ETV Bharat / state

नरेंद्र सिंह ने दी चिराग को नसीहत, कहा- नौटंकी करते रहेंगे तो अपने पैर में ही कुल्हाड़ी मारेंगे

author img

By

Published : Jun 18, 2021, 12:38 AM IST

पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह ने चिराग पासवान को समझदारी से काम लेने की नसीहत दी है. उनके मुताबिक बहुमत पशुपति पारस के साथ है, लिहाजा चिराग को उनका नेतृत्व स्वीकार कर साथ में मिलकर काम करना चाहिए. विरोध से फायदा के बजाय उन्हें नुकसान ही होगा.

पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह से बातचीत
पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह से बातचीत

जमुई: एलजेपी में टूट के बाद जहां एनडीए लगातार चिराग पासवान (Chirag Paswan) पर हमला बोल रहा है और महागठबंधन साथ आने का ऑफर दे रहा है, वहीं कभी रामविलास पासवान के करीबी रहे पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह (Narendra Singh) ने उन्हें नसीहत दी है. उन्होंने कहा कि चिराग को समझदारी दिखाते हुए हकीकत से समझौता कर लेना चाहिए.

ये भी पढ़ें- चिराग पासवान ने बुलाई LJP राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक, रविवार को दिल्ली में होगा मंथन

नरेंद्र की नसीहत
बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और सूबे के कद्दावर नेता रहे नरेंद्र सिंह ने कहा कि चिराग पासवान के लिए भलाई इसी में है कि वे समझदारी से काम लें और अपने पुराने अभिभावकों के साथ मिल-जुलकर काम करते रहें. उन्होंने कहा कि अगर वे ड्रामा-नौटंकी करते रहेंगे तो अपने पैर में ही कुल्हाड़ी मारेंगे. क्योंकि पार्टी पर अब उनका दावा बनता नहीं दिख रहा है.

पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह से बातचीत

'जिसका बहुमत, उसका दल'
पूर्व मंत्री ने कहा कि जिस तरह से पशुपति पारस भी और चिराग पासवान भी एलजेपी पर दावा कर रहे हैं, वैसे में मुझे लगता है कि चिराग पासवान के हाथों से बाजी निकल चुकी है. क्योंकि 6 सांसदों वाली पार्टी के 5 सांसद तो पारस के साथ हैं. ऐसे में जाहिर तौर पर पारस का ही दावा बनता है.

'काफी दिनों से चल रहा था घमासान'
नरेंद्र सिंह ने दावा किया है कि एलजेपी में काफी दिनों से अंदरुनी घमासान चल रहा था. उन्होंने कहा कि ये बात सच है कि अगर रामविलास पासवान जीवित होते तो आज परिस्थिति ऐसी नहीं बनती.

"स्वर्गीय रामविलास जी के जीवित रहते ये पार्टी उनके नेतृत्व और छत्रछाया में चल रही थी. जिस तरह से उन्होनें अपने पुत्र को राज तिलक किया और सारे महत्वपूर्ण पदों पर बिठा दिया, पारस और अन्य वरिष्ठ नेताओं के लिए स्थित सहज नहीं थी"- नरेंद्र सिंह, पूर्व मंत्री

ये भी पढ़ें- प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोले पशुपति पारस- 'भतीजा तानाशाह हो जाए तो चाचा क्या करेगा'

एलजेपी की स्थापना में मेरी भी भूमिका
नरेंद्र सिंह ने कहा कि आज भले ही मैं इस पार्टी में नहीं हूं, लेकिन साल 2000 में इसकी स्थापना और आगे बढ़ाने में मेरा भी योगदान रहा है. ऐसे में पार्टी में टूट से दुख तो होता ही है. फरवरी 2005 के चुनाव में हमारे 29 विधायक जीते थे, लेकिन जब रामविलास जी जंगलराज के साथ जाना चाहते थे, तभी हमने अलग होने का फैसला कर लिया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.