाद देश में एससी और एसटी के अलावा अन्य जाति आधारित जनगणना नहीं की गई है.

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