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मधेपुरा की 11 पंचायतें जलमग्न, बाढ़ से प्रभावित हुई 1 लाख की आबादी

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Published : Jul 18, 2020, 9:17 PM IST

मधेपुरा के दो प्रखंडों की 11 पंचायतें जलमग्न हैं. ग्रामीणों की मानें, तो उन्हें किसी प्रकार की सरकारी मदद नहीं मिली है. जैसे-तैसे वो अपना गुजर बसर कर रहे हैं.

मधेपुरा में बाढ़
मधेपुरा में बाढ़

मधेपुरा: जिले की आलमनगर और चौसा प्रखंड की 11 पंचायतें बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. यहां लाखों की आबादी प्रभावित हुई है. बाढ़ पीड़ित अपना घर छोड़ ऊंचे स्थान पर विस्थापित हो गए हैं. वहीं, अभी तक प्रशासन की ओर से इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं पहुंचा है.

बीते तीन दिन से बारिश नहीं हो रही है. दूसरी ओर कोसी बराज से छोड़े गए पानी का जलस्तर भी घटा है. लेकिन मधेपुरा के आलमनगर और चौसा प्रखंड के 11 पंचायत जलमग्न हैं. आलम यह है कि ग्रामीणों ने अपने परिवार और मवेशियों के साथ ऊंचे स्थानों में आशियाना बना लिया है. अनुमान के मुताबिक लगभग एक लाख आबादी बुरी तरह प्रभावित है.

कुछ ऐसे मवेशियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाते ग्रामीण
कुछ ऐसे मवेशियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाते ग्रामीण

नहीं मिली सरकारी नाव
सरकारी फाइल में बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोगों को घर से निकालने के लिए सरकारी नावों की बात कही गई है. लेकिन ग्रामीणों के मुताबिक इन्हें ऐसी कोई सुविधा नहीं मिली. सभी बताते हैं कि जान जोखिम में डालकर वे ऊंचे स्थानों की ओर विस्थापित हुए हैं.

क्या करें साहब ?
क्या करें साहब ?
  • यहां से जो भी तस्वीरें आईं हैं. उससे भी सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे ग्रामीणों ने अपना रास्ता खुद तय किया है.

लोगों में आक्रोश
बाढ़ पीड़ित उमेश सिंह ने आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि मदद के लिए कोई भी नहीं आया है. वहीं, राधा देवी कहती हैं कि घर दुआर सब बाढ़ में डूब गया है. बकरी और मवेशी सभी को किसी तरह बचा कर लाएं हैं. ऐसी ही बातें आशा देवी और सुधा भी बताती हैं. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ के लिए नावों को परमिट मिल चुका है बावजूद इसके, नाव नहीं मिली है.

जलमग्न गांव
जलमग्न गांव

वहीं, सीपीआई के राष्ट्रीय परिषद सदस्य कहते हैं कि इस समय बिहार सरकार को बाढ़ पीड़ितों के लिए भी कदम उठाने चाहिए. इनकी मदद करनी चाहिए. ये मुसीबत में हैं.

कब तक मिलेगी मदद
बिहार के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो चली है. कोरोना महामारी के इस दौर में बाढ़ मुसीबत को दोगुना कर रही है. सरकार ने जहां कोरोना के लिए अपनी पूरी मशनरी लगा रखी है. ऐसे में जरूरी है कि बाढ़ पीड़ितों के लिए भी ठोस कदम उठाए जाएं.

सड़क मार्ग प्रभावित
सड़क मार्ग प्रभावित

पढ़ें ये खबर : महामारी ने छीना रोजगार, अब बाढ़ का सितम, रेलवे ट्रैक के किनारे शुरू हुआ जिंदगी का सफर

ग्राउंड रिपोर्टः चंपारण तटबंध पर सैकड़ों की तादाद में शरण लिए हैं बाढ़ पीड़ित

मधेपुरा: जिले की आलमनगर और चौसा प्रखंड की 11 पंचायतें बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. यहां लाखों की आबादी प्रभावित हुई है. बाढ़ पीड़ित अपना घर छोड़ ऊंचे स्थान पर विस्थापित हो गए हैं. वहीं, अभी तक प्रशासन की ओर से इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं पहुंचा है.

बीते तीन दिन से बारिश नहीं हो रही है. दूसरी ओर कोसी बराज से छोड़े गए पानी का जलस्तर भी घटा है. लेकिन मधेपुरा के आलमनगर और चौसा प्रखंड के 11 पंचायत जलमग्न हैं. आलम यह है कि ग्रामीणों ने अपने परिवार और मवेशियों के साथ ऊंचे स्थानों में आशियाना बना लिया है. अनुमान के मुताबिक लगभग एक लाख आबादी बुरी तरह प्रभावित है.

कुछ ऐसे मवेशियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाते ग्रामीण
कुछ ऐसे मवेशियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाते ग्रामीण

नहीं मिली सरकारी नाव
सरकारी फाइल में बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोगों को घर से निकालने के लिए सरकारी नावों की बात कही गई है. लेकिन ग्रामीणों के मुताबिक इन्हें ऐसी कोई सुविधा नहीं मिली. सभी बताते हैं कि जान जोखिम में डालकर वे ऊंचे स्थानों की ओर विस्थापित हुए हैं.

क्या करें साहब ?
क्या करें साहब ?
  • यहां से जो भी तस्वीरें आईं हैं. उससे भी सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे ग्रामीणों ने अपना रास्ता खुद तय किया है.

लोगों में आक्रोश
बाढ़ पीड़ित उमेश सिंह ने आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि मदद के लिए कोई भी नहीं आया है. वहीं, राधा देवी कहती हैं कि घर दुआर सब बाढ़ में डूब गया है. बकरी और मवेशी सभी को किसी तरह बचा कर लाएं हैं. ऐसी ही बातें आशा देवी और सुधा भी बताती हैं. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ के लिए नावों को परमिट मिल चुका है बावजूद इसके, नाव नहीं मिली है.

जलमग्न गांव
जलमग्न गांव

वहीं, सीपीआई के राष्ट्रीय परिषद सदस्य कहते हैं कि इस समय बिहार सरकार को बाढ़ पीड़ितों के लिए भी कदम उठाने चाहिए. इनकी मदद करनी चाहिए. ये मुसीबत में हैं.

कब तक मिलेगी मदद
बिहार के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो चली है. कोरोना महामारी के इस दौर में बाढ़ मुसीबत को दोगुना कर रही है. सरकार ने जहां कोरोना के लिए अपनी पूरी मशनरी लगा रखी है. ऐसे में जरूरी है कि बाढ़ पीड़ितों के लिए भी ठोस कदम उठाए जाएं.

सड़क मार्ग प्रभावित
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