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किशनगंज में अकीदत और मोहब्बत से मनाया गया ईद-ए-मिलाद-उन-नबी

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Published : Oct 19, 2021, 11:11 PM IST

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के अवसर पर किशनगंज में बारिश के बीच लोगों ने जुलूस निकाला. जिसका नेतृत्व किशनगंज के विधायक इजहारुल हुसैन ने किया.

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी

किशनगंज: बिहार के किशनगंज में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (Eid-e-Milad-un-Nabi) त्योहार बड़े ही अकीदत व मोहब्बत के साथ मनाया गया. किशनगंज सीरत कमेटी के तत्वाधान में चुड़िपट्टी स्थित बजमेअदम प्रांगण से जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया. जो शहर का भ्रमण कर चुड़िपट्टी मे समाप्त हुआ. जुलूस का नेतृत्व किशनगंज के विधायक इजहारुल हुसैन (MLA Izharul Hussain) ने किया.

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बता दें कि मंगलवार की सुबह से ही लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के बीच हाथों में छतरी लेकर लोगों ने शहर में जुलूस निकाला गया. जिसमें भारी संख्या में लोग शामिल हुए. विभिन्न मुस्लिम मोहल्लों से निकाला गया जुलूस चुड़िपट्टी स्थित वजमेअदम पहुंचा और यहां से एक विशाल जुलूस निकाला गया जो कि शहर का भ्रमण किया. इस दौरान हजारों की तादाद में लोग इसमें शामिल हुए. जुलूस के दौरान शहर में सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम पुलिस के द्वारा किया गया था.

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बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी बधाई दी. जिसमें उन्होंने कहा है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब की तालीम पूरे मानव समाज के फलाह, तरक्की और खुशनुदी के लिए है. उनका पैगाम, प्रेम, सहिष्णुता, शांति एवं विश्व बंधुत्व का है. इस पावन अवसर पर उन्होंने प्रदेश वासियों को मुबारकबाद देते हुए कहा कि प्रदेश वासियों को पारस्परिक सौहार्द, आपसी प्रेम और सहिष्णुता के साथ ईद-ए-मिलादुन्नबी मनाने का आह्वान किया. इस साल 2021 में इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक 19 अक्टूबर को ईद मिलाद-उन-नबी मनाई जाएगी.

इस दिन, लोग दीप जलाते हैं और अपने घरों और मस्जिदों को सजाते हैं और रात भर प्रार्थना सभा करते हैं. परंपरा के अनुसार हर साल लोग इकट्ठा होते हैं और पैगंबर के जन्म के आगमन को याद करते हैं और पैगेंबर मोहम्मद के जीवन, कार्यों और शिक्षा के बारे में कहानियां सुनाते हैं.

इस दिन को आम तौर पर सार्वजनिक समारोहों, दावत और परिवार के मिलन की तैयारी के साथ चिह्नित किया जाता है. त्योहार दान और जरूरतमंदों की मदद (donations to the needy) करने पर केंद्रित है. इसलिए, परिवार दावत को वंचितों के साथ साझा करते हैं और जरूरतमंदों को दान देते हैं. चूंकि यह दिन पैगंबर की पुण्यतिथि (death anniversary ) का भी प्रतीक है, इसलिए इसे शुरू में मिस्र में एक आधिकारिक त्योहार (official festival in Egypt) के रूप में मनाया जाता था और 11 वीं शताब्दी के दौरान लोकप्रिय हो गया.

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