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गोपालगंज: बरसात में सड़के हो जाती जलमग्न, रेन हार्वेस्टिंग योजना है फेल

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Published : Jun 26, 2019, 11:46 AM IST

शहर में रेन हार्वेस्टिंग योजना को लेकर कोई निर्देश नहीं दिया गया है. इससे शहर में जल संचय और जलजमाव की समस्या हमेशा रहती है.

गोपालगंज

गोपालगंज: सरकार एक तरफ स्मार्ट सिटी बनाने को लेकर पानी की तरह पैसा बहा रही है. वहीं, जिले की सड़कों पर थोड़े ही बरसात में जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है. लोगों का जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हो जाता है. सरकार की तमाम योजनाएं फेल है. वहीं, नगर परिषद चेयरमैन हरेंद्र चौधरी ने कहा कि इस संदर्भ में कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है.

जिले में बरसात की तैयारियों को लेकर प्रशासन की पोल खुल गई है. शहर में थोड़े ही बरसात से लोग जलजमाव से काफी परेशान हो जाते हैं. प्रशासन ने शहर में रेन हार्वेस्टिंग योजना पर कार्य किया होता तो लाखों गैलन पानी का संचय किया जा सकता था. लेकिन यहां बरसात के मौसम में जल निकासी की समस्या से पूरा शहर तालाब में तब्दील हो जाता है. शहर के नाले सड़कों पर बहने लगती है.

स्थानीय और नगर परिषद चेयरमैन हरेंद्र चौधरी का बयान

रेन हार्वेस्टिंग योजना शहर में हैं फेल
इसको लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां मकान बनाने के लिए कोई पैमाना नहीं है. प्रशासन ने रेन हार्वेस्टिंग योजना को लेकर कोई पहल नहीं की है. बरसात के मौसम में पूरा शहर जलमग्न हो जाता है. वहीं, नगर परिषद चेयरमैन हरेंद्र चौधरी ने कहा कि रेन हार्वेस्टिंग को लेकर कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है. लेकिन अपने स्तर से इस योजना को लागू करा रहा हूं. लोग अपने नए मकान में रेन हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करें. इससे जल संचय हो सकेगा.

Intro:गोपालगंज में जल संकट के स्थिति नहीं होने के बावजूद जल स्रोतों से पानी समाप्त होने के असर भूगर्भ जल पर भी पड़ा है आज स्थिति यह उत्पन्न हो गई है कि भूगर्भ जल भी 5 से 7 फीट नीचे चला गया ऐसे में यहां 20 से 25 फीट पर पानी मिल जाता था । वहां लगाए गए चापाकल पानी उगलना बंद कर दिया जो भविष्य के लिए खतरे का संकेत है। अगर बात करे जल संचय योजना की तो यह योजना धरातल पर उतरते नही दिख रही है या यूं कहें कि वर्षा जल संचयन संरक्षण द्वारा जल स्तर को बनाए रखने की कवायद गोपालगंज में फ़्लॉप साबित हो रही है ।आलम यह है कि बरसात का पानी नाले में बह जाते है।






Body:गर्मी का मौसम आते हैं जलस्तर में निरंतर गिरावट जारी है। कम वर्षा वाले जिले में जल संरक्षण संचय एक महत्वपूर्ण कार्य माना गया है। वर्षा जल संरक्षण को लेकर नए मकानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की व्यवस्था कागजों में ही सिमटी रही है।
रेन हार्वेस्टिंग योजना पर अमल नही होने के कारण बारिश का हजारों गैलन पानी बहकर बर्बाद हो जाता है।जिले में पिछले पांच-छह सालों से प्रतिवर्ष भूजल स्तर में लगातार हो रही गिरावट को ध्यान में रखते हुए सरकार की नजर बारिश के पानी के संरक्षण की ओर गई इस दिशा में सरकारी स्तर पर पहल भी शुरू की गई इसके लिए बारिश के पानी को बचाने व इसके संचयन के लिए कार्ययोजना तैयार करने के दिशा निर्देश जारी किए गए। बावजूद इस महत्वाकांक्षी योजना धरातल पर उतरती नहीं दिख रही। लंबी अवधि बीतने के बाद भी योजना कार्यालयों की संचिका से आगे नहीं बढ़ सकी है। ऐसे में आज भी बगैर किसी कार्य योजना और जल संचयन के प्रयास के मकान निर्माण कार्य जारी है इसी का नतीजा है कि आज भी जिले में बारिश के पानी नही बचाई जा सकी है। जिसके कारण बारिश का पानी हमेशा बर्बाद होता रहा है। आंकड़ों की मानें तो प्रत्येक वर्ष औसतन 1000 से 1500 लाख गैलन पानी बरसता है। अगर बारिश के पानी का संचयन किया जाए तो शहरी इलाकों में पानी की समस्या नहीं होगी लेकिन बारिश के पानी को बचाने की दिशा में सरकारी या गैर सरकारी स्तर पर किए गए तमाम प्रयास अब तक निरर्थक साबित हुए गैर सरकारी स्तर पर पूरे साल में कहीं भी कोई योजना चलती नजर नहीं आ रही। जल संरक्षण योजनाए बहुत पहले से ही बनी है जल संरक्षण के लिए ग्राम जल योजना से लेकर रेन वाटर हार्वेस्टिंग योजना बनाई गई। इस योजना पर अमन करने की कवायद भी हुई। बावजूद लोग अपने मकानों में रेन हवेस्टिंग की व्यवस्था करने में पीछे है।

पिछले सात वर्षों में हुई बारिश
वर्ष मिलिमीटर
2012 मे 1591 मिलीमीटर
2013 में 1660 मिलीमीटर
2014 में 1109 मिलीमीटर
2015 में 1090 मिलीमीटर
2016 में 1391 मिली मीटर
2017 में 1920 मिली मीटर
2018में 1305 मिली मीटर

इस संदर्भ में नगर परिषद चेयरमैन हरेंद्र चौधरी ने कहा कि इस संदर्भ में कोई आदेश प्राप्त नही हुआ है लेकिन अपने स्तर से इस योजना को लागू कराई गई है। ताकि लोग अपने नए मकान में रेन हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करें जिससे जल का संचय हो सके।

बाइट-उजला सर्ट चेयरमैन हरेंद्र चौधरी
सुबास तिवारी, टीशर्ट स्थानीय


Conclusion:कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि प्रशासनिक पहले के सुस्ती के कारण यहां रेन हार्वेस्टिंग योजना कारगर नही हो रही है लोग अपने घरो में रेन हवेस्टिग की व्यवस्था नही कर रहे है जिससे बरसात का पानी नाले में बह जाती है।
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