नालंदा: बिहार के नालंदा में होली मनाने की अनूठी (A unique tradition of celebrating Holi in Nalanda) परंपरा है. शहर से दस किलाेमीटर दूर तेतरावां गांव के लोग भगवान बुद्ध के साथ होली खेलते हैं. सबसे पहले भगवान बुद्ध को मीठा रावा, देसी घी का लेप लगाते हैं. उसके बाद सफेद चादर चढ़ाते हैं. भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर लोग रंग गुलाल और अबीर से होली खेलते हैं.
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गांव में होती थी मूर्ति कला की पढ़ाई: ग्रामीण भगवान बुद्ध की प्रतिमा को बाबा भैरो के नाम से पुकारते हैं. होली का समापन बुद्ध की विशाल काले पाषाण की मूर्ति के साथ सामूहिक रूप से रंग-गुलाल लगाकर खेलते हैं. यहां के जानकार राजीव रंजन पांडे बताते हैं कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में जब पढ़ाई होती थी तो उस वक्त मूर्ति कला की पढ़ाई इसी तेतरावां गांव में होती थी. उसी समय का यह मूर्ति बताया जाता है और यह मूर्ति भगवान बुद्ध की है.
मंदिर में करते हैं भजन कृतन : स्थानीय लोग भैरो बाबा कहकर बुलाते हैं और यहां कोई भी शुभ कार्य होता है तो उसका समापन यहां आकर ही किया जाता है. लोग शुभ कार्य की शुरुआत भगवान बुद्ध की प्रतिमा को विधिवत रूप से साफ-सफाई करते हैं. फिर उन्हें मीठा रावा और देसी घी का लेप लगाते हैं. उसके बाद उसे सफेद चादर चढ़ा भगवान बुद्ध की प्रतिमा को गांव के लोग रंग गुलाल और अबीर होली मनाते हुए मंदिर में भजन कृतन करते हैं.
"भगवान बुद्ध की प्रतिमा वर्षों पुराना है. यहां इनकी देखरेख तीन पुश्तों से करते आ रहे हैं. यहां पहले बड़ी संख्या में देसी विदेशी बौद्ध श्रद्धालु घूमने आते थे. संभवतः यह भी कहा जाता है कि यह काली पत्थर की प्रतिमा एशिया की सबसे बड़ी है. यहां के लोग होली खेलने के बाद प्रार्थना करते हैं कि पूरा साल यहां के लोगों के लिए सुख स्मृद्ध और शांति प्रदान करें." -रविंद्र पांडे, पुजारी