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किशनगंज : पोषण पुनर्वास केंद्र एक साल से बंद, कुपोषित बच्चों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी

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Published : Jun 22, 2020, 9:56 PM IST

किशनगंज
किशनगंज

सदर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में प्रत्येक महीने 25 से 30 कुपोषित और अति कुपोषित बच्चे भर्ती होते थे. इसके बावजूद कुपोषण दूर करने के बजाय पोषण पुनर्वास केंद्र को ही बंद कर दिया गया है. जबकि नियमानुसार केंद्र में कुपोषित बच्चा और उसकी मां दोनों का भी देखभाल किया जाना है.

किशनगंज: बिहार में कुपोषित बच्चों की मौत थमते नजर नहीं आ रही है. ऐसे संकट के समय में जिला अस्पताल परिसर में 20 बेडों वाला पोषण पुनर्वास केंद्र कई महीनों से बंद पड़ा है. जिससे पीड़ित बच्चों का इलाज नहीं हो पाने के कारण जिले में कुपोषित बच्चों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है.

जानकारी के मुताबिक, सदर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में प्रत्येक महीने 25 से 30 कुपोषित और अति कुपोषित बच्चे भर्ती होते थे. इसके बावजूद कुपोषण दूर करने के बजाय पोषण पुनर्वास केंद्र को ही बंद कर दिया गया है. जबकि नियमानुसार केंद्र में कुपोषित बच्चा और उसकी मां दोनों का भी देखभाल किया जाना है. बता दें कि 10 मई 2019 से किशनगंज पोषण पुनर्वास केंद्र बंद है. जिसका कोई सुध लेने वाला नहीं है.

किशनगंज
बीमार बच्चा

यात्रा भत्ता और क्षति पूर्ति राशि
पोषण पुनर्वास केंद्र में आने के लिए पीड़ितों को 100 रुपया यात्रा भत्ता के साथ ही छुट्टी के समय 50 रुपये प्रतिदिन की दर से केंद्र में बिताए दिनों के हिसाब से क्षति पूर्ति दिया जाना है. वहीं पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को 15 दिनों तक भर्ती कर चिकित्सा किया जाता है और भर्ती के समय से डिस्चार्ज के समय तक बच्चों के वजन में 15 फीसदी इजाफा होने पर ही बच्चों को डिस्चार्ज कर दिया जाता है.

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जिला अस्पताल में मां के साथ बीमार बच्चा

10 मई 2019 से बंद पोषण पुनर्वास केंद्र
पुनर्वास केंद्र में भर्ती बच्चों का वजन नहीं बढ़ने पर पीड़ित बच्चों को 6 दिन और भर्ती रखा जाता है. इसके बावजूद भी कुपोषित बच्चे का वजन नहीं बढ़ने पर बच्चे को अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है. बता दें कि 10 मई 2019 से पोषण पुनर्वास केंद्र बंद है. वहीं, पुनर्वास केंद्र खोलने को लेकर राज्य सरकार से अब तक कोई आदेश नहीं आया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पानी में आयरन की अधिकता और गरीबी है कारण
किशनगंज सिविल सर्जन डॉ. नंदन के मुताबिक वर्ष 2018-19 में 18 कुपोषित बच्चों की लिस्ट सदर अस्पताल में थी. वहीं, वर्ष 2019-20 में ये आंकड़ा बढ़कर 32 के करीब हो गया है. उन्होंने बताया कि जिले के पानी में आयरन की मात्रा बहुत ज्यादा और गरीबी होने की वजह से यहां के लोग गर्भवती महिला का चिकित्सीय जांच और परामर्श नहीं लेते हैं. साथ ही गर्भवस्था में महिला को पौष्टिक आहार उपलब्ध नहीं होने के कारण नवजात बच्चा शारिरीक और मानसिक रूप से कमजोर होता है.

'जल्द खुलेगा पोषण पुनर्वास केंद्र'
वहीं, मामले में जिलाधिकारी ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण पोषण पुनर्वास केंद्र बंद है. अभी जिला प्रशासन का ध्यान सिर्फ कोरोना संक्रमण पर केंद्रित है. उन्होंने कहा कि जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 10 से कम होने पर हम लोग प्राथमिकताओं के आधार पर काम करना शुरू कर देंगे. जिसमें पहली प्राथमिकता के तौर पर पोषण पुनर्वास केंद्र खोला जाएगा. हम इसे जल्द ही लगभग इस महीने के अंत तक पोषण पुनर्वास केंद्र को शुरु करने का विचार कर रहे हैं.

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