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पटना के बाद राजगीर में मिला मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज, स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप

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Published : Jul 27, 2022, 11:17 AM IST

Updated : Jul 27, 2022, 12:50 PM IST

नालंदा के राजगीर में एक युवक के शरीर पर मंकीपॉक्स (Monkeypox in Nalanda) जैसे संदिग्ध लक्षण मिलने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है. इसको लेकर स्वास्थ विभाग की टीम पूरी तरह अलर्ट पर है. युवक की कोई कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है. पढ़ें पूरी खबर...

राजगीर में मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज मिला
राजगीर में मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज मिला

नालंदा: बिहार में मंकीपॉक्स (Monkeypox in Bihar) का खतरा बढ़ता जा रहा है. राजधानी पटना के बाद अब नालंदा के राजगीर में मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज मिला (Suspected patient of Monkeypox found in Rajgir) है. स्वास्थ्य विभाग ने उसका सैंपल लेकर जांच के लिए पुणे भेजा है. सिविल सर्जन के मुताबिक यह चिकन पॉक्स या स्मॉल पॉक्स भी हो सकता है. मंकीपॉक्स की संभावना कम है, क्योंकि पीड़ित युवक का कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है. वह राजगीर का ही रहने वाला है.

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नालंदा में मंकीपॉक्स का संदिग्ध मिला: नालंदा के सीएम डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने बताया कि स्वास्थ विभाग की टीम इसको लेकर पीड़ित व्यक्ति के घर जाकर सैंपल ले चुकी है. जिसे जांच के लिए पुणे या हैदराबाद भेजा जा सकता है. ज्यादा उम्मीद पुणे के लिए है. वे कहते हैं कि यह चिकन पॉक्स भी हो सकता है लेकिन यह पहला मामला है. लिहाजा जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ भी स्पष्ट तौर पर बताया जा सकता है. साथ ही उन्होंने लोगों से एहतियात बरतने की अपील की है.

"स्वास्थ विभाग की टीम इसको लेकर पीड़ित व्यक्ति के घर जाकर सैंपल ले चुकी है. इसको जांच के लिए पुणे या हैदराबाद भेजा जा सकता है. ज्यादा उम्मीद पुणे के लिए है. देखिये, यह चिकन पॉक्स भी हो सकता है लेकिन यह पहला मामला है. इसलिए इसके जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ बताया जा सकता है. राजगीर वाले युवक में जो संदिग्ध बताया जा रहा है, उसमें वैसा कुछ नहीं मिला है. इसकी संभावना भी नहीं है, क्योंकि पीड़ित युवक की कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है"- डॉ. अविनाश कुमार सिंह, सिविल सर्जन, नालंदा

मंकीपॉक्स क्या है? (What is monkeypox?) : मंकीपॉक्स एक वायरस है, जो रोडेन्ट और प्राइमेट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता है. इससे कभी-कभी मानव भी संक्रमित हो जाता है. मानवों में अधिकतक मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए है, जहां यह इन्डेमिक बन चुका है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिकों ने 1958 में की थी, जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे, इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है. मानव में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में मिला था, जब कांगो में रहने वाला 9 साल बच्चा इसकी चपेट में आया था. मंकीपॉक्स का मनुष्य से मनुष्य संचरण मुख्य रूप से सांस के जरिए होता है. इसके लिए लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है. यह शरीर के तरल पदार्थ या घाव सामग्री के सीधे संपर्क के माध्यम से और घाव सामग्री के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है.

मंकीपॉक्स के लक्षण : बताते चलें कि मंकीपॉक्स भी चेचक परिवार के वायरसओं का हिस्सा है. हालांकि मंकीपॉक्स के लक्षण (symptoms of monkeypox) चेचक यानी कि स्मॉल पॉक्स की तरह गंभीर नहीं बल्कि हल्के होते हैं. लेकिन इसका चिकन पॉक्स से लेना देना नहीं है. यह बीमारी संक्रमण की चपेट में आने के 20 दिनों के बाद शरीर में असर दिखाना शुरू करता है. इसमें शरीर पर पॉक्स जैसी मवाद भरे दाने होने के साथ सिर दर्द, बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द, कपकपी छूटना, पीठ और कमर में दर्द महसूस होते हैं.

पढ़ें- मंकीपॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने पटना को किया अलर्ट

Last Updated : Jul 27, 2022, 12:50 PM IST
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