रेल इंजन कारखाना के कर्मचारियों ने CWM को लिखा पत्र, डिप्टी भंडार पर लगाया गंभीर आरोप

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Published : Sep 20, 2021, 3:59 PM IST

रेल इंजन कारखाना
रेल इंजन कारखाना ()

मुंगेर में आधा दर्जन से अधिक रेल कर्मचारियों ने डिप्टी भंडार पर आरोप लगाए हैं कि उनसे रेल इंजन कारखाना (Rail Engine Factory) में काम करने के बजाय घरेलू काम करवाया जा रहा है. साथ ही बायोमेट्रिक सिस्टम में भी धांधली की जा रही है.

मुंगेर: बिहार के मुंगेर (Munger) जिले के जमालपुर स्थित रेल इंजन कारखाना (Rail Engine Factory) में 34 करोड़ के बैगन घोटाले (Rail Wagon Scam) के मामले से अभी पर्दा उठा भी नहीं हैं कि दूसरे घोटाले की बू सामने आने लगी है. एक तरफ कारखाना प्रशासन बायोमैट्रिक सिस्टम से रेलकर्मियों की हाजिरी चार टाइम बनाने के आदेश दिए हैं ताकि उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाए, वहीं दूसरी तरफ डिप्टी भंडार गलत तरीके से तरीके से आधा दर्जन से अधिक रेलकर्मियों को अपने आवास पर बुलाकर घरेलू काम करवा रहे हैं.

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आरोप है कि डिप्टी भंडार पी. मजूमदार अवैध तरीके से आधा दर्जन से ऊपर रेलकर्मियों को अपने आवास पर बुलाकर घरेलू कार्य करवा रहे हैं. जिससे जाहिर तौर पर रेलवे को राजस्व को चूना भी लग रहा है. इससे भंडार विभाग के रेलकर्मचारियों में खासा नाराजगी देखी जा रही है. डिप्टी भंडार की इस मनमानी और अवैध उगाही की शिकायत लिखित और मौखिक रूप से रेलकर्मियों ने मुख्य कारखाना प्रबंधक सहित रेल के वरीय अधिकारियों को की है.

रेलकर्मियों की ओर से दिए गए आवेदन में रेलकर्मी प्रदीप कुमार, रामजी रजक, महेश प्रसाद यादव, कपिल प्रसाद मंडल, प्रमोद कुमार दास, दीप नारायण मुर्मू, बुद्धदेव मंडल, गोपाल तांती, ननकू सोरेन, जमीरउद्दीन, आनंदी रविदास, जुगल हेंब्रम, बाल्मीकि यादव और मुरारी सहित अन्य कर्माचारियों ने बताया कि मुख्य कारखाना प्रबंधक के निर्देश पर बायोमेट्रिक हाजिरी मामले को लेकर जारी किए गए आदेश के तहत सिर्फ चालक को बायोमैट्रिक सिस्टम से दूर रखा गया है. जबकि डिप्टी भंडार पी. मजूमदार सीडब्ल्यूएम के आदेश की अवहेलना करते हुए आधा दर्जन से ऊपर क्रेन चालक, सीलिंगर और हेल्पर को अपने आवास पर काम करवा रहे हैं.

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इन लोगों का कहना है कि पी. मजूमदार अवैध उगाही कर रेलवे के राजस्व को चूना लगा रहे हैं. साथ ही रेलकर्मी को बायोमेट्रिक सिस्टम को दरकिनार कर अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति कर रहे हैं. इतना ही नहीं अगर कोई रेलकर्मी इसका विरोध करता है तो उसका शॉप ट्रांसफर करवा देते हैं. जिस कारण रेलकर्मी खुलकर इसका विरोध नहीं कर पा रहे हैं. डिप्टी भंडार के इस अवैधपूर्ण कार्यप्रणाली से कारखाने की उत्पादन क्षमता पर खासा प्रभाव पड़ रहा है.

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