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कटिहार: दिवंगत साहित्यकार के परिजनों से मिलने पहुंचे दुलाल चन्द्र गोस्वामी, बोले- 'साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति'

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Published : Dec 30, 2019, 1:46 PM IST

दिवंगत साहित्यकार के परिजनों से भेंट करने पहुंचे सांसद
दिवंगत साहित्यकार के परिजनों से भेंट करने पहुंचे सांसद

सासंद ने दिवंगत साहित्कार के परिजनों से भेंट करने के बाद ईटीवी भारत की टीम से बात करते हुए कहा कि वे हिन्दी साहित्य के एक बड़े स्तंभ थे. बहुमुखी प्रतिभा के साथ-साथ वे अपने व्यापक दृष्टिकोण के लिए मशहूर थे.

कटिहार: जिले के जाने-माने साहित्यकार डॉ. बी बी गिरी के निधन के बाद सांसद दुलाल चन्द्र गोस्वामी शोक संतप्त परिवार से मिलने उनके आवास पर पहुंचे. जहां उन्होंने दिवंगत साहित्यकार के चित्र पर पुष्प अर्पित किया.

इस दौरान उन्होंने डॉ. बी बी गिरी के कई साहित्यिक पुस्तकों का अवलोकन भी किया. मौके पर सांसद ने कहा कि डॉ. गिरी का निधन न केवल जिले के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है. साहित्य के क्षेत्र में उनका योगदान युगों-युगों तक आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा रहेगी.

डॉ. बी बी गिरी का लिखा हुआ पुस्तक
डॉ. बी बी गिरी का लिखा हुआ पुस्तक

'हिन्दी साहित्य के एक बड़े स्तंभ थे डॉ. गिरी'
सासंद दुलाल चन्द्र गोस्वामी ने दिवंगत साहित्कार के परिजनों से भेंट करने के बाद ईटीवी भारत की टीम से बात करते हुए कहा कि वे हिन्दी साहित्य के एक बड़े स्तंभ थे. बहुमुखी प्रतिभा के साथ-साथ वे अपने व्यापक दृष्टिकोण के लिए मशहुर थे. उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

'140 से अधिक पुस्तकों का किया लेखन'
इस, मौके पर डॉ. गिरी के बेटे डॉ. प्रणव ने बताया कि उन्होंने लगभग 140 से अधिक पुस्तकों का लेखन कार्य किया था. जिसमें इंडिया, कास्ट कल्चर एंड ट्रेडिशन और ' इलीगल माइग्रेशन फ्रॉम बांग्लादेश' काफी प्रमुख रही है. वे नई दिल्ली स्थित भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के चेयरमैन के अलावे नागालैंड के साइंस कॉलेज के प्रिंसिपल भी रह चुके थे. डॉ. प्रणव ने बताया कि उनका लेखन कार्य से लगाव ताउम्र रहा. अंत समय तक वे दो पत्रिकाओं का संपादन करते रहे.

डॉ. प्रणव, दिवंगत साहित्कार के बेटे
डॉ. प्रणव, दिवंगत साहित्कार के बेटे
Intro:दिवंगत साहित्यकार के शोक संतप्त परिवार से मिलने पहुँचे साँसद दुलाल चन्द्र गोस्वामी ।


........कटिहार के जाने माने साहित्यकार डॉ. बी बी गिरी नहीं रहे । साहित्यकार डॉ. गिरी की मौत से उनके लिये जिन्दगी की दुआ कर रहा शहर गम में डूब गया ......। साँसद दुलाल चन्द्र गोस्वामी शोक संतप्त परिवार से मिलने उनके घर पहुँचे । इस मौके पर उन्होंने जहाँ मृत आत्मा को पुष्प चढ़ा श्रद्धाजलि अर्पित किया और उनकी लिखित साहित्यिक कृत्यों का भी अवलोकन किया । साँसद ने कहा कि उसकी मौत , अपूरणीय क्षति......। अवैध बांग्लादेश घुसपैठ पर उसकी पुस्तक ' इलीगल माइग्रेशन फ्रॉम बांग्लादेश '" ने काफी धूम मचायी .....।


Body:140 से अधिक पुस्तकों की कर चुके हैं लेखन , अवैध बांग्लादेश घुसपैठ पर भी लिखी हैं किताबें ।


कटिहार के जाने माने साहित्यकार डॉ.बी बी गिरी की मौत के बाद परिजनों से मिलने साँसद दुलाल चन्द्र गोस्वामी उसके घर पहुँचे जहाँ उन्होंने डॉ.गिरी के चित्र पर पुष्पगुच्छ चढ़ा श्रद्धांजलि अर्पित किया । इस मौके पर साँसद दुलाल चन्द्र गोस्वामी ने बताया कि डॉ बी बी गिरी हिन्दी साहित्य के एक बड़े नाम थे । वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति के साथ - साथ व्यापक दृष्टिकोण के साहित्यकार थे । उन्होंने करीब 140 से अधिक पुस्तकों का लेखन कार्य किया था जिसमें ' इंडिया , कास्ट कल्चर एंड ट्रेडिशन " के अलावे अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ समस्या पर ' इलीगल माइग्रेशन फ्रॉम बांग्लादेश ' काफी प्रमुख रही .....। उन्होंने पूर्वोत्तर सीमांत भारत के जनजातीय समस्या पर भी अपनी रचनाये की .....। दिवंगत साहित्यकार के पुत्र डॉ. प्रणव ने बताया कि उनके पिता इनदिनों दो पत्रिकाओं का सम्पादन करते थे .....।


Conclusion:नई दिल्ली स्थित भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के चेयरमैन भी रह चुके हैं दिवंगत डॉ.बी बी कुमार ।


गौरतलब है डॉ. बी बी कुमार राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिनिधित्व किया था और नई दिल्ली स्थित भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के चेयरमैन भी रह चुकने के अलावा नागालैंड के साइंस कॉलेज , कोहिमा के प्रिंसिपल भी रह चुके थे .....।
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