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बाढ़ पीड़ितों का दर्द: 'चूल्हा और बर्तन सब डूब गए, चार दिन से भूखे-प्यासे हैं बच्चे'

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Published : Jul 8, 2021, 8:37 PM IST

Updated : Jul 8, 2021, 8:52 PM IST

Muzaffarpur floods
मुजफ्फरपुर बाढ़

मुजफ्फरपुर में बूढ़ी गंडक नदी (Burhi Gandak River) तबाही मचा रही है. जिले के कई प्रखंड बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. मीनापुर के मधुबन कांटी में बाढ़ का पानी सड़क पर सैलाब की तरह बह रहा है. यहां गांव के लोग तीन-चार दिन से भूखे-प्यासे रहने को विवश हैं.

मुजफ्फरपुर: बाढ़ के पानी में चूल्हा और बर्तन डूब गए. चार दिन से बच्चे भूखे-प्यासे हैं. किसी तरह बिस्किट और चिउड़ा खिलाकर बच्चों को जिंदा रखे हुए हूं. यह दर्द है बिहार के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के मीनापुर की शिव कुमारी देवी का. शिव कुमारी और इसके जैसे हजारों लोग बूढ़ी गंडक नदी (Burhi Gandak River) के उफनाने से आई बाढ़ के चलते अपने और अपने बच्चों की जान बचाने की जंग लड़ रहे हैं.

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बूढ़ी गंडक नदी मुजफ्फरपुर में तबाही मचा रही है. नदी का पानी नए इलाकों में फैल रहा है. मीनापुर प्रखंड के सात पंचायत पूरी तरह बाढ़ के पानी में जलमग्न हो गए हैं. दूसरे इलाकों में भी तेजी से पानी प्रवेश कर रहा है. ईटीवी भारत की टीम मीनापुर के सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित इलाके मधुवन कांटी में पहुंची और ग्राउंड जीरो से बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया.

देखें रिपोर्ट

मीनापुर प्रखंड के कई पंचायतों में बाढ़ का पानी घुस चुका है. गांवों को जोड़ने वाली सड़कों पर सैलाब की तरह गंडक नदी का पानी बह रहा है. उफनते पानी के बीच लोग अपनी जान बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं. गांव के सभी चापाकल डूब गए हैं. इसके चलते पीने के पानी का संकट है. घर में पानी भरने के चलते लोग खाना नहीं बना पा रहे हैं. अनाज और अन्य सामान भी पानी में डूबकर बर्बाद हो गए हैं. चिउड़ा और बिस्किट खाकर लोग अपनी जान बचा रहे हैं.

बाढ़ पीड़ितों तक राहत सामग्री नहीं पहुंची है. नाव भी नहीं है कि बच्चों और बुजुर्गों को घरों से निकालकर ऊंची जगह पहुंचाया जा सके. लोग किसी तरह शिवहर कांटी सड़क पर शरण ले रहे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि यहां प्रशासन की तरफ से नाव की व्यवस्था नहीं की गई है. कम्युनिटी किचन की व्यवस्था भी नहीं है. सबसे ज्यादा दिक्कत पीने के पानी की है. सारे चापाकल डूब चुके हैं.

मीनापुर प्रखंड के बड़ा भारती, रेपुरा, जमीन मठिया, मिल्की समेत कई पंचायत में लोग बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं. सड़कों पर सैलाब की तरह पानी बह रहा है. लोगों को जरूरत की चीजें लेने के लिए सैलाब के बीच से होकर जाना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि अभी तक जिला प्रशासन द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई है. हमलोग जैसे-तैसे जी रहे हैं.

"यहां नाव की सुविधा की जरूरत है. पीने का पानी नहीं है. सभी चापाकल डूब गए हैं. सरकार की तरफ से कोई राहत सामग्री नहीं मिली है. यहां तक कि ब्लॉक से भी कोई अधिकारी नहीं आए हैं."- संतोष राय, बाढ़ पीड़ित, मधुवन कांटी, मीनापुर

"मेरे घर के 6 लोग बाढ़ में फंसे हैं. पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है. खाना नहीं है. बच्चे चार दिन से भूखे हैं. चिउड़ा और बिस्किट खाकर किसी तरह जान बचा रहे हैं. चूल्हा, बर्तन सब पानी में डूब गए. किस चीज से खाना बनाकर खाएं और बच्चों को खिलाएं."- शिव कुमारी देवी, बाढ़ पीड़ित, मधुवन कांटी, मीनापुर

"हमलोगों की स्थिति बहुत खराब है. न नाव है और न खाने के लिए कोई व्यवस्था. बहुत दिक्कत हो रही है. क्या करें? मजबूरी है. कोई देखने नहीं आया है. सरकारी स्तर से कोई मदद नहीं मिली है."- राम प्रवेश सहनी, बाढ़ पीड़ित, मधुवन कांटी, मीनापुर

गौरतलब है कि बूढ़ी गंडक के उफान से आई बाढ़ से जिले के कांटी प्रखंड के तीन पंचायत पानी से घिर गए हैं. यहां करीब पंद्रह हजार से अधिक की आबादी फंसी हुई है. काटी प्रखंड के कोल्हुआ पैगंबरपुर, मिठनसराय, माधोपुर और शेरपुर पहाड़पुर इलाके पूरी तरह बाढ़ के पानी की जद में हैं. इन इलाकों में पांच से सात फीट तक बाढ़ का पानी लगा हुआ है. इस वजह से इन इलाकों में तेजी से लोग घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जा रहे हैं. बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोग मुजफ्फरपुर से लगे दरभंगा राष्ट्रीय राजमार्ग 57 पर शरण ले रहे हैं.

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Last Updated :Jul 8, 2021, 8:52 PM IST
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