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नवादा: 'रिवार्ड्स एनजीओ' की ओर से मिल रहे मिड-डे मील से बच्चे खुश, अधिकारी भी संतुूष्ट

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Published : Sep 18, 2019, 11:10 AM IST

1 अगस्त से शुरू हुए केंद्रीयकृत रसोईघर से अब तक 76 स्कूल के करीब 8500 बच्चे को ससमय गरमा गरम मिड डे मील मिल रहा है. इसके लिए एक दिन पहले ही अनुमानित बजट तैयार कर ली जाती है.

सरकारी स्कूल के 8500 बच्चों को मिल रहा स्वादिष्ट खाना

नवादा: सूबे में मीड डे मील लागू होने से जहां सरकारी विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति में बढ़ोतरी देखी गई है. वहीं शिक्षक मिड डे मील प्रबंधक बनकर रह गये हैं. आये दिन स्कूली बच्चे और उनके अभिभावक की यह शिकायत रहती है कि बच्चों को सही समय पर पौष्टिक और गुणवत्तापूर्ण मीड डे मील नहीं मिलता है.

वहीं, शिक्षक भी विद्यालय में गिरते शिक्षा के स्तर का ठीकरा एमडीएम पर फोड़ते हैं. लेकिन जब से जिले में गैर-सरकारी संगठन 'रिवॉर्ड्स' स्कूलों में मेन्यू के हिसाब से खाना पहुंचाने लगा है. तब से बच्चे भी खुश दिख रहे हैं और शिक्षक भी. अब न एमडीएम को लेकर बच्चों को शिकायत है और न ही शिक्षकों को.

rewards NGO providing food to government school
मिड डे मील बनाते कर्मी

76 स्कूल के करीब 8500 बच्चों को मिल रहा मिड-डे मील
पिछले महीने 1 अगस्त से शुरू हुए केंद्रीयकृत रसोईघर से अब तक 76 स्कूल के करीब 8500 बच्चे को समय पर गरमा गरम मिड-डे मील मिल रहा है. इसके लिए एक दिन पहले ही अनुमानित बजट तैयार कर लिया जाता है और उसके हिसाब से अगले दिन सुबह 5 बजे से भोजन बनाने की तैयारी शुरू हो जाती है. स्टोर से चावल निकाल कर उसे अच्छी तरीह से साफ किया जाता है. फिर मशीन में डालकर चावल, दाल और सब्जी बनाये जाते हैं. यानी जिस दिन जो मेन्यू में लिखा हुआ है, वही खाना बनाया जाता है. फिर उसे 12 बजे से पहले स्कूल तक पहुंचा दिया जाता है.

rewards NGO providing food to government school
सुनिधि कुमारी, छात्र

क्या कहते हैं स्कूली बच्चे
गोनवां के उत्क्रमित मध्य विद्यालय के छठी कक्षा की सुनिधि का कहना है कि हमें रोज मेन्यू के हिसाब से समय पर खाना मिलता है. वहीं 8वीं कक्षा के छात्र संजय कुमार का कहना है कि खाना में कोई गड़बड़ी नहीं है. खाना स्वादिष्ट आता है.

rewards NGO providing food to government school
श्रीनाथ कुमार, प्राचार्य

क्या कहते हैं संस्था के प्रबंधक
संस्था के किचेन प्रबंधक सुमन कुमार का कहना है कि पहले समय पर गरमा गरम खाना नहीं मिल पाता था और स्वच्छता पर भी अधिक ध्यान नहीं दिया जाता था. इन सब चीजों को ध्यान में रखकर हमारी संस्था स्वादिष्ट, गुणवत्तापूर्ण और शुद्ध खाना 76 स्कूलों के करीब 8500-9000 बच्चों तक पहुंचाती है.

सरकारी स्कूल में मिल रहे मिड डे मील पर रिर्पोट

क्या कहते हैं पदाधिकारी
वहीं जिले के डीपीओ एमडीएम प्रभारी राम नरेश सिंह का कहना है कि पिछले दिनों हम वहां गए थे. एनजीओ के माध्यम से जहां मिड-डे मील तैयार किया जा रहा है, वहां काफी बढियां व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि हमने बच्चों से भी विद्यालय में पूछताछ की. उनका भी कहना था कि इससे हम संतुष्ट हैं. इसके साथ ही शिक्षक भी खुश हैं. उनकी भी समस्याएं काफी हद तक दूर हुई है. उन्होंने कहा कि जहां इसे और विस्तार करने की बात है, तो हमलोग देख रहे हैं कि क्या स्थिति बनती है और उनकी क्या कैपिसिटी है. क्योंकि जब तक वो अपनी कैपेसिटी बढ़ाएंगे नहीं, तब तक विस्तार नहीं किया जा सकता है.

Intro:नवादा। सूबे में मीड डे मील लागू होने से जहां सरकारी विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति में बढ़ोत्तरी देखी गई वहीं शिक्षक, शिक्षक न रहकर मिड डे मील प्रबंधक बनकर रह गये थे। आये दिन स्कूली बच्चे व उनके अभिभावक की यह शिकायतें रहती थी कि, बच्चे को सही समय पर पौष्टिक व गुणवत्तापूर्ण मीड डे मील नहीं मिलती है वहीं, शिक्षक भी विद्यालय में गिरते शिक्षा के स्तर के टीकड़ा एमडीएम पर फोड़ते थे। लेकिन जब जिले में गैर-सरकारी संगठन रिवार्ड्स के द्वारा स्कूलों में मेन्यू के हिसाब से खाना पहुचाने जाने लगा है तब से बच्चे भी खुश दिख रहे हैं और शिक्षक भी। अब न एमडीएम को लेकर बच्चों को शिकायतें है और न शिक्षकों को।

बाइट- सुनिधि कुमारी, छात्र
बाइट- संजय कुमार, छात्र
बाइट-सुमन कुमार, किचेन प्रबंधक, रिवार्ड्स
बाइट- डीआईओ, एमडीएम प्रभारी राम नरेश सिंह



Body:पिछले महीने 1अगस्त से शुरू हुए केंद्रीयकृत रसोईघर से अब तक 76 स्कूल के करीब 8500 बच्चे को ससमय गरमागरम एमडीएम मिल रहा है। इसके लिए एक दिन पहले ही अनुमानित बजट तैयार कर ली जाती है और उसके हिसाब से अगले दिन सुबह 5 बजे से भोजन बनाने की तैयारी शुरू हो जाती है, स्टोर से चावल निकल कर उसे अच्छी तरीके से साफ किया जाता है फिर मशीन में डालकर चावल बनाये जाते हैं दाल बनाए जाते हैं और सब्जी बनाये जाते है यानी जिस दिन जो मेन्यू में लिखा हुआ है वही खाना बनाया जाता है और फिर उसे 12 बजे से पहले-पहले स्कूल तक पहुंचा दिया जाता है।

क्या कहते हैं स्कूली बच्चे

गोनवां स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय के छट्ठी कक्षा की सुनिधि का कहना है, हमलोगों को रोज मेन्यू के हिसाब से समय पर खाना मिल जाती है। वहीं 8वीं कक्षा के छात्र संजय कुमार का कहना है कि, खाना में कोई गड़बड़ी नहीं है। खाना स्वादिष्ट आता है सबकुछ ठीक है। आज दाल भात सब्जी मिला है।

क्या कहते हैं संस्था के प्रबंधक

संस्था के किचेन प्रबंधक सुमन कुमार का कहना है कि, पहले समय पर गरमागरम खाना नहीं मिल पाता था और स्वच्छता पर भी अधिक ध्यान नहीं नदी पाते थे। इन सब चीजों को ध्यान में रखकर हमारी संस्था हर स्कूल में स्वादिष्ट, गुणवत्तापूर्ण और शुद्ध खाना 76 स्कूलों के करीब 8500-9000 बच्चों तक पहुंचाती है।

क्या कहते हैं पदाधिकारी


वहीं, जिले के डीपीओ, एमडीएम प्रभारी राम नरेश सिंह का कहना है कि, पिछले 4 तारीख को हम वहां गए थे। एनजीओ के माध्यम से जो एमडीएम तैयार किए जा रहे हैं वहां काफी बढियां व्यवस्थाएँ हैं हमने बच्चों से भी विद्यालय में पूछताछ की उनका भी कहना था इससे हम संतुष्ट हैं शिक्षक भी खुश हैं क्योंकि इसके चलते उन्हें भी बार-बार बात सुनना पड़ता था। उनकी भी समस्याएं काफी हद तक दूर हुए हैं। जहां इसे और विस्तार करने की बात है तो हमलोग देख ले रहे हैं कि क्या स्थिति बनती है और उनकी क्या कैपिसिटी है क्योंकि जब तक वो अपना कैपिसिटी बढ़ाएंगे नहीं तब तक विस्तार नहीं किया जा सकता हैं।


Conclusion:
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