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सवालों के घेरे में EOU, कई मामलों में अबतक दर्ज नहीं हुआ है चार्जशीट

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Published : Jul 8, 2022, 8:58 PM IST

बिहार में ईओयू (EOU Panding Case) सवालों के घेरे में है. दरअसल भ्रष्टाचार के मामले में ईओयू के द्वारा साल 2017 में आय से अधिक संपत्ती के मामले में एक अधिकारी के ठिकाने पर छापेमारी की गई थी. छापेमारी के बाद उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. लेकिन आजतक उसके खिलाफ चार्जशीट नहीं दर्ज की गई है. पढ़ें पूरी खबर..

Economic Offenses Unit
Economic Offenses Unit

पटना: बिहार में जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत राज्य सरकार के निर्देश पर आर्थिक अपराध इकाई (Economic Offenses Unit), विजिलेंस और विशेष निगरानी इकाई की टीम द्वारा भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) बिहार को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का सपना पिछले सोलह वर्षों से देख रहे हैं. अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने एक अलग से विंग भी बनवाया. इस विंग का नाम आर्थिक अपराध इकाई है. जिसे लोग ईओयू के नाम से भी जानते हैं.

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EOU पर उठ रहे सवाल: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार हटाने को लेकर जो विंग बनाया अब उसी पर सवाल उठने लगे हैं. ये सवाल लापरवाही से जुड़ा हुआ है. दरअसल, मामला यह है की 17 नवंबर 2017 को EOU ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में शिवहर के तत्कालीन MVI अधिकारी अमिताभ कुमार के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और भ्रष्टाचार में लिप्त होने का मुकदमा दर्ज कर पटना समेत उनके विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की थी. छापेमारी के दौरान उनके ठिकानों से करोड़ों की अकूत संपत्ति का पता चला था. मगर लगभग साढ़े चार वर्ष के बाद भी EOU ने इनके विरुद्ध कोर्ट में चार्जशीट दाखिल नहीं की, जिसका लाभ अमिताभ को मिल गया और अब वो भोजपुर में बतौर MVI अधिकारी सेवा दे रहे थे. खबर उठने के बाद आनन-फानन में इन्हें मुख्यालय अटैच कर दिया गया है.

निलंबित इधिकारी के खिलाफ नहीं दर्ज हुई चार्जशीट: दरअसल, आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के केस में 4 सालों से निलंबित चल रहे मोटरयान निरीक्षक अमिताभ कुमार को परिवहन विभाग ने 22 जून को निलंबन मुक्त कर पोस्टिंग कर दिया. जिसके बाद इस मामले में आर्थिक अपराध इकाई भी कटघरे में खड़ी हो गई है. इस मामले में हालांकि तर्क दिया गया कि आर्थिक अपराध इकाई ने अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं किया है. फील्ड पोस्टिंग की खबर सरकार को मिलते ही परिवहन विभाग ने यू-टर्न लेते हुए 24 जून को भोजपुर एमबीआई के पद से हटाते हुए मुख्यालय में पदस्थापित कर दिया है. हालांकि, मिल रही जानकारी के अनुसार आर्थिक अपराध इकाई पर चार्जशीट दाखिल नहीं करने का ठिकरा फोड़े जाने के बाद अब जांच एजेंसी भी हरकत में आ गई है.

कई अधिकारियों की हुई है पोस्टिंग: हालांकि, यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी भ्रष्ट अधिकारी की इस तरह पोस्टिंग की गई है. इस लिस्ट में बेगुसराय उत्पाद एवं मध निषेध अधीक्षक अभिनव प्रकाश का भी नाम शामिल है. आर्थिक अपराध इकाई की विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक एसबीआई केस की समीक्षा की गई है. वरीय अधिकारी ने बताया है कि इस केस में सारे सबूत जुटा लिए गए हैं. केश के आईओ ने चार्जशीट दाखिल करने लायक प्रमाण इकट्ठा कर लिया है. जल्द ही कोर्ट में आरोप पत्र समर्पित करने का निर्देश दिया गया है.

परिवहन विभाग ने साधी चुप्पी: इधर अब इस मामले को लेकर EOU और परिवहन विभाग चुप्पी साधे हुए है. जबकि, ADG पुलिस मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार कहते हैं की यह मामला बेहद गंभीर है. मुख्यालय EOU के साथ जल्द ही एक बैठक कर ऐसे मामलों की समीक्षा करेगी और जहां जिस स्तर पर गड़बड़ी हुई है. उस स्तर पर कारवाई की जायेगी. उन्होंने बताया कि विगत आगामी दिनों में होने वाली बैठक में इस बात की समीक्षा की जाएगी कि अब तक कितने कांडों का निष्पादन किया गया और कितने कांड लंबित पड़े हुए हैं, कितने का अनुसंधान चल रहा है, क्योंकि सरकारी कर्मचारी होने के नाते उन्हें ज्यादा दिन तक सस्पेंड में रखा जा सकता है. ऐसे मामलों को ट्रायल कोर्ट तक ले जाना अति आवश्यक है. इन सभी बिंदुओं पर जल्द ही चर्चा की जाएगी.

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